उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 :वोटिंग से पहले नाराज हो गए उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी,

भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव का मतदान सुबह 10 बजे से शुरू हुआ। इस चुनाव में दो मुख्य उम्मीदवार हैं:
- बी. सुदर्शन रेड्डी (I.N.D.I गठबंधन के उम्मीदवार)
- एम. वेंकैया नायडू (वर्तमान उपराष्ट्रपति, NDA समर्थित)
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे व प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई गणमान्य नेता मतदान करने पहुँचे।

🎙️ बी. सुदर्शन रेड्डी का मीडिया से संवाद
बी. सुदर्शन रेड्डी ने मीडिया से बातचीत के दौरान क्रॉस वोटिंग (जिसमें पार्टी लाइन से हटकर मतदान किया जाता है) के सवाल पर गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने साफ किया:
- “मैंने अपना संदेश दे दिया है।”
- उनका फोकस केवल लोगों की अंतरात्मा को जगाने का है ताकि वे सही दिशा में मतदान करें।
- उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि क्रॉस वोटिंग होगी।
- सुदर्शन रेड्डी ने यह भी कहा: “मुझे नहीं पता क्रॉस-वोटिंग क्या होती है। मेरा उद्देश्य लोगों को सही दिशा दिखाना है।”
जब उनसे पूछा गया कि गृह मंत्री अमित शाह ने आपके बारे में बहुत सारी बातें कही हैं, तो उन्होंने चौंकाने वाला जवाब दिया:
“आप क्या पूछ रहे भई! कितने दिन के बाद ये सवाल पूछ रहे हैं। रोज बोलता रहूंगा क्या मैं वही बात।”
इस परिप्रेक्ष्य में उनका यह रुख मीडिया से तंग आकर आत्म-विश्वास के साथ जवाब देने का प्रतीक माना जा रहा है।
🎯 मुख्य संदेश
बी. सुदर्शन रेड्डी का कहना था कि उनका उद्देश्य किसी प्रकार की राजनीतिक साजिश का हिस्सा बनना नहीं है। उनका मुख्य फोकस समाज को सही दिशा दिखाने, लोगों की अंतरात्मा को जागृत करने और सकारात्मक संदेश फैलाने पर था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि क्रॉस-वोटिंग जैसी कोई योजना उनके पास नहीं थी और न उन्होंने ऐसा कुछ प्रचारित किया।
📹 वीडियो का महत्व
इस घटना का वीडियो काफी वायरल हुआ है क्योंकि इसमें सुदर्शन रेड्डी की सहज प्रतिक्रिया, उनके आत्मविश्वास और कुछ हद तक पत्रकारों के सवालों से उनका उखड़ जाना दिखाई देता है। यह वीडियो राजनीति में तनाव और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों के व्यवहार पर भी चर्चा का विषय बन गया है।
👉 संक्षेप में, यह घटना उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले की गई पत्रकार वार्ता के दौरान बी. सुदर्शन रेड्डी की प्रतिक्रिया है, जिसमें उन्होंने अपनी भूमिका को एक नैतिक संदेशवाहक के तौर पर स्पष्ट किया और राजनीतिक षड़यंत्र से खुद को अलग रखा।