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ऑनलाइन सट्टेबाजी में छत्तीसगढ़ नंबर 1 पर, 

NCRB (Crime in India — 2023) की हालिया डेटा-रिलीज़ की स्थानीय मीडिया रिपोर्टिंग के अनुसार छत्तीसगढ़ में ‘ऑनलाइन सट्टेबाजी/जुए’ से जुड़े FIRs की संख्या 52 आकर इसे राज्यवार रैंकिंग में पहले स्थान पर दिखाती है (दूसरे पर मध्यप्रदेश ~11, तीसरे पर महाराष्ट्र ~10 के साथ)। यह राष्ट्रीय स्तर पर रिपोर्ट की गई साइबर-और डिजिटल अपराधों की तेज़ वृद्धि की पृष्ठभूमि में आया है।

NCRB (2023) — राष्ट्रीय कंटेक्स्ट (मुख्य बिंदु)

  • पूरे देश में Crime in India-2023 ने कुल अपराधों और खासकर साइबर क्राइम में बड़ी उछाल दर्शाई है (साइबरक्राइम के मामलों में बड़े इज़ाफ़े की रिपोर्ट)। ये राष्ट्रीय-स्तरीय आँकड़े यह बताते हैं कि डिजिटल/ऑनलाइन अपराध बढ़ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ का आँकड़ा — रिपोर्ट में क्या दिखा और क्या नोट करें

  • स्थानीय/राष्ट्रीय समाचारों के मुताबिक़ छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी/जुए के 52 FIR दर्ज हुए — इसीलिए राज्य उस कैटेगरी में शीर्ष पर दिख रहा है। कई स्थानीय समाचार-पोर्टल यही आँकड़ा दे रहे हैं।
  • यह ध्यान रखें कि NCRB-आधारित रिपोर्ट आम तौर पर पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIRs पर आधारित होती है — इसलिए कोई राज्य किसी अपराध में ऊपर दिखे तो उसकी दो सम्भव व्याख्याएँ हो सकती हैं: (a) वहाँ असल में उस अपराध का दायरा ज़्यादा है, या (b) वहाँ पुलिस-रिपोर्टिंग/जाँच गतिविधि अधिक सक्रिय है, इसलिए ज्यादा FIR दर्ज हो रही हैं। (NCRB आँकड़ों के विश्लेषक इसी तरह की सावधानी बताते हैं)।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ (आपके लेख में बताए अनुसार)

  • BJP (केदार/केदारनाथ गुप्ता) — कथित तौर पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने NCRB के आँकड़े का हवाला देकर आरोप लगाया कि ये “जड़ें” पिछली (कांग्रेस/भूपेश) सरकार के दौरान पनपी थीं और अब भाजपा सरकार उन्हें उखाड़ रही है; उन्होंने आशा जताई कि यह ग्राफ जल्द नीचे जाएगा।
  • Congress (विनोद तिवारी) — कांग्रेस प्रवक्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि जिन ऑनलाइन-सट्टा प्लेटफ़ॉर्म्स का ज़िक्र है वे अक्सर केंद्र के दायरे (इंटरनेट/सरवर/इंटर-स्टेट सर्वर) में आते हैं और इसलिए केंद्र सरकार को कदम उठाकर इन्हें बंद करना चाहिए; साथ ही उन्होंने भूपेश-शासन के दौरान हुई कार्रवाई (कई सैकड़ों पर कार्रवाई/एफआईआर के दावे) और पीएम को पत्र भेजने का हवाला भी दिया — इन्हीं बिंदुओं पर दोनों दलों का तकरार सामने आया है।

पृष्ठभूमि — ‘Mahadev’ जैसे केस और केंद्रीय जांच एजेंसियाँ

  • पिछले साल-से-इस साल महादेव (Mahadev) सट्टा-ऐप जैसे बड़े नेटवर्कों की खबरें और उन पर ED/CBI/राज्य पुलिस की कार्रवाइयाँ चल रही हैं; कुछ मामलों को CBI/ED ने संभाला है और उन अप्प/ऑपरेटरों के खिलाफ मल्टी-स्टेट कार्रवाई हुई है। इसलिए छत्तीसगढ़ में दर्ज FIRs और जांचें उस व्यापक नेशनल/मल्टी-स्टेट पृष्ठभूमि से जुड़ी हुई हैं.

कानूनी और प्रशासनिक ज़िम्मेदारी — राज्य बनाम केंद्र

  • बेहद महत्वपूर्ण: जुआ/सट्टेबाजी पर कानून-विधि का बुनियादी ढाँचा ज्‍यादातर State List का विषय है — यानी राज्यों के पास अपने कानून और प्रवर्तन के उपाय होते हैं (उदाहरण: छत्तीसगढ़ की अपनी Gambling (Prohibition) Act)। पर केंद्र के पास भी इंटरनेट-ब्लॉकिंग (MeitY), वित्तीय जांच (ED), और राष्ट्रीय जांच (CBI) जैसी शक्तियाँ हैं — साथ ही हालिया नये दंड और नियम (जैसे Bharatiya Nyaya Sanhita/अन्य केंद्रीकृत प्रावधान) भी लागू होते रहे हैं — इसलिए अक्सर राज्य-और-केंद्र दोनों ही मामलों में एक साथ सक्रिय होते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने केंद्र से ऐप्स ब्लॉक करने की माँग की है और दूसरी तरफ़ राज्य-स्तरीय FIRs भी दर्ज होते हैं।

आंकड़ों की व्याख्या — क्या मानें, क्या सावधानी बरतें

  1. ’52 FIR’ का मतलब सीधे-सीधे यह भी नहीं कि छत्तीसगढ़ सबसे ज़्यादा सट्टा-खेल रहा है — हो सकता है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने महादेव/अन्य ऐप नेटवर्क पर अधिक सक्रियता दिखाई अतः ज़्यादा FIR दर्ज हुईं।
  2. NCRB आँकड़े FIR/रिपोर्टिंग-आधारित होते हैं; अलग-अलग राज्यों की रिपोर्टिंग-प्रैक्टिस, पुलिस-एक्टिविटी, और तकनीकी पहचान क्षमता में अंतर आँकड़ों को प्रभावित कर सकता है — इसलिए पैमाने को समझते समय ये सीमाएँ ध्यान में रखें।

आगे क्या होने की उम्मीद रखी जा सकती है (संक्षेप)

  • महादेव जैसे मामलों पर CBI/ED की तफ्तीश/छानबीन और अधिक गहरी हो सकती है; केंद्र (MeitY/IT नियम) के जरिए ऐप-ब्लॉकिंग और फ़ाइनेंशियल ट्रेसिंग के जरिए पैसे के रूट ट्रेस किए जा सकते हैं; साथ ही राज्य-पुलिसें लोकल नेटवर्क और कॉल-सेंटर जैसे संचालन पर रेड कर सकती हैं — इसलिए खबरों में आगे गिरफ्त्तियाँ/CBI/ED की कार्रवाईं दिख सकती हैं। (ये संभावनाएँ हैं, न कि पक्की भविष्यवाणी)।

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