पद्मश्री सम्मान राशि में की मामूली बढ़ोतरी छत्तीसगढ़ सरकार ने, कलाकारों की नाराजगी बरकरार,
रायपुर l छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और सामाजिक योगदान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पद्मश्री सम्मानित विभूतियों को सम्मान राशि पांच हजार रुपए से बढ़ाकर दस हजार रुपए देने की घोषणा छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा की गई है. लेकिन, यह पद्मश्री विभूति इस राशि से भी खुश नहीं हैं और सम्मान राशि बढ़ाने की मांग एक बार फिर चर्चा में है.
प्रदेश के कई कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता लंबे समय से सरकार से इस दिशा में पहल करने की अपील कर रहे हैं. उनका कहना है कि पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का मान-सम्मान केवल प्रशस्ति पत्र तक सीमित ना रहकर उन्हें वित्तीय सहायता के रूप में भी समर्थन मिलना चाहिए, ताकि वे अपने क्षेत्र में और अधिक योगदान दे सकें.
पद्मश्री डॉ. भारती बंधु ने बताया कि देश के बहुत सारे राज्यों में पद्मश्री विभूतियों को सम्मान राशि दी जा रही है. उड़ीसा जैसे राज्यों में पद्मश्री विभूतियों को 30 हजार रुपए प्रति माह दिया जा रहा है. कर्नाटक और चंडीगढ़ में भी इस तरह की राशि दी जा रही है. लेकिन, छत्तीसगढ़ जैसे विकासशील प्रदेश में पद्मश्री विभूतियों को बेहद कम सम्मान राशि दी जा रही है, जो कि दु:खद और अफसोस जनक बात है. छत्तीसगढ़ की संस्कृति पूरे विश्व में सम्मानित है. यहां के कलाकारों को शुरुआत दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में पांच हजार रुपए प्रति महीने सम्मान राशि की घोषणा की गई थी, इसी के तहत राशि मिल रही थी. पिछले साल तत्कालीन संस्कृति मंत्री और रायपुर के वर्तमान सांसद बृजमोहन अग्रवाल के द्वारा विधानसभा में घोषणा की गई थी कि पद्मश्री विभूतियों को 25 हजार रुपए प्रति महीने सम्मान राशि दी जाएगी.
पद्मश्री विभूतियों के प्रतिनिधि मंडल के द्वारा कई मांग किये गए है जैसे -धनराशि ही नहीं बल्कि अन्य सुविधा भी मिलनी चाहिए. पद्मश्री विभूतियों द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आवेदन के माध्यम से अपनी बात रखी गई थी. वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को भी आवेदन पत्र के माध्यम से लिखा था कि सरकार के भूमि या भवन न्यूनतम राशि में पद्मश्री विभूतियों को दिया जाए. छत्तीसगढ़ के अलावा दिल्ली के छत्तीसगढ़ भवन और सदन, नि:शुल्क रेस्ट हाउस, सर्किट हाउस उपलब्ध कराया जाए. किसी भी शासकीय आयोजनों में पद्मश्री विभूतियों के लिए विशेष दीर्घा में नाम पट्टिका सुनिश्चित होनी चाहिए. देहांत होने पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होना चाहिए. इस तरह मांग और निवेदन की गई है.