
🔹 मामला क्या है?
- पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर (भाजपा) ने हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा।
- पत्र में उन्होंने कोरबा कलेक्टर को हटाने की मांग की।
- चेतावनी दी कि अगर 3 दिन में कलेक्टर नहीं हटे, तो शासन-प्रशासन के खिलाफ धरना देंगे।
👉 इस पत्र ने भाजपा की अंदरूनी स्थिति को लेकर चर्चाएँ तेज़ कर दीं।

🔹 भूपेश बघेल का कटाक्ष (रायपुर से रवाना होते समय बयान)
- पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने मीडिया से चर्चा में कहा:
- भाजपा नेता कांग्रेस पर तो बड़े आरोप लगाते हैं, लेकिन भाजपा के भीतर वरिष्ठ नेता (कंवर) की स्थिति देखिए।
- याद दिलाया कि पहले भी एक कार्यक्रम में राज्यपाल और कलेक्टर बैठे थे, और ननकीराम कंवर खड़े रहे थे।
- अब सबकी निगाहें होंगी कि कंवर के अल्टीमेटम पर भाजपा और सरकार का क्या रुख रहता है।
🔹 अन्य मुद्दों पर भूपेश बघेल के बयान
🏛 GST 2.0 (22 सितम्बर से लागू)
- बोले कि केंद्र सरकार ने गलत जीएसटी लगाकर 8 साल तक देश को लूटा।
- जनता की आय घट गई और 8 साल बाद सरकार को समझ आया।
- “पहले कांग्रेस यही बातें कहती थी, अब भाजपा सरकार खुद वही भाषण दे रही है — महंगाई घटेगी, राहत मिलेगी।”
🐄 गौ हत्या व बीफ निर्यात
- 2014 में भारत बीफ निर्यात में 9वें स्थान पर था।
- अब भारत 2वें स्थान पर पहुँच गया है।
- आरोप: भाजपा गौ माता के नाम पर वोट लेती है और गौ मांस निर्यात करने वालों से फंड (चंदा) लेती है।
🗳 कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) बैठक, पटना
- आजादी के बाद पहली बार बिहार के पटना में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की विस्तारित बैठक हो रही है।
- बिहार में चुनावी माहौल को देखते हुए बैठक बेहद महत्वपूर्ण।
- राहुल गांधी की हाल की 16 दिन की “वोट चोरी यात्रा” का भी इसमें असर है।
- बैठक में छत्तीसगढ़ से शामिल नेता:
- भूपेश बघेल (पूर्व CM)
- दीपक बैज (प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष)
- ताम्रध्वज साहू (पूर्व मंत्री)
- फूलोदेव नेताम (पूर्व मंत्री)
✨ सार
- ननकीराम कंवर का पत्र भाजपा की आंतरिक खींचतान का संकेत माना जा रहा है।
- भूपेश बघेल ने इसे भाजपा पर कटाक्ष करने का मौका बना लिया।
- साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों (GST, महंगाई, बीफ निर्यात) और कांग्रेस की तैयारियों (पटना CWC बैठक) पर भी अपनी राजनीतिक धार तेज़ की।
👉 यह पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि कांग्रेस, भाजपा की आंतरिक असहमति का राजनीतिक हथियार बनाने में जुटी है, जबकि भाजपा को अब यह तय करना होगा कि ननकीराम कंवर जैसे वरिष्ठ नेता की नाराज़गी को कैसे संभाला जाए।