छत्तीसगढ़

सुशासन और धर्मनिष्ठा की प्रतीक थीं रानी अहिल्याबाई: सीएम साय

 पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती पर मुख्यमंत्री निवास में भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की, जबकि मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल मुख्य वक्ता रहे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कई गणमान्य जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

रानी अहिल्याबाई: सुशासन और धर्मनिष्ठा की प्रतीक
मुख्यमंत्री साय ने रानी अहिल्याबाई को “भारत की सांस्कृतिक एकता और सुशासन का प्रतीक” बताया। उन्होंने कहा कि उनका शासनकाल राष्ट्र निर्माण, न्याय और प्रजा कल्याण का स्वर्ण युग था। रानी ने काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिरों के पुनर्निर्माण जैसे ऐतिहासिक फैसले लेकर आस्था और राष्ट्र पुनर्निर्माण को एकजुट किया।

मुख्यमंत्री ने कहा, “इंदौर की रानी होकर भी उन्होंने देशभर में मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया। उनकी शासन शैली आज के ‘गुड गवर्नेंस’ की प्रेरणा है।”

राजमहल नहीं, न्यायप्रिय झोपड़ी की रानी : प्रहलाद सिंह पटेल
मुख्य वक्ता प्रहलाद सिंह पटेल ने रानी अहिल्याबाई के जीवन के व्यावहारिक पक्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने पति की मृत्यु के बाद राजमहल छोड़ झोपड़ी में जीवन बिताया, और राजकोष का कभी व्यक्तिगत उपयोग नहीं किया।

उन्होंने कहा, “वे इतनी न्यायप्रिय थीं कि अपने पुत्र को भी मृत्युदंड देने में पीछे नहीं हटीं। विधवाओं को दत्तक पुत्र लेने की अनुमति देना उनके समय से कहीं आगे की सोच को दर्शाता है।”

लोकमाता अहिल्याबाई के विचार आज भी प्रासंगिक
विधायक किरण देव और पूर्व उपाध्यक्ष नारायण चंदेल ने रानी के कार्यों को भारतीय इतिहास की अमिट छाप बताया और कहा कि उनकी जीवनशैली और प्रशासनिक सोच आज भी राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरणादायक है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button