राजनीति

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई 2025 को अचानक इस्तीफा दे दिया,

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई 2025 को अचानक इस्तीफा दे दिया, जिससे पूरे राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया। अब विपक्षी दलों से लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक इस कदम की पृष्ठभूमि पर सवाल उठा रहे हैं।


🧭 अखिलेश यादव का बड़ा बयान

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले को “व्यक्तिगत और स्वास्थ्य संबंधी मामला” बताते हुए कहा:

  • उन्होंने स्पष्ट किया कि धनखड़ के इस्तीफे की जानकारी उन्हें स्वास्थ्य कारणों के आधार पर मिली, और इसे राजनीतिक षड्यंत्र या छिपे एजेंडे से नहीं जोड़ा जा सकता।
  • अखिलेश यादव ने बीजेपी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे लोकतंत्र को कमजोर करने की भावना से प्रेरित होकर ऐसे मामलों का उपयोग कर रही है।

▶️ सपा अध्यक्ष की प्रमुख टिप्पणी:

“स्वास्थ्य कारणों की जानकारी मिली है और यह पूरी तरह एक व्यक्तिगत मामला है। उन्होंने किसी छिपे राजनीतिक एजेंडा की अटकलों को खारिज किया।”


⚖️ विपक्ष का संदेह—क्या है असली कहानी?

  • कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल इस्तीफे की समयबद्धता और अचानक निर्णय पर संदेह जता रहे हैं:
    • वे सवाल उर्जा रहे हैं कि जो स्वास्थ्य समस्या बताई गई, उसे ध्यान में रखकर इस्तीफा क्यों संसद के मानसून सत्र के दौरान लिया गया।
    • यह भी कहा जा रहा है कि धनखड़ ने हाल ही में 65 सांसदों के हस्ताक्षर जुटाए थे, जिससे कुछ का मानना है कि यह कोई अचूक रणनीति हो सकती है—न केवल स्वास्थ्य मुद्दा।
  • विरोधी दलों ने इसे राजनीतिक झटका और गंभीर सवालों के रूप में देखा है, जबकि सपा इसे स्वास्थ्य-प्रेरित व्यक्तिगत निर्णय मान रही है।

🔮 आगे की राह: क्या होने वाला है?

  • अब उपराष्ट्रपति के पद पर डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह मौन-चुप्पी के बीच कार्यभार संभालेंगे जैसे की संविधान में तय है।
  • चुनाव आयोग जल्द ही एक नया वी.पी. चुनने के लिए चुनाव प्रक्रिया की तारीख जारी करेगा

✅ निष्कर्ष

पक्षरुख
सपा (अखिलेश यादव)इसे स्वास्थ्य-प्रेरित व्यक्तिगत निर्णय, कोई राजनीतिक कूटनीति नहीं
विपक्षी दल (कांग्रेस आदि)समय और तरीका संदिग्ध—राजनीति के खेल की आशंका

यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी सरकार, राष्ट्रपति कार्यालय, और चुनाव आयोग इस स्थिति को कैसे संभालते हैं, और कब तक मॉनसून सत्र को सुचारु रूप से चलाया जा सकता है।

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