छत्तीसगढ़
बस्तर जिले के लालबाग मैदान में शुरू हुआ,8 दिन का स्वदेशी मेला, 22 राज्यों के लगे 300 स्टॉल, डिप्टी सीएम साव ने लोगों को किया आमंत्रित..

बस्तर जिले के लालबाग मैदान में शुरू हुआ है और इसकी खासियत यह है कि यह न सिर्फ स्थानीय संस्कृति का, बल्कि पूरे भारत की विविधता का प्रदर्शन करता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
🔸 मेले की शुरुआत
- दिनांक: 1 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक (8 दिन का आयोजन)
- स्थान: लालबाग मैदान, जगदलपुर (जिला बस्तर, छत्तीसगढ़)
- शुभारंभ: उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने किया।
- इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख हस्तियां –
- वन मंत्री केदार कश्यप
- स्थानीय विधायक व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव
- बस्तर सांसद महेश कश्यप

🔸 आयोजक
- भारतीय विपणन विकास केंद्र की स्वदेशी जागरण मंच इकाई द्वारा मेले का आयोजन।
- मुख्य उद्देश्य:
- ग्रामीण, कुटीर, निजी, सहकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के उत्पादकों को एक ही मंच पर लाना।
- स्वदेशी उत्पादों का प्रचार-प्रसार करना और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देना।
🔸 मेले की खास बातें
- 22 राज्यों के हस्तशिल्प और उत्पादों की प्रदर्शनी।
- लगभग 300 स्टॉल लगाए गए हैं।
- बस्तर की विशेषता:
- बांस शिल्प
- बेलमेटल (ढोकरा कला)
- लकड़ी की नक्काशी
- टेराकोटा (मिट्टी की कला)
- अन्य राज्यों के विविध उत्पाद भी यहां दर्शकों को देखने और खरीदने को मिलेंगे।
🔸 उप मुख्यमंत्री का संबोधन
- अरुण साव ने कहा कि स्वदेशी मेले का योगदान विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण है।
- यह मेला सिर्फ व्यापार का मंच नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक पहल है।
- उन्होंने बस्तर संभाग के लोगों से अपील की कि वे बड़ी संख्या में मेला देखने आएं और स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं।
🔸 सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व
- यह मेला स्वदेशी आंदोलन और “वोकल फॉर लोकल” की भावना को आगे बढ़ाता है।
- लोकल आर्ट, क्राफ्ट और उद्यमिता को राष्ट्रीय मंच मिलता है।
- बस्तर की समृद्ध आदिवासी संस्कृति और हस्तशिल्प देशभर के लोगों तक पहुंचता है।
👉 कुल मिलाकर, यह स्वदेशी मेला बस्तर की कला-संस्कृति का उत्सव है, जो न केवल स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को रोज़गार व पहचान देता है, बल्कि भारत की विविधता और स्वदेशी भावना को भी एक साथ जोड़ता है।