छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का एक अहम फैसला है,बिजली कंपनी की लापरवाही से गई ग्रामीण की जान, हाई कोर्ट ने बढ़ाई मुआवजा राशि…

1. घटना का पृष्ठभूमि
- मृतक: चित्रभान, उम्र लगभग 40 वर्ष, निवासी पिकरीपार (जांजगीर-चांपा जिला)।
- परिवार: पत्नी शांति बाई, तीन बेटियां और वृद्ध माता-पिता आश्रित।
- घटना: 6 मई 2021 को घर के बाहर लौटते समय चित्रभान की करंट लगने से मौत हो गई।
- कारण: घर के सामने से गुजर रही 11 केवी लाइन से जुड़ी लो-टेंशन सर्विस वायर कई दिनों से झूल रही थी।
- ग्रामीणों ने बार-बार बिजली विभाग को सूचना दी थी।
- विभाग ने न तो मरम्मत की और न ही वायर बदला।
- विभाग की लापरवाही से तार करंट का खतरा बन गया और हादसा हुआ।

2. कानूनी प्रक्रिया
- दावा: मृतक की पत्नी व बेटियों ने विभाग को दोषी मानकर ₹28.90 लाख का दावा दायर किया।
- ट्रायल कोर्ट (फरवरी 2024): विभाग की गलती मानते हुए केवल ₹4 लाख मुआवजा तय किया।
- हाई कोर्ट (सितंबर 2025):
- ट्रायल कोर्ट के आदेश की समीक्षा की।
- पाया कि विभाग ने समय पर मरम्मत नहीं की, जबकि खतरे की सूचना पहले से थी।
- विभाग का “हमारी सीधी गलती साबित नहीं हुई” वाला तर्क खारिज कर दिया।
3. कानूनी आधार – स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी
- अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के “एमपी इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड बनाम शैल कुमारी (2002)” निर्णय का हवाला दिया।
- सिद्धांत:
- बिजली आपूर्ति कार्य स्वभाव से खतरनाक है।
- अगर इस काम से कोई हादसा होता है, तो विभाग बिना सीधी लापरवाही साबित किए भी जिम्मेदार होगा।
- यही “Strict Liability” कहलाता है।
4. हाईकोर्ट का अंतिम आदेश
- मुआवजा राशि बढ़ाकर ₹7,68,990 कर दी गई।
- इस रकम पर 6% वार्षिक ब्याज भी जोड़ा गया।
- बिजली विभाग को आदेश दिया गया कि तीन महीने के भीतर भुगतान करे।
- विभाग की अपील खारिज कर दी गई।
5. फैसले का महत्व
- यह फैसला बताता है कि:
- बिजली सप्लाई का काम inherently hazardous है।
- विभाग को हर समय सतर्क रहना होगा; अगर लापरवाही हुई तो “हम दोषी नहीं” कहकर बच नहीं सकता।
- पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए अदालतें सुप्रीम कोर्ट की Strict Liability की लाइन पर चल रही हैं।
- यह अन्य मामलों में भी मिसाल (precedent) बनेगा।
👉 सरल भाषा में: कोर्ट ने साफ कहा कि बिजली विभाग चाहे सीधे दोषी साबित हो या न हो, अगर बिजली तार या लाइन की वजह से कोई मौत/हादसा होता है, तो वह पूरी तरह जिम्मेदार होगा और पीड़ित परिवार को मुआवजा देना ही पड़ेगा।