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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की…

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 अगस्त 2025 (राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती) पर सोशल मीडिया (X/फेसबुक) के माध्यम से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लिखा:
“‘हम कौन थे, क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी’ — यह आत्मबोध ‘पद्म भूषण’ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी की लेखनी का तेज था। संस्कृति, संवेदना और राष्ट्रनिष्ठा से समृद्ध उनकी कालजयी रचनाएं युगों तक हमें संस्कारित करती रहेंगी।”
📝 विस्तृत व्याख्या:
1. गुप्त जी की लेखनी में आत्मबोध का तेज
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुप्त जी की कविता की आत्म-साक्षात्कार (self-awareness) से भरपूर प्रकृति की ओर संकेत किया:
“हम कौन थे, क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी” — यह प्रश्न उनकी लेखनी में आत्मबोध का तेज प्रस्तुत करता है। - यानी कवि ने अपनी रचनाओं में न केवल व्यक्तिगत, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर स्व‑चेतना और आत्मनिरीक्षण को उजागर किया।
2. संस्कृति, संवेदना और राष्ट्रनिष्ठा से समृद्ध रचनाएँ
- योगी जी ने गुप्त जी की रचनाओं को संस्कृतिक, भावनात्मक और राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण बताया, जो पीढ़ियों को संस्कारित करती रहेंगी।
- उनकी साहित्यिक धरोहर को “युगों तक संस्कारित” बताकर उन्होंने इसकी सार्वकालिक महत्ता रेखांकित की।
3. कवि की महत्वपूर्ण जीवन–कृति विवरण
- मैथिलीशरण गुप्त (3 अगस्त 1886 – 12 दिसंबर 1964) हिंदी साहित्य में खड़ी बोली के प्रथम कवि थे। उन्हें “राष्ट्रकवि” की उपाधि महात्मा गांधी द्वारा प्रदान की गई और भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण (1954) से सम्मानित किया।
- उनकी प्रमुख रचनाओं में भारत‑भारती (1912), साकेत (1931), यशोधरा, जयद्रथ वध आदि शामिल हैं, जिनमें उच्च नैतिक मूल्यों, मानवता और राष्ट्रीय चेतना का भाव प्रमुख है। विशेषतः भारत‑भारती ने स्वतंत्रता आंदोलन में चेतना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

📌 सारांश:
विषय | विवरण |
---|---|
मुख्य बात | सीएम योगी ने गुप्त जी की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए रेखांकित किया कि उनकी लेखनी “आत्मबोध का तेज” लिए हुए है और उनकी रचनाएँ संस्कृति, संवेदना एवं राष्ट्रनिष्ठा से परिपूर्ण हैं। |
कवि की विशेषता | खड़ी बोली का प्रयोग, राष्ट्रीय चेतना का सशक्त प्रचार, नैतिकता एवं मानवता की अभिव्यक्ति। |
प्रमुख कृतियाँ | भारत‑भारती, साकेत, यशोधरा, जयद्रथ वध, आदि – स्वतंत्रता संग्राम में प्रेरणास्रोत। |
सम्मान | ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि (महात्मा गांधी से), पद्मभूषण सम्मान (1954)। |
सीएम योगी का यह संदेश न केवल कवि के साहित्यिक योगदान की प्रशंसा है, बल्कि उन मानवीय और राष्ट्रीय मूल्य‑संकटों की ओर भी संकेत करता है जो मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं में स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित होते हैं।