राजनीति

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आ सकते हैं छिंदवाड़ा,जहरीले कफ-सिरप से मौत हुए बच्चों की पीड़ित परिवारों से करेंगे मुलाकात, 

  • मध्य प्रदेश (मुख्यतः छिंदवाड़ा) में जहरीले कफ-सिरप से बच्चों की मौतों की घटना चल रही है; कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक राज्य में अब तक ~19 बच्चों की मृत्यु दर्ज की गई है (अंक दिनों के साथ बदल रहा है)।
  • प्रभावित सिरप ब्रांड का नाम Coldrif (निर्माता: Sresan/Sresan Pharmaceuticals, Kancheepuram, TN) बताया जा रहा है; तमिलनाडु-परीक्षणों में सिरप में Diethylene Glycol (DEG) जैसी जहरीली चीज़ पाई गई। अलग-अलग रिपोर्टों में DEG का प्रतिशत लगभग 46–49% बताया जा रहा है (रिपोर्टों में भिन्नता है)।
  • एक स्थानीय डॉक्टर (Dr Praveen Soni) को गिरफ्तार/नामजद किया गया और निर्माता कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज हुई; सरकारों ने उस ब्रांड/बैच पर बैन लगाया और SIT बनाई है।
  • केंद्र/राज्य स्तर पर जांच-निगरानी, CDSCO निरीक्षण और पुलिस की आपराधिक (manslaughter) जांच भी शुरू हुई है। सरकारों ने पीड़ित परिवारों के लिए अनुग्रह राशि और इलाज का खर्च उठाने की घोषणाएँ की हैं।
  1. घटना की शुरुआत और क्लस्टर केस
    • सितंबर के अंत से छिंदवाड़ा के कुछ इलाकों में छोटे बच्चों में अचानक बुखार/कफ के बाद किडनी की खराबी की शिकायतें आईं। बाद में कई बड़ों/अभिभावकों ने बताया कि बच्चों को डॉक्टरों ने कुछ कफ-सिरप दिए थे (स्थानीय तौर पर Coldrif का नाम अक्सर जुड़ा)। इस क्लस्टर-आउटब्रेक पर चिकित्सा और प्रशासनिक जांच शुरू हुई।
  2. लैब-नतीजे और भिन्न रिपोर्टें (सबसे बड़ा विवाद)
    • तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल टीम ने निर्माता के संयंत्र से लिए गए नमूनों पर परीक्षण किया और रिपोर्टों में Diethylene Glycol (DEG) जैसी औद्योगिक विषैला सामग्री पाई गई — कई रिपोर्टों में इसे 48.6% के आसपास बताया गया है; कुछ रिपोर्टों ने 46% जैसा भी बताया। इसका अर्थ यह है कि सिरप “Not of Standard Quality” पाया गया।
    • पर एक और जटिलता यह है कि केंद्रीय एजेंसी (CDSCO) या कुछ स्थानों से भेजे गए नमूनों में अलग-अलग परिणाम आए — यानी कुछ नमूने DEG के लिए साफ निकले जबकि तमिलनाडु के नमूने संदूषित पाए गए। इसलिए वैज्ञानिक/नमूना-श्रृंखला और सत्यापन पर जोर दिया जा रहा है।
  3. कानूनी-प्रशासनिक कार्रवाई
    • स्थानीय पुलिस/प्रशासन ने कई FIR दर्ज किए, एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई और निर्माता के खिलाफ आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। कुछ डॉक्टरों/दवा विक्रेताओं को गिरफ्तार या नामजद किया गया — विशेष रूप से वह डॉक्टर जिनके पास से प्रभावित बच्चों को उपचार मिला था। एक शव का उत्खनन/पोस्टमार्टम भी कराया गया ताकि विष कारण संबंधी प्रमाण जुटाये जा सकें।
    • राज्य सरकारों ने संबंधित बैच और निर्माता की दवाओं पर बैन लगाए; कई दूसरे राज्यों (Punjab, UP, Maharashtra आदि) ने भी उसी ब्रांड पर रोक लगाई और दुकानों से जब्ती का निर्देश दिया।
  4. केंद्रीय स्तर की प्रतिक्रियाएँ और जांचें
    • स्वास्थ्य मंत्रालय / CDSCO ने जोखिम-आधारित निरीक्षण और राज्य-स्तरीय समन्वय तेज किया; यूनियन-लेवल बैठकें हुईं और बच्चों में कफ-दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग पर सलाह/निर्देश जारी किए गए। साथ ही कई फैक्ट्रियों/बैचों के नमूने लिए जा रहे हैं।
  5. ष्युग्म तथ्य (किसे क्या कहा/किया गया)
    • मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रभावित परिवारों के लिए प्रति परिवार ₹4 लाख की अनुग्रह राशि और इलाज का खर्च राज्य उठाने की बात कही। इस पर विपक्ष ने कहा कि यह पर्याप्त नहीं और सरकार ने समय पर कदम नहीं उठाए।
  6. राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ — राहुल गांधी और कांग्रेस
    • कांग्रेस ने न्यायिक जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की है; पार्टी के कई नेता पीड़ित परिवारों से मिले और प्रदर्शन भी हुए। कुछ समाचार पोर्टलों ने लिखा है कि नेता-विपक्ष राहुल गांधी वापसी के बाद छिंदवाड़ा आ सकते हैं और AICC ने मामले की रिपोर्ट मांगी है — पर ध्यान रहे: राहुल गाँधी की पक्की/आधिकारिक यात्रा-तिथि की बड़ी समाचार एजेंसियों में स्पष्ट पुष्ट सूचना फिलहाल (मुख्य मीडिया नोटिस) सीमित है — इसलिए राहुल की यात्रा-खबर को अभी अनिश्चित/रिपोर्टेड माना जाना चाहिए।

क्या-क्यों जटिल है (कठिनाइयाँ)

  • नमूना-श्रृंखला और लैब परिणाम अलग-अलग आना — जहां तमिलनाडु ने निर्माण-साइट के नमूनों में भारी DEG बताया, वहीं कुछ राज्य/केंद्रीय परीक्षणों में अलग नतीजे आ गए। इसका मतलब है कि जांच को ट्रेस-एबिलिटी (supply-chain, batch-tracking), नमूनों की हैंडलिंग और प्रयोगशाला मानकों से जोड़कर देखना पड़ेगा।
  • आंकड़े बदल रहे हैं — मृत्यु/रोगियों की संख्या की रिपोर्टिंग समय-समय पर बदल रही है (local admin / अस्पताल अपडेट vs मीडिया रिपोर्ट्स में फर्क), इसलिए किसी एक फिक्स संख्या को अंतिम मानना अभी उचित नहीं।

क्या करना चाहिए (सामान्य सलाह)

  • अगर आपके पास Coldrif (या संबंधित सिरप) का कोई बैच/बोतल है → उसकी बिक्री/उपयोग तुरंत रोकें और नज़दीकी दवा नियंत्रक/ड्रग कंट्रोल कार्यालय को सूचित करें (स्टॉक न फेंकें — जांच के लिए सालिड प्रूफ की जरूरत पड़ सकती है)।
  • किसी बच्चे में कम पेसाब (urine कम होना), उल्टी, पेट दर्द, सुस्ती/घबराहट आदि लक्षण दिखें तो तुरंत नज़दीकी अस्पताल/पेडियाट्रिक डॉक्टर के पास जाएं — किडनी-सम्बंधी लक्षण हैंडल करने के लिए अस्थायी उपचार और इंटेंसिव-केयर की ज़रूरत पड़ सकती है। (रोगलक्षणों के लिए सामान्य जानकारी देखें)

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