मुख्यमंत्री जी! कब जागेगा आपका सिस्टम?

मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री जी! कब जागेगा आपका सिस्टम? – क्या पंचायतों में पनपता भ्रष्टाचार’ आपकी गवर्नेंस मॉडल की असली तस्वीर है?
जिला प्रशासन की चुप्पी – क्या यही है आपका सुशासन, जहां भ्रष्ट रोजगार सहायक बेलगाम है?
सिवनी की जमुनिया पंचायत में खुलेआम लूट, फर्जीवाड़ा, कब्जा और पद का दुरुपयोग – और आपका पूरा प्रशासन मूक दर्शक!
“जीरो टॉलरेंस” की बात करने वाले मुख्यमंत्री मोहन यादव क्या इस खबर को देखेंगे? क्या उन्हें ये दिखेगा कि सिवनी जिले की एक पंचायत में सुशासन का नहीं, बल्कि ‘भ्रष्ट तंत्र’ का राज चल रहा है?
यह रिपोर्ट सिर्फ एक भ्रष्ट कर्मचारी की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की पोल खोलती है।

“मध्यप्रदेश में सुशासन की दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री मोहन यादव क्या कभी सिवनी की जमुनिया पंचायत की तरफ नज़र डालेंगे? जहां एक अदना-सा रोजगार सहायक पूरे सिस्टम को ठेंगा दिखाकर न सिर्फ शासन की योजनाओं को लूट रहा है, बल्कि अधिकारियों की चुप्पी इस बात की गवाही दे रही है — कि ये भ्रष्टाचार अब व्यक्तिगत नहीं, संरक्षित है।”
“सिवनी की जमुनिया पंचायत… जहां रोजगार सहायक सुशील डेहरिया ने शासन की योजनाओं को अपने परिवार की संपत्ति समझ लिया। पीएम आवास योजना से लेकर सरकारी ज़मीन तक — सब कुछ लूटा गया… और सिस्टम चुप है।”
“एक ही समग्र आईडी पर मां और पत्नी को आवास — वो भी तब जब सरकारी सेवक के परिजन योजना के लिए पात्र ही नहीं! क्या ये नहीं है खुला फर्जीवाड़ा?”
“आंगनबाड़ी चयन प्रक्रिया में भी खेल — फर्जी बीपीएल कार्ड बना पत्नी को नौकरी दिला दी। असली हकदार बाहर… रसूखदार अंदर!”
“अब ज़रा सुनिए सबसे बड़ा खुलासा — ग्राम की शासकीय ज़मीन पर खुद का खेत बना डाला! गेहूं बो दिया… जांच हुई… अवैध कब्जा साबित हुआ… लेकिन मिला क्या? सिर्फ 8000 रुपये का जुर्माना — वो भी आज तक वसूला नहीं गया!”
“और अब ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। जिला पंचायत सदस्य नितिन डेहरिया एवं जनपद सदस्य लोकेश ठाकुर सहित गांव के सैकड़ों लोगों ने मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों ने सीधा ऐलान कर दिया — कार्रवाई नहीं हुई तो करेंगे जिला पंचायत का घेराव!”
“लोग पूछ रहे हैं — आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है इस भ्रष्ट रोजगार सहायक को? शिकायतें, जांच रिपोर्ट, वीडियो, सबूत — सब कुछ मौजूद है, लेकिन कार्रवाई ‘शून्य’।”
“मुख्यमंत्री जी, ये है आपके ‘भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन’ का असली चेहरा? क्या सुशील डेहरिया जैसे लुटेरे कर्मचारी और उसे संरक्षण देने वाले अफसर आपके ‘मॉडल गवर्नेंस’ का हिस्सा हैं?” क्या अब भी आंखें मूंदे बैठे रहेंगे? क्या आपकी सरकार का केवल भाषणों तक सीमित है?
जनता पूछ रही है —
क्या सुशील डेहरिया पर एफआईआर होगी?
क्या सीईओ पवार नवजीवन पर कार्रवाई होगी?
या फिर जनता खुद सड़क पर उतरकर न्याय मांगेगी?”