छत्तीसगढ़
“शीतकालीन सत्र पर कांग्रेस की तैयारी; अजय चंद्राकर बोले—‘रणनीति बना लें, असर नहीं पड़ेगा’”….

छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 से 17 दिसंबर 2025 के बीच आयोजित होगा। सत्र से पहले विपक्ष (कांग्रेस) ने सरकार को घेरने की रणनीति तय करने के लिए आज विधायक दल की बैठक बुलायी। इसके बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय चंद्राकर ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “जो रणनीति बनानी है, कर लें… उनके तथ्य और तर्कों में दम नहीं रहता” — और पलटवार का तंज भी चला।

घटनाक्रम / टाइमलाइन
- विधानसभा शीतकालीन सत्र की तारीखें और तैयारियाँ — राज्य की नई विधानसभा इमारत में यह चार दिवसीय सत्र 14–17 दिसंबर को हो रहा है; विधानसभा के लिए 628 प्रश्न जारी किए गए हैं और पहले दिन ‘विकसित भारत/विजन’ जैसे विषयों पर चर्चा तय है।
- कांग्रेस विधायक दल की बैठक — सत्र से पहले विपक्ष ने रणनीति पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई ताकि सदन में सरकार पर मुद्दे उठाए जा सकें। (स्थानीय पार्टी/समाचार रिपोर्ट्स में बैठक का जिक्र)।
- भाजपा की प्रतिक्रिया — अजय चंद्राकर ने सार्वजनिक बयान देकर कांग्रेस की रणनीति/दावा-प्रस्तावों का मज़ाक उड़ाया और कहा कि उनके तर्क कमजोर हैं। (स्थानीय वीडियो/समाचार क्लिप में उनके बयान का हवाला)।
अजय चंद्राकर के मुख्य बिंदु (क्या बोले)
- चंद्राकर ने कहा कि विपक्ष की रणनीतियाँ अक्सर ज़ोर नहीं पकड़ पातीं; उन्होंने व्यंग्यपूर्वक कहा कि “धीमी गति का समाचार बजता है, इसी को सुनकर वापस आ जाएंगे” और “उनके तथ्य और तर्कों में दम नहीं रहता।” (प्रेस-कॉन्फ्रेंस/स्थानीय रिपोर्ट्स के आधार पर)।
- उन्होंने हरियाणा के 14 मंत्रियों के मुद्दे पर भी कांग्रेस पर निशाना साधा — यह बताकर कि जब भाजपा शासन में थी तब भी कुछ फैसलों पर कांग्रेस ने अलग रुख दिखाया। (स्थानीय कवरेज में उल्लेख)।
ममता बनर्जी — अमित शाह मामले का संदर्भ (राजनीतिक माहौल का जोड़)
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हालिया सार्वजनिक बयानबाज़ी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर तीखी टिप्पणी की और SIR (Special Intensive Revision) संबंधित कार्रवाईयों पर चुनाव आयोग के फैसले की आलोचना की— कहा कि अगर किसी सही वोटर का नाम हटाया गया तो वह धरना देंगी।
- अजय चंद्राकर ने ममता के बयान पर भी पलटवार किया और तीखे शब्दों में उनकी शैली/दावे पर टिप्पणी की — यह दिखाता है कि केंद्र और राज्य स्तरीय नेताओं के बयानों से राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है और यह बहु-राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन रहा है।
सत्र के अहम मुद्दे और संभावित रणनीतियाँ (किस तरह से लड़ाई चलेगी)
- विपक्ष (कांग्रेस): सरकारी नीतियों, प्रशासनिक सवालों और लोकल मुद्दों (जैसे नौकरी, बजट, विकास प्रोजेक्ट, किसी विशेष मामले पर आरोप) को हाइलाइट करके धरातलीय मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। चूँकि 628 प्रश्न पहले ही जमा हैं, विपक्ष सदन का इस्तेमाल सवाल-जबाव और मीडिया फ्रेम बनाने के लिए करेगा।
- सत्ता पक्ष (भाजपा): आक्रामक जवाब, विपक्ष के दावों को तार्किक रूप से कमजोर बताने और सत्तापक्ष की उपलब्धियों को प्रदर्शित कर के विपक्ष के आरोपों को भुनाने की रणनीति अपनाएगा — जैसा कि चंद्राकर के बयान से संकेत मिलता है।
- मीडिया/जनमत: तेज़-तर्रार ट्वीट/वीडियो/हाइलाइट्स से हंगामे को बढ़ावा मिलेगा — खासकर यदि किसी ओजस्वी टिप्पणी या आरोप-प्रत्यारोप सामने आए।
राजनीतिक असर / क्या-देखें (What to watch)
- पहले दिन की चर्चा — यदि पहले दिन ‘विकसित भारत 2047’ जैसी थीम के साथ बड़े घोषणात्मक बयान आते हैं तो विपक्ष किस तरह उसे तोड़ता है, यह मायने रखेगा।
- किस मुद्दे पर सदन हंगामा — किसी संवेदनशील बिल/अनुपूरक बजट या प्रशासनिक खुलासे पर सदन में ओवरटाइम हंगामा होने की संभावना है।
- कांग्रेस की मीडिया स्ट्रेटेजी — क्या वे लोकल मुद्दों को बड़ी तस्वीर में बदलकर रख पाएंगे या भाजपा के व्यंग्य-प्रहार के आगे घुटेंगे (जैसा कि चंद्राकर ने संकेत दिया)?
निष्कर्ष ….
शीतकालीन सत्र 14–17 दिसंबर में होने जा रहा है और सत्र से पहले विपक्ष की तैयारियाँ और भाजपा के तीखे प्रतिउत्तर ने माहौल गर्म कर दिया है — अब सदन में यह तय होगा कि बहसें किस दिशा में और कितनी तीव्र होंगी।



