बिज़नेस (Business)
निर्यात की स्थिति स्थिर बनी हुईभारत की वस्तु निर्यात ने H1 FY26 में करीब US$ 220 बिलियन का लक्ष्य बनाए रखा है, हालांकि ग्लोबल माहौल चुनौतीपूर्ण रहा है।

यह संकेत देता है कि निर्यात-सेक्टर ने दबाव में भी कुछ हद तक संतुलन बनाए रखा है।
निर्यात की स्थिति क्यों स्थिर बनी हुई है — विस्तार
- मजबूत आधार और विविध (diversified) निर्यात बेस
- भारत का निर्यात अब सिर्फ पारम्परिक कृषि उत्पाद या टेक्सटाइल तक सीमित नहीं है — इंजीनियरिंग गुडल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों में भी भारत का एक्सपोर्ट बेस काफी मजबूत और विविध होता जा रहा है।
- इस विविधता की वजह से, एक या दो मार्केट में गिरावट चली आए, तो भी कुल निर्यात को बहुत ज़्यादा नुकसान नहीं होता — क्योंकि अन्य क्षेत्रों में संतुलन बना रहता है।
- सरकारी और नीतिगत सहायता
- भारत सरकार की एक्सपोर्ट-प्रोमोशन नीति, जैसे एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स (EPCG), मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (MAI), और अन्य योजनाएं, निर्यात उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद कर रही हैं।
- इसके साथ-साथ, “Make in India” और PLI-स्कीम (Production-Linked Incentive) भी भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे मुनाफेवाले सेक्टर में निर्यात टिकाऊ हो रहा है।
- अर्थव्यवस्था की आंतरिक मजबूती और मुद्रास्फीति का नियंत्रण
- भारत में थोक (WPI) और उपभोक्ता कीमतों (CPI) दोनों में कुछ कमी देखी जा रही है, जिससे लागत दबाव थोड़ा कम हो रहा है।
- कम लागत और बेहतर इनपुट कंट्रोल से एक्सपोर्ट कम महंगे उत्पादन कर पाता है, जिससे प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहती है।
- निर्यात लक्ष्य और आत्मविश्वास
- निर्यातकों और व्यापार संगठनों (जैसे FIEO) का अनुमान है कि FY26 में निर्यात बहुत पुष्ट रहेगा।
- SBI रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक़, H1 FY26 में निर्यात में वास्तविक वृद्धि दर्ज हुई है — यह संकेत है कि निर्यात सेक्टर “दबाव में आने पर भी टूट नहीं रहा”।
- Exim Bank ने Q2 (FY26 के जुलाई-सितंबर) के लिए भी निर्यात अच्छी उम्मीदों के साथ प्रोजेक्ट किया है।
- निर्यात-घाटे (Trade Deficit) में कुछ सुधार
- H1 FY26 में कुल निर्यात और आयात की रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार घाटा कुछ हद तक नियंत्रित रहा।
- यह दिखाता है कि जबकि आयात भी बढ़ रहा है, भारत निर्यात बढ़ाने में सफल रहा है ताकि घाटे को अच्छे स्तर पर रख सके।

चुनौतियाँ और जोखिम (जो निर्यात को आगे प्रभावित कर सकते हैं)
- वैश्विक मांग में अनिश्चितता: वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ग्लोबल मंदी (slowdown) एक्सपोर्ट के लिए जोखिम बने रह सकती है।
- टैरिफ और ट्रेड नीति में अनिश्चितता: विदेशी मार्केट में तकनीकी और गैर-टैरिफ बाधाओं (non-tariff barriers) की चुनौतियाँ हैं। उदाहरण के लिए, FIEO ने यूरोपीय संघ (EU) की नई डिजिटल उत्पाद पासपोर्ट (Digital Product Passport) नियमों को एक जोखिम बताया है।
- भौगोलिक और राजनीतिक तनाव: वैश्विक जियो-राजनीतिक अस्थिरता निर्यात चेन को प्रभावित कर सकती है, जिससे लागत बढ़ सकती है या मांग गिर सकती है।
- नीति-कार्यान्वयन का जोखिम: जहाँ नीतियाँ बहुत महत्वाकांक्षी हैं, वहाँ उनकी पूरी तरह से लागू होने की चुनौतियाँ हो सकती हैं (छोटे निर्यातकों के लिए अनुपालन लागत इत्यादि)।
निष्कर्ष (Summary)
- कुल मिलाकर, “निर्यात की स्थिति स्थिर बनी हुई” का मतलब है कि भारत ने और निर्यातकों ने काफी मजबूत ढांचा तैयार किया है, जो वैश्विक संकटों के बावजूद काम कर रहा है।
- सरकार की नीतियाँ, निर्यातकों की रणनीतियाँ, और उत्पादन क्षमता ने निर्यात को समर्थन दिया है।
- लेकिन जोखिम अभी बने हुए हैं और निर्यात को आगे बढ़ाने के लिए भारत को इन जोखिमों (जैसे ग्लोबल नीति, मांग में गिरावट) पर लगातार नज़र रखनी होगी।



