
घटना कोरबा जिले के दर्री थाना क्षेत्र के इंदिरा नगर, जमनीपाली की है। यह बेहद दर्दनाक हादसा है, जिसमें एक ही परिवार के तीन लोगों को जहरीले सांप ने सोते समय डस लिया। इसमें पिता और बेटे की मौत हो गई, जबकि माँ गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।
🔹 घटना का विवरण
- तड़के करीब सुबह 3 बजे (शुक्रवार) परिवार अपने घर में सो रहा था।
- परिवार में —
- चूड़ामणि भारद्वाज (52 वर्ष) – पिता
- रजनी भारद्वाज (45 वर्ष) – माँ
- प्रिंस भारद्वाज (10 वर्ष) – पुत्र
- उसी दौरान कमरे में घुसे जहरीले सांप ने तीनों को डस लिया।
🔹 सांप डसने के बाद हालात
- चूड़ामणि और उनका बेटा प्रिंस सांप को देख नहीं पाए और डसे जाने का पता उन्हें नहीं चला।
- रजनी भारद्वाज ने सांप को देख लिया और उन्हें भी डस लिया गया।
- रजनी ने बड़ी मुश्किल से अपने देवर (चूड़ामणि के भाई) को घटना की जानकारी दी।
🔹 अस्पताल में देरी और लापरवाही
- तीनों को तुरंत जमनीपाली के सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
- लेकिन अस्पताल के गेट खुलवाने में ही करीब आधा घंटा बर्बाद हो गया।
- अस्पताल पहुँचने पर पता चला कि वहाँ एंटी-स्नेक वेनम (Anti-Snake Venom) उपलब्ध ही नहीं है।
- अस्पताल के कर्मचारियों ने परिवार को मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया।
🔹 दुखद परिणाम
- मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुँचने तक तीनों की हालत काफी बिगड़ चुकी थी।
- डॉक्टरों ने जाँच के बाद चूड़ामणि भारद्वाज और उनके बेटे प्रिंस को मृत घोषित कर दिया।
- वहीं पत्नी रजनी भारद्वाज की हालत गंभीर बनी हुई है और उसका इलाज जारी है।
🔹 परिजनों का आक्रोश
- मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया कि जमनीपाली अस्पताल में तत्काल इलाज और एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध नहीं होने की वजह से मौतें हुईं।
- परिजन यह भी मांग कर रहे थे कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट (PM Report) में साफ-साफ लिखा जाए कि मौत का कारण “सर्पदंश” है।
- इसको लेकर अस्पताल में तनावपूर्ण स्थिति भी निर्मित हो गई थी।
- डॉक्टरों ने सावधानीवश दोनों मृतकों के बिसरा को सुरक्षित (Preserve) कर दिया है।
🔹 बड़ी सीख और सवाल
- गाँव/कस्बों के सरकारी अस्पतालों में एंटी-स्नेक वेनम का स्टॉक क्यों नहीं रहता?
- सांप के काटने के मामलों में पहली एक-दो घंटे की त्वरित चिकित्सा ज़िंदगी बचाने के लिए बेहद ज़रूरी होती है।
- प्रशासनिक लापरवाही के चलते ग्रामीणों को अकसर दूर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ता है।
👉 यह घटना न सिर्फ़ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी खामी भी उजागर करती है।