छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जैन समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य भेंट की।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित उनके निवास कार्यालय में जैन समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य भेंट की। यह मुलाकात सामाजिक सौहार्द, धार्मिक संरक्षण और सांस्कृतिक योगदान के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

🔷 प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन शामिल था:
- राज्य और स्थानीय स्तर के जैन समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी
- साधु-संतों के प्रतिनिधि
- युवा संगठन के सदस्य
- सामाजिक कार्यकर्ता एवं व्यापारी वर्ग
🔶 चर्चा के मुख्य विषय:
- जैन तीर्थ स्थलों का संरक्षण
प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित प्राचीन जैन तीर्थ स्थलों, जैसे कि कुंडलपुर, डोंगरगढ़, रायगढ़ और बिलासपुर आदि की स्थिति का विवरण प्रस्तुत करते हुए उनके विकास और संरक्षण की मांग की। - धार्मिक आयोजनों के लिए सहयोग
उन्होंने आगामी पारसनाथ यात्रा, महावीर जयंती, पर्युषण पर्व जैसे धार्मिक आयोजनों में शासन से सहयोग की अपील की। - जैन धर्म के अहिंसा और शाकाहार सिद्धांत को प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया कि शासकीय मंचों पर अहिंसा, संयम, और शुद्ध शाकाहार को बढ़ावा दिया जाए। - शैक्षणिक और स्वास्थ्य परियोजनाओं को बढ़ावा देने
प्रतिनिधिमंडल ने जैन समाज द्वारा संचालित स्कूलों, छात्रावासों और चिकित्सालयों को शासन की योजनाओं से जोड़ने की मांग की।
🌿 मुख्यमंत्री श्री साय की प्रतिक्रिया:
- मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए जैन समाज के सदियों से चले आ रहे त्याग, तप और सेवा भावना की सराहना की।
- उन्होंने कहा कि जैन समाज छत्तीसगढ़ के सामाजिक ताने-बाने का एक मजबूत स्तंभ है, जिसने व्यापार, शिक्षा, सेवा और संस्कृति के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है।
- श्री साय ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार जैन तीर्थ स्थलों और धार्मिक आयोजनों को पूर्ण सहयोग देगी।
✅ निर्णय और आश्वासन:
- जैन तीर्थ विकास हेतु विशेष निधि पर विचार किया जाएगा।
- धार्मिक पर्यटन सर्किट में जैन स्थलों को शामिल करने की दिशा में कार्य होगा।
- संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजनों को समर्थन मिलेगा।
📸 कार्यक्रम की झलकियाँ:
- प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा एवं शाकाहार-संयम का प्रतीक साहित्य भेंट किया।
- मुख्यमंत्री ने सभी को पर्यावरण संतुलन, धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सेवा में समाज की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
यह मुलाकात छत्तीसगढ़ में धार्मिक समरसता, शासन-सामाजिक संगठन समन्वय और सांस्कृतिक विरासत के संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।