छत्तीसगढ़
उपमुख्यमंत्री अरुण साव के निवास पर हरेली तिहार पर धूम…

पूजा-अर्चना की परंपरा….
- सुबह 10 बजे उन्होंने पत्नी के साथ मिलकर हल, कोढ़ाली, कुदारी जैसे कृषि औजारों की विधिपूर्वक पूजा की, जो इस पर्व की आत्मा है।
- पूजा के दौरान उनके चेहरे पर पारंपरिक श्रद्धा व आध्यात्मिक भाव स्पष्ट रूप से दिखे।

🐄 गाय को खिलाई आटे की लोंदी
- पूजा के बाद साव दंपति ने गायों को स्नान कराया और उन्हें आटे की लोंदी खिलाई, जिससे पशु कल्याण पर भी विशेष ध्यान दिया गया ।
- यह पारंपरिक रीति अनुवांशिक आस्था और कृषि पर निर्भर जीवन के साथ जुड़ी भावनाओं को दर्शाती है।

🎋 गेड़ी अनुभव और लोकजीवन
- इस दौरान उन्होंने गेड़ी (लकड़ी की ऊँची चलने की युक्ति) पर कुछ देर चलकर ग्रामीण मनोभावों का अनुभव लिया ।
- गेड़ी चलाना वर्षा ऋतु में गांव की मिट्टी में चलने की पारंपरिक जरूरत थी; लेकिन अब यह लोक उत्सव और बच्चों के खेल का संकेत बन चुका है।

उप मुख्यमंत्री के निवास में छत्तीसगढ़ी संस्कृति, लोक जीवन और पारंपरिक खानपान की शानदार झलक देखने को मिली। वहां पहुंचे अतिथियों और आमजनों का स्वागत छत्तीसगढ़ी व्यंजनों जैसे चौसेला, गुलगुला भजिया, बड़ा, टमाटर की चटनी आदि से किया गया। कार्यक्रम के दौरान उप मुख्यमंत्री ने शीशम का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया।
🧭 सारांश
क्रिया | विवरण |
---|---|
कृषि यंत्र पूजन | कृषि से जीवन का जुड़ाव, श्रद्धा व प्रतीकात्मक पूजा |
गायों की सेवा | पशु-कल्याण व समृद्धि का प्रतीक, आटे की लोंदी खिलाना |
गेड़ी चलाना | गांव की जीवन शैली व लोक-संस्कृति का अनुभव |
✅ निष्कर्ष
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने हरेली पर्व को केवल औपचारिक पूजा नहीं, बल्कि आत्मिक और पारंपरिक सकारात्मक संदेश के साथ मनाया—जिसमें कृषि, पशु रक्षा, लोक जीवन और ग्रामीण संस्कृति का समावेश है।