वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एच.पी. सिन्हा की पुस्तक ‘परम जीवन के सरल सूत्र’ का भव्य विमोचन

रायपुर — राजधानी में एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संध्या के रूप में वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एच. पी. सिन्हा द्वारा रचित प्रेरणात्मक पुस्तक ‘परम जीवन के सरल सूत्र’ का भव्य लोकार्पण संपन्न हुआ। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह मुख्य अतिथि थे, जिन्होंने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह रचना अध्यात्म पथिकों के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

कार्यक्रम का आयोजन और मुख्य अतिथि वक्तव्य
विमोचन कार्यक्रम सुव्यवस्थित रूप से आयोजित किया गया, जिसमें उपस्थित जनसमूह और साहित्य–ओचित्य से जुड़े गणमान्य लोगों ने भाग लिया। मंच से अपने संबोधन में डॉ. रमन सिंह ने लेखक की सराहना की और पुस्तक को जीवन में अध्यात्म, योग तथा ध्यान के महत्व पर प्रकाश डालने वाला सशक्त साधन बताते हुए कहा कि यदि व्यक्ति प्रतिदिन केवल 10 मिनट का ध्यान और आत्मचिंतन अपना ले तो उसकी जीवनशैली और मानसिक संतुलन दोनों में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। उन्होंने पुस्तक को “आध्यात्म पथिकों के लिए मील का पत्थर” बताते हुए इसके व्यावहारिक और सहज सिद्धांतों पर विशेष जोर दिया।
अन्य वक्ताओं का सार
- भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय ने पुस्तक को सभी जिज्ञासुओं और मार्गदर्शकों के लिए उपयोगी बताया। उनके अनुसार ऐसी रचनाएँ समाज में सकारात्मकता और आत्मान्वेषण को प्रोत्साहित करती हैं।
- डॉ. एच. पी. सिन्हा स्वयं अपने संबोधन में बताते हैं कि यह रचना आत्मबोध, आनन्द और आंतरिक शान्ति की प्राप्ति के लिए सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने पुस्तक के प्रेरणास्पद उद्देश्यों और लेखन प्रक्रिया के कुछ निजी अनुभव साझा किए, जिससे श्रोता गहराई से जुड़ गए।
- डॉ. मनीषा सिन्हा ने डॉ. सिन्हा के आध्यात्मिक, पारिवारिक और सामाजिक जीवन का परिचय देते हुए बताया कि कैसे उनका जीवन और मूल्यों का साझाकरण इस पुस्तक का आधार बन गया। उनके शब्दों में, यह पुस्तक न केवल सिद्धांत बताती है बल्कि व्यवहारिक रूप से जीवन में अपनाने योग्य मार्ग भी प्रस्तुत करती है।
- डॉ. गीतेश अमरोहित ने पुस्तक की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की और पुस्तक में निहित विचारों, व्यावहारिक अभ्यासों और भाषा की सादगी की प्रशंसा की। उनकी समीक्षा ने श्रोताओं को पुस्तक के बिंदुओं की व्याख्या और उसके उपयोगी पहलुओं को समझाने में मदद की।

आयोजन-प्रबंधन और सहयोगी टीम
कार्यक्रम का सुव्यवस्थित आयोजन आयोजकों — अजंता चौधरी, महेन्द्र तिवारी, दीपक व्यास, प्रवीण गोलछा और शुभ्रा ठाकुर — के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तुतियाँ, स्वागत व व्यवस्थापन प्रभावी ढंग से संपन्न हुआ, जिससे पुस्तक विमोचन का माहौल गरिमापूर्ण और उत्साहपूर्ण बना रहा।
पुस्तक की विषयवस्तु — संक्षेप में
‘परम जीवन के सरल सूत्र’ नाम से स्पष्ट है कि पुस्तक जीवन के आध्यात्मिक, नैतिक और मानसिक आयामों को सरल व व्यवहारिक सूत्रों में प्रस्तुत करती है। मुख्य बिंदु (जिन्हें आयोजन के दौरान उद्धृत किया गया) इस प्रकार हैं:
- आत्मबोध और आत्मनिरीक्षण के साधन
- योग, ध्यान और सांस–प्रक्रियाओं का दैनिक जीवन में सरल अभ्यास
- मानसिक शान्ति और संतुलन के व्यावहारिक कदम
- पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन में आध्यात्मिक मूल्यों का समावेश
- कठिनाइयों और संकटों के समय आत्मिक स्थिरता बनाए रखने के उपाय
कार्यक्रम से प्रमुख संदेश
- दैनिक ध्यान का महत्व: डॉ. रमन सिंह के शब्दों के अनुसार यदि व्यक्ति प्रतिदिन मात्र 10 मिनट ध्यान के लिए निकाले तो उसकी समग्र जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन संभव है — यह पुस्तक उसी सरल और व्यवहारिक सिद्धांत पर जोर देती है।
- आत्मिक मार्गदर्शन के लिए सुलभता: पुस्तक भाषा और निर्देशों में सादगी रखकर हर वर्ग के पाठक के लिए उपयोगी बनी है — शहरी व ग्रामीण दोनों पठन-पाठन परिप्रेक्ष्य में इसे अपनाया जा सकता है।
- वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के साथ आध्यात्मिकता: लेखक का न्यूरोलॉजिस के रूप में बैकग्राउंड यह संकेत देता है कि पुस्तक में आध्यात्मिक अभ्यासों का विज्ञान-समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव का विवेचन भी हो सकता है (आयोजक वक्तव्यों से संकेत मिलता है)।
संभावित प्रभाव और आगे की राह
- यह पुस्तक अध्यात्मिक पथिकों, योगाभ्यासियों और उन लोगों के लिए मार्गदर्शक बन सकती है जो मानसिक शान्ति तथा जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के इच्छुक हैं।
- स्वास्थ्य व समुदाय कल्याण संगठनों द्वारा इसे सामुदायिक कार्यशालाओं, विद्यालयों और कॉर्पोरेट वेलनेस प्रोग्रामों में संदर्भित किया जा सकता है।
- पुस्तक के आधार पर कार्यशाला, ध्यान शिविर और सार्वजनिक व्याख्यानों की श्रृंखला आयोजित कर व्यापक जनभागीदारी प्राप्त की जा सकेगी।
निष्कर्ष (Pull-quote)
“अध्यात्म, योग और ध्यान — यदि इन्हें नियमित जीवनचर्या में 10 मिनट समर्पित किये जाएँ, तो यह न केवल व्यक्ति का मानसिक संतुलन बदलेगा बल्कि समग्र सामाजिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।” — डॉ. रमन सिंह



