आस्था
पाट जात्रा रस्म से प्रारंभ हुआ विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा…

- 24 जुलाई 2025 (हरेली अमावस्या) को जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर के सामने ग्राम बिलोरी से लाए गए ठुरलू खोटला (साल की लकड़ी) की विधिपूर्वक पूजा की गई—यही ‘पाट जात्रा’ का मुख्य अनुष्ठान है
- इस लकड़ी का उपयोग बाद में विशाल रथ निर्माण के लिए पारंपरिक औजार तैयार करने में होता है।

उत्सव की अवधि और संरचना
- बस्तर दशहरा एक विश्वप्रसिद्ध त्यौहार है, जो आम तौर पर 75 दिनों तक चलता है, लेकिन कभी-कभार यह 107 दिन का भी हो जाता है—यह निर्भर करता है पंचांग और स्थानीय शासकीय निर्णय पर
- यह पर्व 15वीं सदी से चली आ रही महाराजा पुरुषोत्तम देव द्वारा स्थापित परंपरा को जारी रखता है

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- बस्तर दशहरा रामायण से प्रेरित पर्व नहीं है और इसमें रावण दहन नहीं होता; बल्कि यह लोक एवं आदिवासी रीति-रिवाजों और देवी दंतेश्वरी की पूजा को केन्द्रित करता है ।
- देवी दंतेश्वरी को आदिवासी समुदायों की प्रमुख देवी माना जाता है, और यह पर्व उन्हें समर्पित है
मुख्य प्रमुख रस्में
बस्तर दशहरा में कुल लगभग 13 विधान होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- डेरी गढ़ाई पूजा,
- काछन गाड़ी (Kachan Gadi), जिसमें शिविरस्थल पर देवी से अनुमति ली जाती है,
- कांचा जात्रा,
- निशा जात्रा,
- मुरिया दरबार,
- और अंत में देवी विदाई की रस्म जिसे ‘मावली माता विदाई’ कहा जाता है ।
रथ निर्माण और परिक्रमा
- रस्मों के बाद जंगलों से लाई गई लकड़ियों से ग्रामीणों द्वारा 10 दिनों तक पारंपरिक तरीके से रथ निर्माण किया जाता है ।
- इस दौरान दो प्रकार के रथ तैयार होते हैं—फूल रथ (4 पहिये) और विजय रथ (8 पहिये)—जो दशहरा के अंतिम दिनों में खींचे जाते हैं ।
मर्यादा और समृद्ध लोकधर्म
- यह पर्व 615 वर्ष पुरानी परंपरा से चलता आ रहा है, जिसमें बस्तर के राजघराने और आदिवासी समाज दोनों की भागीदारी होती है ।
- विशेष रूप से, उनके धार्मिक विश्वास के अनुसार कांटों से बने झूले पर देवी को झूलना, देवी सवारी, और लोकनृत्य जैसे पहलू शामिल हैं।
✅ सारांश तालिका
पहलू | विवरण |
---|---|
⭐ प्रारंभ | 24 जुलाई 2025 को पाट जात्रा रस्म से |
⏳ अवधि | लगभग 75–107 दिन |
👑 इतिहास | महाराजा पुरुषोत्तम देव द्वारा शुरू — 15वीं सदी |
🌾 मुख्य देवता | देवी दंतेश्वरी (राम/रावण कथा नहीं) |
🔔 रस्में | पाट जात्रा, डेरी गढ़ाई, काछन गाड़ी, रथ निर्माण, मुरिया दरबार इत्यादि |
🚝 रथ | 4 और 8 पहियों वाले त्रिमूर्ति रथ पर देवी की यात्रा |
🎭 सांस्कृतिक महत्व | आदिवासी धर्म, लोककला, राजपरिवार की परंपरा |
बस्तर दशहरा न केवल छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक गौरव है, बल्कि दुनिया का सबसे लंबा दशहरा माना जाता है—इसमें रावण दहन की जगह रथ यात्रा को महत्व मिला है। यह त्योहार आदिवासी जीवन, देवी सपूजन और ग्रामीण विश्वासों का जीवंत परिचायक है।