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राहुल गांधी ने Begusarai रैली में Narendra Modi पर हमला किया, कहा कि मोदी वोट के लिए “योगासन” कर लेता है लेकिन चुनाव के बाद उद्योगपतियों के आगे नाचता है।

रैली में दिए गए बयान — प्रमुख अंश…..

  • राहुल गांधी ने कहा कि Narendra Modi “वोट पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं” — उन्होंने इसे इस तरह व्यक्त किया: “उन्हें (मोदी को) कह दो कि ‘योगासन करो’ — वह कुछ आसन कर लेंगे।”
  • उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी के निर्णय उद्योगपतियों — Gautam Adani और Mukesh Ambani — के पक्ष में हैं, जबकि छोटे व्यवसायों और आम जनता की उपेक्षा हो रही है।
  • रैली में उन्होंने यह संदर्भ भी दिया कि भारत-पाकिस्तान के बीच एक प्रतिक्रिया (उदा. Operation Sindoor) के बाद मोदी “पैनिक अटैक” का शिकार हुए थे, और उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump को एक हस्तक्षेपकर्ता बताया।
  • उन्होंने यह कहा कि मोदी युवाओं को “रील्स देखने” को प्रेरित कर रहे हैं ताकि वे बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दों पर सवाल न उठाएँ।

🔍 इस बयान के मायने और राजनीतिक संदर्भ

  • यह बयान बिहार की विधानसभा चुनाव-प्रचार के दौरान दिया गया है, जहाँ प्रतिद्वंद्वी दलों के बीच रणनीतिक हमले और जवाब-हमले तेज हैं।
  • राहुल का यह तर्क है कि केंद्र की सरकार केवल कुछ बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुँचा रही है, जबकि छोटे व्यवसायों, युवाओं और आम जनता की समस्याएँ — जैसे बेरोजगारी, महंगाई — अनसुलझी हैं।
  • “योगासन” और “डांस” जैसे शब्दों का इस्तेमाल प्रतीकात्मक रूप से किया गया है — यह यह इंगित करता है कि मोदी जी वोट-प्राप्ति के लिए हर संभव माध्यम अपना सकते हैं, भले वह प्रतीकात्मक हो।
  • उद्योगपतियों के नाम लेकर भागीदारी का आरोप यह दिखाने की कोशिश है कि नीति-निर्माण, प्रमुख निर्णय और सत्ता-गत नियंत्रण “निजी स्रोतों” द्वारा प्रभावित हो सकते हैं — जिसे विपक्ष ‘क्रोनीकैपिटलिज्म’ कह रहा है।
  • चुनावी माहौल में यह बयान विवादित भी बन सकता है क्योंकि इसमें सेना, विदेश नीति (Operation Sindoor) और राष्ट्रीय-सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषयों को छुआ गया है।

⚠️ नियंत्रण और आलोचनाएँ

  • इस तरह के निशानेबाजी वाले बयान राजनीतिक रूप से दो-धारी तलवार होते हैं — जहाँ समर्थन को जुटाने की कोशिश होती है, वहीं प्रतिद्वंद्वी इसे भड़काऊ, अपमानजनक या विभाजनकारी कहकर हमला कर सकते हैं।
  • बीजू विपक्षी दलों (विशेष रूप से Bharatiya Janata Party) ने पहले भी राहुल गांधी के द्वारा “डांस”, “वोट-चोरी” जैसे आरोपों पर आपत्ति जताई है और शिकायतें दर्ज कराई हैं।
  • मीडिया और राजनीतिक विश्लेषक इस तरह के बयानों को मेसेजिंग रणनीति के रूप में देख रहे हैं — जहाँ जनता की आम चिंता (रोज़गार, महंगाई) को बिंदु बना कर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

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