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‘वोट चोरी’ आरोपों पर निर्वाचन आयोग का पलटवार…

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी के “vote chori” आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हुए कहा कि उन्हें 7 दिनों के अंदर शपथपत्र (affidavit) देकर इन आरोपों का समर्थन करना चाहिए, अन्यथा वे “बेसलस और अवैध” घोषित माने जाएंगे।
  • आयोग ने आरोपों को ‘संविधान का अपमान’ बताया और कहा कि “vote chori” जैसे शब्द राजनीतिक दुष्प्रचार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में खास Special Intensive Revision (SIR) पारदर्शी है और सभी के लिए खुला है।
  • Times of India में रिपोर्ट हुई कि CEC ने स्पष्ट किया कि duplicate नाम या “house number zero” जैसी तकनीकी विसंगतियां वोट चोरी का प्रमाण नहीं हैं, क्योंकि विभिन्न कानून और प्रक्रियाएं अलग-अलग नियंत्रित हैं।

राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ आरोपों पर निर्वाचन आयोग (ECI) और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने क्या कहा, और उसका तर्क क्या है।


1. निर्वाचन आयोग की आधिकारिक प्रतिक्रिया

  • राहुल गांधी ने बिहार में चल रहे Special Intensive Revision (SIR) पर आरोप लगाया था कि इसमें मतदाता सूची से नाम काटकर और फर्जी वोट जोड़कर “वोट चोरी (vote chori)” की साजिश हो रही है।
  • इस पर CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि:
    • 7 दिनों के अंदर राहुल गांधी को शपथपत्र (affidavit) देकर अपने आरोपों को साबित करना होगा।
    • अगर ऐसा नहीं किया गया तो इन आरोपों को “निराधार (baseless) और अवैध” मान लिया जाएगा।
    • आयोग ने चेतावनी दी कि इस तरह की बयानबाज़ी संविधान और लोकतंत्र का अपमान है, क्योंकि बिना सबूत “vote chori” कहना जनता को गुमराह करना है।
      📌 (स्रोत: Economic Times, Indian Express)

2. आयोग का तर्क — क्यों कहा ‘राजनीतिक दुष्प्रचार’

  • ECI का कहना है कि —
    • SIR (Special Intensive Revision) हर राज्य में एक सार्वजनिक, पारदर्शी प्रक्रिया है।
    • इसमें किसी भी नागरिक को मतदाता सूची की जांच, आपत्ति और दावा करने का अधिकार है।
    • इसलिए इसे “गुप्त साजिश” कहना राजनीतिक दुष्प्रचार (propaganda) है।
      📌 (स्रोत: NDTV)

3. तकनीकी विसंगतियों पर स्पष्टीकरण

  • राहुल गांधी ने अपने भाषण में कुछ उदाहरण दिए थे जैसे —
    • एक ही व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में बार-बार आना (duplicate names)
    • “house number zero” जैसे पते (मतदाता सूची में तकनीकी गड़बड़ी)
  • इस पर CEC का जवाब:
    • ये तकनीकी विसंगतियां हैं, जिन्हें अलग-अलग कानूनों और प्रक्रिया के तहत समय-समय पर सुधारा जाता है।
    • डुप्लीकेट नाम होना = वोट चोरी नहीं है। यह चुनाव आयोग की नियमित सुधार प्रक्रिया (correction) के दायरे में आता है।
    • “house number zero” जैसी एंट्रियां डेटा एंट्री की तकनीकी त्रुटियाँ हैं, लेकिन इन्हें भी रिवीजन प्रक्रिया में दुरुस्त किया जाता है।
      📌 (स्रोत: Times of India)

4. आयोग की सख़्ती और संदेश

  • CEC ने साफ़ कहा कि —
    • राहुल गांधी के बयान से जनता में अविश्वास का माहौल बन सकता है।
    • लोकतांत्रिक संस्थाओं (ECI) पर ऐसे आरोप लगाने से पहले साबित करने योग्य सबूत जरूरी हैं।
    • अगर 7 दिनों में सबूत पेश नहीं किए गए तो आयोग आगे कड़ी कार्रवाई कर सकता है (जैसे कोर्ट में चुनौती या औपचारिक अस्वीकरण)।

5. बड़ा महत्व — क्यों यह टकराव गंभीर है?

  • राहुल गांधी ने “vote chori” शब्द का इस्तेमाल करके सीधे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए
  • आयोग ने पहली बार इस पर इतने तीखे शब्दों में पलटवार किया है और इसे “संविधान का अपमान” तक कहा है।
  • इससे कांग्रेस बनाम चुनाव आयोग का विवाद गहराता दिख रहा है और विपक्ष के चुनावी अभियान (बिहार से शुरू ‘वोटर अधिकार यात्रा’) पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।

👉 कुल मिलाकर, निर्वाचन आयोग कह रहा है“आपके पास सबूत हैं तो शपथपत्र दें, वरना इस तरह के बयान लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।”
👉 वहीं, राहुल गांधी का रुख है“BJP नेताओं ने भी यही आरोप लगाए थे, तब उनसे सबूत क्यों नहीं माँगे गए?”

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