
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में डीजे पर सख्त प्रतिबंध लागू करने के लिए पुलिस अधीक्षक (SP) विजय अग्रवाल ने लगभग 100 डीजे संचालकों की बैठक बुलाई। मुख्य बातें नीचे विस्तार से दी गई हैं:
🔒 1. बैठक का उद्देश्य
- SP ने उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के दिशा‑निर्देशों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए यह अहम बैठक त्यौहारों और धार्मिक आयोजनों से पहले आयोजित की।
- सभी संचालकों को स्पष्ट रूप से बताया गया कि नियमों का उल्लंघन न सहा जाएगा, और अगर कोई भी व्यक्ति नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी
🎚️ 2. ध्वनि सीमा और समय-सीमा
- शोर स्तर को परिवेश ध्वनि से +10 dB या 75 dB(A) से अधिक नहीं रखा जाना है।
- रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यंत्र या वाद्य यंत्रों का उपयोग मना है।
- वाहनों पर लगे साउंड सिस्टम की भी कट्टर मनाही है ।

🚫 3. “ज़ोन ऑफ़ साइलेंस”
- अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, न्यायालय, सरकारी कार्यालय के 100 मीटर के अंदर ध्वनि विस्तारक उपकरणों का उपयोग पूर्णतः निषिद्ध घोषित किया गया—यहां DJ बजाना अपराध माना जाएगा ।
👮 4. जिम्मेदार अधिकारी और अगली कार्रवाई
- बैठक में ASP अभिषेक झा और CSP सत्यप्रकाश तिवारी ने भी शामिल होकर निर्देशों को संचालकों तक पहुंचाया।
- पुलिस नियंत्रण कक्ष से भी तुरंत सूचना देने, मार्ग अवरुद्ध करने जैसी स्थिति में पुलिस कार्रवाई की चेतावनी दी गई है ।
✅ 5. कानूनी आधार
- यह कदम 2016 उच्च न्यायालय के आदेश और कोलाहल अधिनियम, एनजीटी, साउंड पोल्यूशन नियंत्रण निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है
🧭 निष्कर्ष
SP की यह सख्ती सरकारी और न्यायिक आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के साथ शोर‑प्रदूषण से जनहित की रक्षा को भी प्राथमिकता देती है। आगामी त्योहारों में यदि कोई दूल्हा‑वधु समारोह या सामाजिक आयोजन इन नियमों को तोड़ता है, तो प्राथमिकता से राजस्व व कानूनी कार्रवाई अपेक्षित है।