न्यूज़

मारे गए नक्सलियों का पोस्टमार्टम करने से डॉक्टरों ने किया इंकार, नक्सली भत्ता की कर रहे मांग…

नारायणपुर जिला अस्पताल में डॉक्टरों और प्रशासन के बीच गंभीर तनातनी सामने आई है, जो सीधे नक्सल प्रोत्साहन क्षेत्र भत्ते (CRMC – Central Reserve/Militancy Compensation) से जुड़ी है। इसे विस्तार से समझते हैं।


मामला क्या है?

  • डॉक्टरों का विरोध:
    बीते 9 महीने से नक्सल प्रोत्साहन क्षेत्र भत्ता नहीं मिलने से नारायणपुर जिला अस्पताल के डॉक्टर आक्रोशित थे।
  • घटना की तिथि:
    22 सितंबर 2025 को अबूझमाड़ में मारे गए दो नक्सलियों के शव पोस्टमार्टम के लिए लाए गए
  • डॉक्टरों ने एकजुट होकर पोस्टमार्टम करने से इंकार कर दिया और अपने लंबित भत्ते की मांग पर अड़े रहे।

डॉक्टरों की दलील

  • मेडिकल ऑफिसर डॉ. हिमांशु सिन्हा ने बताया:
    • CRMC भत्ता जनवरी 2025 से अब तक नहीं मिला
    • राज्य सरकार ने काम करने का दावा किया है, लेकिन भत्ते का भुगतान नहीं हुआ।
    • डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि भत्ता नहीं मिलने की स्थिति में नक्सली शव का पोस्टमार्टम नहीं करेंगे, यह उनके विरोध का तरीका था।

प्रशासन और सरकारी प्रतिक्रिया

  • CMHO (Chief Medical & Health Officer) एसएस राज ने कहा:
    • डॉक्टरों ने भत्ता नहीं मिलने की बात रखी।
    • यह राज्य स्तरीय वित्तीय मामला है।
    • अक्टूबर-नवंबर में भत्ते का बजट आवंटन हो जाएगा।
    • आश्वासन दिया गया कि एक हफ्ते के भीतर भुगतान कर दिया जाएगा।
  • इसके बाद डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम फिर से शुरू किया।

प्रमुख तथ्य

  1. CRMC भत्ता क्या है:
    • नक्सल प्रभावित/प्रोत्साहन क्षेत्र में तैनात सरकारी कर्मचारियों (जैसे डॉक्टर, पुलिस, शिक्षक) को सुरक्षा और कठिनाई भत्ता के रूप में दिया जाता है।
    • यह भत्ता कर्मचारियों को जोखिम भरे क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने का तरीका है।
  2. प्रशासनिक चुनौती:
    • अबूझमाड़ जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में डॉक्टरों का विरोध सीधे सुरक्षा और प्रशासनिक कामकाज को प्रभावित करता है।
    • पोस्टमार्टम का इंकार केवल भत्ते की मांग की प्रतिक्रिया थी, जो लंबे समय से लंबित था।
  3. राज्य सरकार का कदम:
    • बजट आवंटन और भत्ते का भुगतान सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया।
    • डॉक्टरों ने आश्वासन मिलने के बाद कार्य फिर से शुरू किया।

निहितार्थ

  • लंबे समय से लंबित भत्ते कर्मचारी मनोबल पर असर डाल सकते हैं।
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम करने वाले डॉक्टर, पुलिस और अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा और प्रोत्साहन पर सरकार की नीतियाँ सामना किए जाने वाले जोखिम के अनुसार लागू होना आवश्यक हैं।
  • प्रशासनिक व्यवस्था में यदि भुगतान समय पर नहीं होता, तो यह सक्रिय विरोध और काम प्रभावित होने की स्थितियाँ पैदा कर सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button