राजनीति
वोट चोरी पर बढ़ते अभियान के बीच कर्नाटक सरकार की शुरुआत…

कर्नाटक में कांग्रेस की अगुआई वाली राज्य सरकार ने स्थानीय चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की जगह पेपर बैलेट के इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा है। यह कदम राहुल गांधी के “वोट चोरी” अभियान को और बल देता है, जिसमें पारदर्शिता और मान्यताओं को प्राथमिकता दी जा रही है.
पृष्ठभूमि: राहुल गांधी का “वोट चोरी” अभियान
- राहुल गांधी ने पिछले कुछ समय से लगातार EVM (Electronic Voting Machine) पर सवाल उठाए हैं।
- उनका आरोप है कि EVM के जरिये चुनाव परिणामों में हेरफेर संभव है, और यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा है।
- राहुल गांधी इसे “वोट चोरी” अभियान के रूप में प्रचारित कर रहे हैं और जनता को बता रहे हैं कि पारदर्शी चुनावों के लिए जरूरी है कि बैलेट पेपर (Paper Ballot) की ओर वापसी की जाए।

📌 कर्नाटक सरकार का कदम
- अब कांग्रेस शासित कर्नाटक कैबिनेट ने राहुल गांधी की इस मुहिम को और ताकत देने वाला बड़ा निर्णय लिया है।
- राज्य सरकार ने तय किया है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों (जैसे नगर निगम, पंचायत आदि) में EVM की जगह पेपर बैलेट से मतदान करवाने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
- यह निर्णय राज्य की कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार की ओर से की गई।
📌 क्यों पेपर बैलेट?
कांग्रेस का मानना है कि:
- पारदर्शिता बढ़ेगी – मतदाता को बैलेट पेपर पर अपनी पसंद साफ दिखाई देगी।
- विश्वास बहाल होगा – ग्रामीण और आम मतदाताओं में यह धारणा मजबूत होगी कि उनका वोट गिना जा रहा है।
- EVM पर शक खत्म होगा – विपक्ष और जनता का जो अविश्वास EVM पर है, उसे दूर किया जा सकेगा।
📌 राजनीतिक मायने
- यह कदम राहुल गांधी के “वोट चोरी अभियान” को और ज्यादा वैधता देता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस इस मुद्दे को 2029 लोकसभा चुनाव तक बड़ा एजेंडा बना सकती है।
- कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा पेपर बैलेट लागू करने का प्रस्ताव बीजेपी के लिए भी चुनौती है, क्योंकि बीजेपी लगातार EVM की विश्वसनीयता का बचाव करती रही है।
📌 चुनौतियां
- व्यवहारिक समस्या – पेपर बैलेट से चुनाव कराने में समय ज्यादा लगेगा और मतगणना भी देर से होगी।
- धांधली का खतरा – अतीत में पेपर बैलेट से चुनावों में बूथ कैप्चरिंग और बैलेट बॉक्स छेड़छाड़ जैसी समस्याएं होती थीं।
- कानूनी पेच – चुनाव आयोग (ECI) का अधिकार सर्वोच्च है। स्थानीय निकाय चुनावों में भले राज्य सरकार की भूमिका बड़ी हो, लेकिन तकनीकी तौर पर EVM या पेपर बैलेट का निर्णय चुनाव आयोग की मंजूरी से ही लागू हो सकता है।
📌 निष्कर्ष
- राहुल गांधी का “वोट चोरी” अभियान अब केवल भाषणों और आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे कर्नाटक सरकार ने नीति रूप में अपनाने का प्रयास किया है।
- इससे कांग्रेस अपने समर्थकों और मतदाताओं को यह संदेश देना चाहती है कि वह चुनावी पारदर्शिता के लिए ठोस कदम उठा रही है।
- आगे देखना होगा कि चुनाव आयोग इस प्रस्ताव को मानता है या नहीं, क्योंकि अंतिम अधिकार उसी के पास है।