उत्तर प्रदेशराजनीति

अखिलेश यादव का आरोप -चुनाव आयोग झूठ बोल रहा है कि एफिडेविट नहीं मिला।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) ने आरोप लगाया था कि उन्होंने चुनाव आयोग को जो एफिडेविट (शपथपत्र) जमा कराए हैं, उन्हें आयोग ने मान्यता नहीं दी। आयोग ने कहा कि “हमें सपा का एफिडेविट प्राप्त नहीं हुआ है।”

👉 इस पर अखिलेश यादव ने एक्स (Twitter) पर पोस्ट करते हुए कहा कि हमारे पास आयोग द्वारा दी गई रसीद (Acknowledgement/डिजिटल पावती) मौजूद है, जो यह साबित करती है कि एफिडेविट आयोग को मिला था।

अखिलेश यादव का आरोप

  • चुनाव आयोग झूठ बोल रहा है कि एफिडेविट नहीं मिला।
  • हमारे पास आयोग की तरफ से दी गई डिजिटल रसीद है।
  • यदि आयोग इसे नकारता है, तो “चुनाव आयोग” ही नहीं बल्कि “डिजिटल इंडिया” भी शक के घेरे में आ जाएगा।
  • अखिलेश ने तंज कसते हुए लिखा:
    “भाजपा जाए तो सत्यता आए।”

राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

  • राहुल गांधी ने अखिलेश की इसी पोस्ट को रीट्वीट किया।
  • साथ ही उन्होंने लिखा:
    “एफिडेवट तो वोट चोरी पर पर्दा डालने का बहाना है।”
  • मतलब राहुल का कहना है कि चुनाव आयोग एफिडेविट की आड़ लेकर “वोट चोरी” को ढकने का प्रयास कर रहा है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

  • कांग्रेस, सपा और पूरा विपक्ष इन दिनों चुनाव आयोग को लगातार निशाने पर ले रहा है।
  • विपक्ष का आरोप है कि आयोग भाजपा सरकार के दबाव में काम कर रहा है और मतदाता सूची से लेकर वोटिंग तक, सब कुछ प्रभावित किया जा रहा है।
  • राहुल गांधी और अखिलेश यादव दोनों इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच संदेश दे रहे हैं कि लोकतंत्र और वोटिंग प्रक्रिया पर भरोसा कमज़ोर किया जा रहा है।

असल मुद्दा क्या है?

  1. क्या वाकई चुनाव आयोग को एफिडेविट मिला था?
    • सपा कह रही है: हां, और हमारे पास रसीद है।
    • चुनाव आयोग कह रहा है: नहीं, हमें नहीं मिला।
  2. यदि आयोग की बात गलत साबित होती है, तो विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाकर “वोट चोरी” की साजिश का आरोप और मजबूत करेगा।
  3. यह मामला केवल तकनीकी गलती का नहीं, बल्कि पारदर्शिता और चुनावी ईमानदारी पर सवाल का है।

मतलब साफ है —
👉 विपक्ष (खासतौर पर राहुल और अखिलेश) एफिडेविट विवाद को एक बड़े “वोट चोरी नैरेटिव” से जोड़कर जनता के बीच मुद्दा बनाना चाहता है।

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