छत्तीसगढ़

राज्यपाल श्री रमेन डेका का गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिला प्रवास…

आज राज्यपाल श्री रमेन डेका का गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिला प्रवास क्या-क्या गतिविधियाँ और अहमियत रखता है, और दौरे का कार्यक्रम किस तरह सुविधानुसार संचालित होगा।

1) दौरे का संक्षेप कार्यक्रम (आज)

  • सुबह 11:30 बजे वे बैकुंठपुर (जिला कोरिया) से विश्राम गृह — गौरेला के लिए प्रस्थान करेंगे और दोपहर 1:00 बजे विश्राम गृह पहुँचकर दोपहर का भोजन करेंगे।
  • दोपहर 3:25 बजे विश्राम गृह से रवाना होकर 3:30 बजे कलेक्टर कार्यालय में प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक लेंगे। बैठक के बाद वे सड़क मार्ग से राजभवन, रायपुर के लिए प्रस्थान करेंगे।

2) यह दौरा किस संदर्भ में है

  • यह दौरा राज्यपाल के कई-जिला प्रवास कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में हो रहा है; वे 5–7 अक्टूबर के दौरान मुंगेली, कोरबा, सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया और जीपीएम का दौरा कर रहे हैं।
  • दौरे के दौरान राजभवन की टीम और स्थानीय प्रशासन मिलकर विकास-समीक्षा और क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा करते हैं — इसलिए यह दौरा प्रशासनिक निगरानी और लोकल प्रतिनिधियों से संवाद का मौका माना जाता है।

3) दौरे के दौरान संभावित कार्यक्रम / बैठक का एजेंडा (व्यावहारिक अनुमान)
(ये बिंदु पिछले समान दौरे और आधिकारिक रिव्यू के अनुभव के आधार पर अनुमानित हैं — वास्तविक एजेंडा कलेक्टर कार्यालय की सूची पर निर्भर करेगा) —

  • जिला के प्रमुख विकास-परियोजनाओं और फंड उपयोग की समीक्षा;।
  • स्थानीय प्रशासन (कलेक्टर एवं विभागीय प्रमुख) से कानून-व्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधन वितरण की स्थिति पर रिपोर्ट-लेना।
  • नगरीय और त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श, तथा आवश्यक निर्देश/अनुरोध देना।

नोट: उपर्युक्त बिंदु अनुमान हैं — परंपरागत रूप से ऐसे जिला प्रवासों में यही मुद्दे उठते हैं।

4) लोकप्रतिनिधियों और स्थानिक कार्यक्रम

  • दौरे के दौरान राज्यपाल ने स्थानीय प्रतिनिधियों (जैसे—मरवाही के विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि) से मिलने और ईको-हिल रिसॉर्ट धरमपानी में कार्यक्रमों में शिरकत करने का भी कार्यक्रम रखा है — स्थानीय नेताओं के साथ संवाद और शासकीय योजनाओं की समीक्षा शामिल रहेगी।

5) पर्यावरण-और सामाजिक संकेत (पिछले दौरे के संकेत)

  • पहले के दौरे/रिव्यू के समय राज्यपाल ने जिले के परिसर में “एक पेड़ — मां के नाम” जैसे प्रशासकीय/पर्यावरण अभियानों का समर्थन भी किया है (रूद्राक्ष का पौधा रोपना जैसे कार्यक्रम)। ऐसे इवेंट स्थानीय जागरूकता और पर्यावरण संदेश के लिए उपयोग किए जाते हैं।

6) गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिला — संक्षेप पृष्ठभूमि (क्यों अहम है)

  • GPM जिला 2020 के बाद निर्मित नया जिला है, इसका मुख्यालय गौरेला है और यह बिलासपुर डिवीजन के अंतर्गत आता है; अचनाकमार जैसे वन/टाइगर रिज़र्व और वन-क्षेत्र होने के कारण पर्यावरण, वन्यजीव और आदिवासी कल्याण के मुद्दे यहाँ संवेदनशील बने रहते हैं। यही कारण है कि ऐसे प्रवासों में विकास-समीक्षा के साथ पर्यावरण और वन संबंधी विषय भी दिखाई देते हैं।

7) मीडिया/जनसम्पर्क और जनता के लिए क्या उम्मीद रखें

  • आम तौर पर ऐसे दौरे पर स्थानीय मीडिया और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहते हैं; बैठक के बाद प्रशासनिक निर्देश/बयान जारी किये जा सकते हैं और राजभवन की प्रेस नोट/सोशल-पोस्ट द्वारा दौरे का संक्षेप उपलब्ध होगा। यदि आप चाहें तो मैं उन आधिकारिक पोस्ट/नोट्स के लिंक और प्रेस-रिलीज़ का संक्षेप अभी खोजकर दे दूँ।

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