
📍 स्थान: रायपुर (छत्तीसगढ़)
🏛️ न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India)
👥 आरोपी: 12
⏱️ हिरासत अवधि: ढाई साल (लगभग 30 माह)
📅 फैसला: अक्टूबर 2025
🔹 क्या है ताज़ा अपडेट
महादेव ऑनलाइन सट्टा एप (Mahadev Online Book App) से जुड़े सभी 12 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है।
ये सभी आरोपी रायपुर सेंट्रल जेल में करीब ढाई साल से न्यायिक हिरासत में थे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सुनाते हुए कहा कि —
“जांच एजेंसियों द्वारा आवश्यक चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, आगे हिरासत में रखने का औचित्य नहीं बचता।”

🔸 जमानत पाने वाले प्रमुख आरोपी
- रितेश यादव
- भारत ज्योति
- विश्वजीत राय
- राहुल वकटे
- नीतीश दीवान
- भीम सिंह यादव
- अर्जुन यादव
- चंद्रभूषण वर्मा
- सतीश चंद्राकर
(कुल 12 आरोपी — सभी को राहत)
जेल प्रशासन को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आधिकारिक कॉपी प्राप्त होगी, सभी आरोपियों को रिहा कर दिया जाएगा।
🔹 कैसे शुरू हुआ था “महादेव ऐप”
🏗️ स्थापना वर्ष: 2016
👤 संस्थापक: सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और अतुल अग्रवाल
साल 2016 में महादेव बुक ऐप के नाम से यह ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया था।
शुरुआत में इसमें क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों पर दांव लगाया जाता था।
बाद में इस ऐप में पोकर, तीन पत्ती, वर्चुअल गेम्स और चुनावी परिणामों पर सट्टा तक जोड़ा गया।
🔸 ऐप का संचालन केंद्र दुबई से चलाया जाता था।
🔸 ऐप का दावा था — “आसान दांव लगाओ, त्वरित जीत पाओ।”
लेकिन असल में यह गैरकानूनी जुए और मनी लॉन्ड्रिंग का नेटवर्क था।
🔹 कैसे बढ़ा कारोबार
- लॉन्च के 3 साल में ऐप के यूज़र लगभग 12 लाख तक पहुंच गए।
- 2020 में महादेव ग्रुप ने हैदराबाद स्थित “रेड्डी अन्ना बुक” नामक एक और सट्टा प्लेटफॉर्म को ₹1,000 करोड़ में खरीद लिया।
- इसके बाद यूजर बेस 50 लाख के पार चला गया।
सट्टेबाजी में रोज़ाना लेन-देन का अनुमान — ₹200–₹250 करोड़ प्रतिदिन।
यह पैसा वॉट्सऐप, टेलीग्राम, ऑनलाइन वॉलेट्स और हवाला चैनल्स के ज़रिए घुमाया जाता था।
🔹 सिंडिकेट मॉडल से चलता था नेटवर्क
महादेव ऐप एक “फ्रेंचाइज़ी सिंडिकेट मॉडल” पर काम करता था।
भूमिका | कार्यप्रणाली |
---|---|
मुख्य ऑपरेटर (दुबई) | सर्वर, डोमेन और ट्रांजैक्शन कंट्रोल |
फ्रेंचाइज़ी पार्टनर (भारत) | स्थानीय ग्राहकों को जोड़ना |
एजेंट | ID बनवाना और दांव लगवाना |
कमीशन वितरण | 70% फ्रेंचाइज़ी को, 30% मुख्य नेटवर्क को |
इस सिंडिकेट में देशभर के सैकड़ों एजेंट और दलाल शामिल थे।
कमाई का बड़ा हिस्सा हवाला के माध्यम से दुबई और लंदन तक भेजा जाता था।
🔹 ईडी (ED) की कार्रवाई
साल 2022 में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस नेटवर्क पर शिकंजा कसना शुरू किया।
🕵️ ईडी के आरोप
- लगभग ₹6,000 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा
- सैकड़ों शेल कंपनियाँ और बेनामी संपत्तियाँ
- दुबई, श्रीलंका और नेपाल तक फैला हवाला नेटवर्क
- राजनीतिक संरक्षण और VIP इवेंट फंडिंग के आरोप
- ऐप के ज़रिए विवाह, इवेंट, फिल्म फाइनेंसिंग में धन शोधन
ईडी ने छत्तीसगढ़, मुंबई, हैदराबाद और दिल्ली में 100 से अधिक छापे मारे थे।
🔹 मुख्य गिरफ्तारियाँ और जेल यात्रा
2022–23 के दौरान छत्तीसगढ़ पुलिस और ईडी ने कुल 12 स्थानीय संचालकों को गिरफ्तार किया था।
ये वही लोग थे जो रिचार्ज आईडी, कस्टमर नेटवर्किंग और मनी कलेक्शन का काम देखते थे।
मुख्य आरोपी सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल अभी भी दुबई में फरार हैं — भारत ने Interpol Red Corner Notice जारी किया है।
🔹 सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा —
“आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है, चार्जशीट दाखिल है, और अभियोजन पक्ष ने कोई नया सबूत पेश नहीं किया है। इसलिए आगे हिरासत में रखना न्यायोचित नहीं।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि —
- जमानत देने का मतलब बरी करना नहीं है।
- जांच एजेंसी को मामले की सुनवाई के दौरान सबूत पेश करने की पूरी स्वतंत्रता होगी।
🔹 आगे की प्रक्रिया
- आदेश की प्रति रायपुर जिला अदालत को भेजी जाएगी।
- सभी आरोपियों को बॉन्ड भरने और शर्तों का पालन करने के बाद रिहा किया जाएगा।
- विदेश यात्रा और सट्टेबाजी नेटवर्क से संपर्क रखने पर रोक रहेगी।
⚠️ मामले का सारांश तालिका में
बिंदु | विवरण |
---|---|
मामला | महादेव ऑनलाइन सट्टा एप (Mahadev Book App) |
आरोपी | 12 (रायपुर जेल में बंद) |
संस्थापक | सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल, अतुल अग्रवाल |
संचालन केंद्र | दुबई |
अनुमानित मनी लॉन्ड्रिंग | ₹6,000 करोड़ |
जांच एजेंसी | प्रवर्तन निदेशालय (ED), आयकर विभाग |
सुप्रीम कोर्ट निर्णय | सभी 12 आरोपियों को जमानत |
जमानत का कारण | चार्जशीट दाखिल, जांच पूरी |
मुख्य आरोपी | अब भी फरार (दुबई में) |
🗣️ राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएं (संभावित)
- कांग्रेस ने कहा — “सरकार को बताना चाहिए कि महादेव नेटवर्क के असली मास्टरमाइंड को कब लाया जाएगा।”
- भाजपा नेताओं का मत — “जमानत का अर्थ निर्दोष नहीं, यह सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है।”