हर साल कैसे तय होता है हर देश के हज यात्रियों का कोटा,कितने श्रद्धालु पहुंचते हैं मक्का…

इस साल की हज यात्रा 4 जून से 9 जून के बीच होने की उम्मीद है. लेकिन उससे पहले ही सऊदी अरब के एक फैसले ने भारत के हज यात्रियों में खलबली मचा दी थी. सऊदी अरब ने सोमवार को भारत के निजी हज कोटे में अचानक 80 फीसदी की कटौती कर दी. इस पर पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विदेश मंत्रालय से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की. केंद्र सरकार के दखल के बाद अगले दिन सऊदी अरब हज मंत्रालय भारतीय हज यात्रियों के लिए 10 हजार वीजा और देने के लिए राजी हो गया.
साल 2023 की शुरुआत में भारत ने सऊदी अरब के साथ हज द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके अनुसार उस साल कुल 1,75,025 भारतीय हज यात्रियों को हज पर जाने की इजाजत मिली थी. परंपरागत रूप से यह सिस्टम इस प्रकार काम करता है कि भारत को सऊदी अरब द्वारा आवंटित कोटा, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय हज समिति (सीएचसी) द्वारा विभिन्न शेयरहोल्डर्स में वितरित किया जाता है. भारत के कुल कोटे का 70 प्रतिशत हिस्सा सीएचसी के पास जाता है और 30 प्रतिशत निजी ऑपरेटरों को मिलता है. 2024 में भी भारत को 1,75,025 लोगों को हज पर भेजने की अनुमति मिली थी.

ये कोटा मोटे तौर पर उस देश में मुसलमानों की संख्या के आधार पर आवंटित किया जाता है. मुस्लिम बहुल देशों में हर 1,000 मुसलमानों पर एक तीर्थयात्री का नियम है. इस पर 1987 में इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) में सहमति बनी थी. उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया में विश्व की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी (लगभग 25 करोड़) रहती है. तो उसे हज यात्रा के लिए लगभग 250,000 लोगों को भेजने की अनुमति मिलेगी. हालांकि हज कोटा भी एक बड़ा कूटनीतिक मुद्दा है. हर साल ज्यादातर देश सऊदी अरब से ज्यादा स्लॉट के लिए पैरवी करते हैं.
इस बार दुनिया भर से 20 लाख से ज्यादा मुसलमानों के सऊदी अरब के मक्का पहुंचने की उम्मीद है. हज दुनिया में सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक है. यह धार्मिक समागम हर साल इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने में छह दिनों तक चलता है. इस दौरान दुनिया भर के मुसलमान इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल काबा की परिक्रमा करते हैं. अपने विशाल पैमाने को देखते हुए इस तीर्थयात्रा को आयोजित करना सऊदी अरब के लिए एक बड़ी चुनौती है. उसे दुनिया भर से मक्का आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों के लिए रहने की जगह, भोजन और सुरक्षित तीर्थयात्रा की सुविधा प्रदान करनी होती है. इसलिए, सऊदी अरब हर देश को कोटा आवंटित करता है. यानी हर देश के तीर्थयात्रियों की कुल संख्या निर्धारित की जाती है.