सुकमा
सुकमा में DRG, CRPF और STF की संयुक्त टीम ने आज सुबह एक उच्च स्तरीय नक्सल-विरोधी अभियान शुरू किया, जिससे इलाके में माओवादियों को भारी झटका लगा है।

सुकमा (छत्तीसगढ़) में DRG, CRPF और STF की संयुक्त टीम ने आज सुबह एक उच्च स्तरीय नक्सल-विरोधी अभियान शुरू किया, जिससे इलाके में माओवादियों को भारी झटका लगा है।

🔍 घटना का विस्तृत विवरण
🔸 ऑपरेशन की शुरुआत
- सुबह-सुबह सूचना प्राप्त होने पर संयुक्त सुरक्षा बलों—District Reserve Guard (DRG), Special Task Force (STF), और CRPF (CoBRA 210वीं बटालियन सहित)—ने सुकमा के एक घने, पहाड़ी क्षेत्र में नक्सली गढ़ाबंदी को तोड़ने के लिए अभियान प्रारंभ किया।
- यह ऑपरेशन लगातार जारी है और इसमें अभी भी कार्रवाई की जानकारी मिल रही है।
🔸 संघर्ष की स्थिति
- स्थानीय वन क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच तीव्र मुठभेड़ शुरू हो चुकी है। सुरक्षा बलों की कार्रवाई जारी है, और माओवादियों को भारी क्षति पहुँचाने की सूचना है।
🪖 पहले के हालिया ऑपरेशनों का परिप्रेक्ष्य
✅ वर्ष 2025 में मौजूदा सफलता
- छत्तीसगढ़ में अब तक इस साल कुल 225 नक्सलियों की मौत हुई है, जिनमें से 208 ही बस्तर संभाग में थे, जिसमें सुकमा भी शामिल है।
▶️ मई 2025 में Tumrel गांव ऑपरेशन
- Tumrel गाँव (सुकमा-बीजापुर सीमा) में एक ऑपरेशन में एक CoBRA कमांडो और एक नक्सली की मौत हुई थी।
- रिपोर्ट है कि कमांडो घायल भी हुए थे और IAF हेलीकॉप्टर के जरिए अस्पताल पहुँचाए गए।
▶️ जून 2025 में Dunampara Pusgunna मुठभेड़
- सुकमा जिले के Dunampara Pusgunna इलाके में दो वरिष्ठ नक्सली— Muchaki Baman (₹5 लाख का इनाम) और Anita Avalam—को सुरक्षा बलों ने मार गिराया ।
▶️ जून 11, 2025 की मुठभेड़
- इसी जिले में एक और मुठभेड़ हुई जिसमें दो नक्सली (एक महिला सहित) मारे गए, और INSAS राइफल, 12-बोर गन व विस्फोटक सामग्री बरामद हुई ।
📊 सारांश तालिका
पहलू | विवरण |
---|---|
🕵️ अभियान | आज सुबह सुकमा में DRG, STF और CRPF की संयुक्त टीम द्वारा शुरू मुठभेड़ |
🔥 स्थिति | मुठभेड़ جاری, नक्सलियों को भारी नुकसान |
📆 वर्ष 2025 (सियासत) | अब तक 225 नक्सली मारे गए; बस्तर संभाग में 208 मौतें |
🪖 हाल के सफलता | Tumrel (CoBRA कमांडो व नक्सली की मृत्यु), Dunampara Pus gunna में दो वरिष्ठ काडर का सफाया, INSAS व एचटी विस्फोटक बरामदगी |
🎯 समग्र प्रभाव एवं भविष्य की चुनौतियाँ
- वर्तमान अभियान से नक्सलियों की स्थानीय संरचना कमजोर हुई प्रतीत होती है।
- व्यापक रूप से, सरकार की “Naxal Free India by 2026” की दिशा में कदमों को बल मिला है।
- फिर भी, जंगलों और दुर्गम इलाकों में मोर्चा अभी खुला है — अवैध गतिविधियों की पुनः चेष्टा होने की आशंका बनी रहती है।