
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उपमुख्यमंत्री अरुण साव के बीच जल–जीवन मिशन को लेकर तीखी नोकझोंक हुई।
- बघेल ने आरोप लगाया कि फ्रीडम मिशन के अंतर्गत 21 लाख कनेक्शन दिए जाने का दावा था, लेकिन सिर्फ 10 लाख घरों तक पानी पहुंचा है।
- साव ने जवाब दिया कि कांग्रेस काल के दौरान फर्जी कनेक्शन की खोज में 15 लाख पंजीकरण रद्द किए गए, दो ठेकेदारों पर FIR हुई, और एक इंजीनियर को दोषी पाया गया
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र 2025 के तीसरे दिन जल-जीवन मिशन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उपमुख्यमंत्री व जल संसाधन मंत्री अरुण साव के बीच तीखी बहस और राजनीतिक टकराव देखने को मिला। यह बहस मिशन की पारदर्शिता, कार्यान्वयन और पूर्ववर्ती सरकार बनाम वर्तमान सरकार की उपलब्धियों को लेकर हुई।

🔍 बहस का मुद्दा: जल-जीवन मिशन में अनियमितता
🧾 भूपेश बघेल के आरोप:
- बघेल ने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकार ने मिलकर 21 लाख घरों तक नल जल कनेक्शन देने का दावा किया था।
- वास्तविकता में मात्र 10 लाख घरों तक ही नल से पानी पहुँच पाया है।
- उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आंकड़ों की बाज़ीगरी कर जनता को गुमराह किया गया है।
- मिशन की प्रगति फाइलों और पोर्टल पर ही तेज़ है, जमीन पर नहीं।
🛡️ अरुण साव का जवाब:
- उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जब सरकार ने कार्यभार संभाला, तब पता चला कि कांग्रेस सरकार के समय 15 लाख से अधिक फर्जी पंजीकरण किए गए थे।
- ये पंजीकरण जल-जीवन मिशन के लक्ष्यों को फर्जी तरीके से पूरा करने के लिए किए गए थे।
- उन्होंने बताया कि:
- 15 लाख पंजीकरण निरस्त किए गए हैं,
- दो ठेकेदारों पर FIR दर्ज की गई,
- एक इंजीनियर को जिम्मेदार मानकर कार्रवाई की गई।
- उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार पारदर्शिता के साथ मिशन को आगे बढ़ा रही है और वास्तविक लाभार्थियों तक जल सुविधा पहुंचाने की दिशा में कार्य कर रही है।
🏛️ सदन में माहौल:
पहलू | विवरण |
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बघेल का रुख | सत्तारूढ़ सरकार को घेरते हुए जल वितरण के आंकड़ों पर सवाल |
साव का जवाब | कांग्रेस कार्यकाल की फर्जीवाड़े को उजागर कर जवाबी हमला |
स्पीकर की भूमिका | बहस को नियंत्रण में रखते हुए तथ्यों पर टिके रहने की सलाह |
📊 मिशन की स्थिति (जुलाई 2025 तक, आधिकारिक दावे के अनुसार):
विवरण | संख्या |
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लक्ष्य | 21 लाख घर |
अब तक पूर्ण | ~10 लाख घर |
फर्जी पंजीकरण निरस्त | 15 लाख |
FIR दर्ज | 2 ठेकेदार |
अभियंता पर कार्रवाई | 1 इंजीनियर दोषी |
⚖️ विश्लेषण:
- बघेल जहां जनता के लिए मूलभूत सुविधाओं की विफलता पर सवाल उठा रहे हैं,
- वहीं साव कांग्रेस काल की कार्यप्रणाली को ही दोषी ठहराकर वर्तमान सरकार की “सफाई अभियान” की छवि पेश कर रहे हैं।
यह बहस दर्शाती है कि जल जीवन मिशन केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक धार और आरोप-प्रत्यारोप का बड़ा मंच बन चुका है।
🔎 निष्कर्ष:
- यह बहस केवल आंकड़ों की लड़ाई नहीं, बल्कि भविष्य में योजनाओं की पारदर्शिता, कार्यान्वयन की निष्पक्षता, और नागरिकों तक सेवाओं की वास्तविक पहुँच के लिए एक अहम मोड़ है।
- आगे के सत्रों में संभव है कि इस विषय पर विधानसभा समिति की रिपोर्ट, ऑडिट रिपोर्ट, या नवीन जल-आपूर्ति लक्ष्य सामने लाए जाएँ।