छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में एक साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण — ऐतिहासिक घटना….

छत्तीसगढ़ की राजनीति और नक्सल मोर्चे दोनों पर एक साथ बड़ा असर डालने वाली है।
शुक्रवार को राज्य के इतिहास में पहली बार एक साथ 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, और इस घटना ने जहां शासन–प्रशासन को बड़ी राहत दी, वहीं राजनीतिक बयानबाजी ने नया मोड़ ले लिया
आइए इसे विस्तार से समझते हैं 👇


🔥 छत्तीसगढ़ में एक साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण — ऐतिहासिक घटना

राज्य में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। यह आत्मसमर्पण बस्तर क्षेत्र में हुआ, जहाँ दशकों से नक्सली प्रभाव रहा है।
यह कदम सरकार की सुरक्षा, विश्वास और विकास नीति (Trust–Development–Security) का परिणाम माना जा रहा है।

सुरक्षा एजेंसियों और राज्य प्रशासन के अनुसार, इन आत्मसमर्पित नक्सलियों में कई सक्रिय जनमिलिशिया सदस्य, दस्ता सहयोगी और महिला सदस्य भी शामिल हैं।


🩶 भूपेश बघेल का रिएक्शन — “देश की यह लड़ाई अब अंत की ओर”

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने इस घटना पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:

“देश की यह लड़ाई जल्द खात्मे की ओर बढ़ेगी। हम सब मिलकर जीतेंगे। सरकार और सुरक्षा बलों को बधाई।”

बघेल ने आगे कहा कि:

  • छत्तीसगढ़ ने नक्सलवाद का दशकों तक दंश झेला है।
  • कांग्रेस ने भी अपने कई शीर्ष नेताओं को झीरम घाटी हमले में खोया।
  • 15 साल की भाजपा सरकार नक्सल मुद्दे पर इच्छाशक्ति की कमी से जूझती रही।
  • 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद पहली बार “नक्सल उन्मूलन नीति” बनाई गई।
  • कई सुरक्षा कैंप खोले गए, सड़कें और स्कूलों का पुनरुद्धार किया गया।
  • विश्वास–विकास–सुरक्षा” की नीति को केंद्र और राज्य ने मिलकर आगे बढ़ाया।
  • केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का सहयोग भी उन्होंने स्वीकार किया।

बघेल ने कहा कि मौजूदा सरकार भी उसी नीति पर चल रही है, जो यह साबित करता है कि यह लड़ाई राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्रहित की है।


🗣️ मंत्री केदार कश्यप का पलटवार — “क्या यह कांग्रेस का आधिकारिक बयान है?”

राज्य के मंत्री केदार कश्यप (जो स्वयं बस्तर क्षेत्र से आते हैं और लंबे समय से आदिवासी राजनीति से जुड़े हैं) ने भूपेश बघेल के इस बयान पर एक तीखा तंज कसा

उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

“तारीफ के लिए शुक्रिया भूपेश बघेल जी। बस यह स्पष्ट कर देते कि आपकी यह निजी राय है या कांग्रेस का अधिकृत बयान है? आपकी पार्टी के प्रवक्ता इसे ‘इवेंट’ बता रहे थे और प्रदेश अध्यक्ष असली–नकली नक्सली का प्रश्न उठा रहे थे।”

कश्यप ने कहा कि कांग्रेस की नीति हमेशा दोहरी रही है—

“चोर से कहो चोरी कर, गृहस्वामी से कहो जागते रह। यही देश की समस्याओं की जड़ है।”


⚔️ केदार कश्यप के राजनीतिक आरोपों का सार

  1. 🔸 कांग्रेस की दोहरी नीति:
    उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक ओर नक्सलवाद के खिलाफ होने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर सलवा जुडूम आंदोलन (जो नक्सल विरोधी था) का विरोध करती रही।
  2. 🔸 झीरम घाटी हमले का संदर्भ:
    कश्यप ने कहा कि कांग्रेस ने झीरम के शहीद नेताओं जैसे महेंद्र कर्मा का समर्थन नहीं किया, बल्कि उनका मजाक उड़ाया।
    अगर कांग्रेस ने उस समय कर्मा का साथ दिया होता, तो लड़ाई इतनी लंबी नहीं खिंचती।
  3. 🔸 जनजाति-विरोधी रवैया:
    उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने एक “सलवा जुडूम विरोधी पूर्व जज” को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर नक्सल समर्थक रुख दिखाया।
  4. 🔸 अपील:
    कश्यप ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर “सस्ती और दोहरी राजनीति” से बचना चाहिए।
    उन्होंने कांग्रेस को सलाह दी कि इस उपलब्धि का खुले मन से स्वागत करें और इसे राजनीतिक रंग न दें।

⚖️ राजनीतिक पृष्ठभूमि और असर

यह विवाद केवल बयानों का नहीं है, बल्कि दो नीतिगत दृष्टिकोणों का टकराव है:

पहलूभाजपा सरकार की सोचकांग्रेस सरकार की सोच
मुख्य रणनीति“विश्वास–विकास–सुरक्षा” को जारी रखना, लेकिन कठोर सुरक्षा कार्रवाई पर अधिक जोरनक्सल प्रभावित इलाकों में विकास, शिक्षा और पुनर्वास पर प्राथमिकता
राजनीतिक दावा“नक्सलवाद को खत्म करने का श्रेय भाजपा को जाएगा”“लड़ाई की नींव कांग्रेस सरकार ने रखी”
केंद्र–राज्य समन्वयभाजपा सरकार के समय सहजकांग्रेस काल में भी, लेकिन राजनीतिक टकराव मौजूद था

🔍 मामले का निचोड़

  • एक साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण राज्य की शांति प्रक्रिया का अहम मोड़ है।
  • लेकिन राजनीतिक स्तर पर यह घटना श्रेय की राजनीति में बदल गई है।
  • भूपेश बघेल इसे साझा नीति की सफलता बता रहे हैं।
  • केदार कश्यप इसे भाजपा सरकार की उपलब्धि और कांग्रेस की पुरानी विफलता का परिणाम बता रहे हैं।

✳️ निष्कर्ष

👉 बस्तर में नक्सलियों का आत्मसमर्पण निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ की सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
👉 हालांकि, राजनीतिक दल इस घटना को अपनी-अपनी नीतियों की वैधता साबित करने के हथियार के रूप में देख रहे हैं।
👉 जनता के दृष्टिकोण से, यह कदम शांति, विकास और विश्वास की दिशा में एक “नए युग” की शुरुआत है।

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