
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (1 नवंबर 2025) का एक अत्यंत भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षण था। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने न केवल प्रशासनिक दृष्टि से, बल्कि आस्था और संस्कृति की गहराई से राज्य की पहचान “छत्तीसगढ़ महतारी” के प्रति श्रद्धा व्यक्त की।
नीचे इस पूरे आयोजन का विस्तृत विवरण दिया गया है 👇
🌺 मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का छत्तीसगढ़ महतारी को नमन — विस्तृत विवरण
📍 स्थान और अवसर
- यह कार्यक्रम रायपुर कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित हुआ।
- अवसर था — छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने का (राज्य का रजत जयंती वर्ष)।
- परिसर में छत्तीसगढ़ महतारी की भव्य प्रतिमा को सजाया गया था — फूलों, दीपमालाओं और पारंपरिक सजावट से वातावरण पूरी तरह उत्सवमय था।
🙏 माल्यार्पण और पूजा-अर्चना
- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित की और छत्तीसगढ़ महतारी को नमन किया।
- उन्होंने पारंपरिक लोक शैली में आरती, धूप-दीप और चंदन से पूजन किया।
- कार्यक्रम के दौरान पारंपरिक वाद्य “ढोलक, नगाड़ा और मोहना बांसुरी” की मधुर ध्वनि से पूरा परिसर गूंज उठा।
- महिला समूहों ने “जय छत्तीसगढ़ महतारी” और “मोर धरती अमर रहे” जैसे गीतों से वातावरण को भक्ति और गर्व से भर दिया।

💬 मुख्यमंत्री के उद्बोधन की मुख्य बातें
🔸 छत्तीसगढ़ महतारी – अस्मिता की प्रतीक
मुख्यमंत्री साय ने कहा —
“छत्तीसगढ़ महतारी हमारी अस्मिता, आस्था और गर्व का प्रतीक हैं। यह भूमि मातृशक्ति की आराधना करने वाली भूमि है, जहां से शक्ति, सृजन और समृद्धि का प्रवाह होता है।”
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ महतारी केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि राज्य की संस्कृति, परंपरा और आत्मगौरव का मूर्त रूप हैं।
🔸 जनकल्याण और विकास के संकल्प
साय ने कहा कि राज्य सरकार हर वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है —
- महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष योजनाएँ (स्वयं सहायता समूह, स्वरोजगार, मातृत्व सहायता योजनाएँ)।
- कृषि क्षेत्र में उत्पादन और सिंचाई क्षमता बढ़ाने हेतु नई तकनीक और समर्थन मूल्य।
- युवाओं को रोजगार देने के लिए “मुख्यमंत्री कौशल मिशन” और “रोजगार मेलों” का विस्तार।
- आदिवासी समाज की उन्नति के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और परंपरागत कला-संस्कृति को प्रोत्साहन देने की पहलें।
- सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण के तहत राज्य के लोकनृत्य, लोकसंगीत और हस्तकला को राष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाने का लक्ष्य।
उन्होंने कहा —
“छत्तीसगढ़ की आत्मा उसके गांवों, खेतों, जंगलों और संस्कृति में बसती है। इन्हें सशक्त करना ही सच्चा विकास है।”
🔸 रजत जयंती वर्ष – नई ऊर्जा का प्रतीक
मुख्यमंत्री साय ने कहा —
“यह रजत जयंती वर्ष छत्तीसगढ़ के लिए नई ऊर्जा, नए संकल्प और नवचेतना का प्रतीक है। अब आने वाले 25 वर्ष हम सबके परिश्रम और एकता से ‘विकसित छत्तीसगढ़’ की पहचान गढ़ेंगे।”
🇮🇳 प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर प्रतिक्रिया
साय ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि —
“आज का दिन और भी ऐतिहासिक है, क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी छत्तीसगढ़ में हैं।
उनकी उपस्थिति राज्य के विकास और गौरव के लिए प्रेरणादायक है।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ विकसित भारत मिशन में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
👥 उपस्थित गणमान्य अतिथि
इस अवसर पर —
- विधायक पुरंदर मिश्रा,
- नगर निगम व जिला प्रशासन के अधिकारी,
- स्थानीय जनप्रतिनिधि, नागरिक समाज के लोग,
- और बड़ी संख्या में महिला समूह, युवक मंडल एवं सांस्कृतिक दल उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में छत्तीसगढ़ गान “अरपा पैरी के धार…” का सामूहिक गायन हुआ।
🌿 सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व
छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण का यह आयोजन केवल औपचारिकता नहीं था —
यह राज्य की सांस्कृतिक चेतना, मातृशक्ति की प्रतिष्ठा और आत्मगौरव की पुनः पुष्टि का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री का यह संदेश स्पष्ट था कि
“विकास तभी सार्थक होगा जब वह हमारी जड़ों और संस्कृति से जुड़ा रहेगा।”



