छत्तीसगढ़
राज्य में आदिवासी और दलितों के योगदान को मान्यता देते हुए, एक डिजिटल आदिवासी संग्रहालय का उद्घाटन हुआ,,,,

जहाँ आदिवासी‐स्वतंत्रता सेनानियों की गाथाएँ संरक्षित की जाएँगी।
यह भारत का पहला डिजिटल आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय है, जिसे नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर 2025 को नवा रायपुर (छत्तीसगढ़) में उद्घाटित किया।
📍 प्रमुख तथ्य
- निर्माण लगभग ₹50 करोड़ की लागत से हुआ, लगभग 10 एकड़ भूमि पर स्थित।
- संग्रहालय का उद्देश्य है: छत्तीसगढ़ की आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों-वीरों के बलिदान, आन्दोलन और संस्कृति को आधुनिक डिजिटल माध्यमों से संरक्षित करना।
- नाम: वीर नारायण सिंह — सोनाखान के जमींदार, जिन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम शहीद माना जाता है।

🖼️ क्या-क्या विशेषताएँ हैं
- डिजिटल एवं इंटरैक्टिव तकनीक: वीएफएक्स, प्रोजेक्शन मैपिंग, इंटरेक्टिव स्क्रीन, QR कोड स्कैनिंग आदि।
- थीमेटिक गैलरी: लगभग 14 प्रमुख आदिवासी विद्रोहों को 14 सेक्टर/गैलरी में प्रस्तुत किया गया है — जैसे हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, मुरिया विद्रोह, रानी चौरिस आदि।
- परिसर एवं स्थापत्य: संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर सरगुजा के कलाकारों द्वारा नक्काशीदार पैनल, साल-महुआ-साजा वृक्ष की प्रतिकृतियाँ, डिजिटल पत्तियाँ जो विद्रोहों की कहानियाँ सुनाती हैं।
- सुविधाएँ: दिव्यांग व वरिष्ठ नागरिकों के लिए पहुँच, सेल्फी प्वाइंट, दुकानों में आदिवासी कला-शिल्प की बिक्री की व्यवस्था।
🎯 महत्व / प्रभाव…..
- यह संग्रहालय आदिवासी इतिहास और संस्कृति को प्रमुखता देने का संकेत है — उन वीरों की जिनकी कहानियाँ अक्सर मुख्यधारा में कम-जानी-पढ़ी रही।
- आधुनिक तकनीक (डिजिटल, इमर्सिव) के माध्यम से युवा-पीढ़ी को आकर्षित करना और उन्हें इतिहास से जुड़ने का अनुभव देना।
- छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों की गौरव-विरासत को सम्मान देना — यह सामाजिक समावेशन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
- पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के नए अवसर खोलना — यह सिर्फ संग्रहालय नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र बनने की दिशा में कदम है।



