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मुख्य चुनाव आयुक्त का विपक्ष को करारा जवाब, ‘वोट चोरी’ जैसे झूठे आरोपों से हम डरते नहीं…

यह मामला आज (रविवार) चुनाव आयोग (ECI) की प्रेस कॉन्फ्रेंस से जुड़ा है, जिसमें बिहार की वोटर लिस्ट के “स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न” (SIR) पर विपक्ष के “वोट चोरी” वाले आरोपों का आयोग ने विस्तार से जवाब दिया।

अभी क्या कहा आयोग ने?
- मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि “वोट चोरी” जैसे आरोप झूठे हैं; ऐसे आरोप मतदाताओं और संविधान का अपमान हैं। उन्होंने कहा कि न तो आयोग, न ही कोई मतदाता ऐसे झूठे आरोपों से डरता है।
- दावा किया कि बिहार के “7 करोड़ से अधिक” मतदाता आयोग के साथ हैं; SIR को सफल बनाने के लिए सभी पक्ष मेहनत कर रहे हैं।
- राहुल गांधी के आरोपों पर: या तो एक हफ्ते के भीतर शपथ-पत्र (affidavit) के साथ ठोस साक्ष्य दीजिए, वरना देश से माफी मांगिए—सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस/पीपीटी/सोशल पोस्ट पर कार्रवाई नहीं हो सकती।
- आयोग ने दोहराया कि उसके लिए “सत्ता पक्ष–विपक्ष” का भेद नहीं; सभी दल बराबर हैं।
- तकनीकी/प्रक्रियात्मक बिंदु: बूथों/प्रक्रिया पर सीसीटीवी व डिजिटल ऑडिट जैसे उपाय बताए; “हाउस नं. 0” को बेघर/अस्थायी निवासियों के लिए प्लेसहोल्डर बताकर गलतफ़हमियाँ दूर कीं.
SIR (Special Intensive Revision) है क्या?
- ECI ने 24 जून 2025 को बिहार में SIR का आदेश दिया—क्वालिफाइंग डेट 01.07.2025। लक्ष्य: हर योग्य मतदाता का नाम जोड़ना, अयोग्य प्रविष्टियाँ (मृत्यु/डुप्लीकेट/स्थायी पलायन) हटाना, और पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना। पिछली “इंटेंसिव” रिविज़न बिहार में 2003 में हुई थी।
- प्रक्रिया में BLO द्वारा घर-घर पहुँच, एन्यूमरेशन फॉर्म देना/लौटना, ड्राफ्ट रोल जारी करना, दावे–आपत्तियाँ लेना, और अंतिम रोल प्रकाशित करना शामिल है।
विपक्ष क्या कह रहा है?
- कांग्रेस/INDIA ब्लॉक का आरोप है कि SIR के बहाने बड़े पैमाने पर मतदाता हटाए जा रहे हैं; इसी को लेकर राहुल गांधी ने बिहार में “वोटर अधिकार/वोट अधिकार यात्रा” शुरू की।
सुप्रीम कोर्ट में क्या स्थिति है?
- SC ने SIR को रोका नहीं है; अंतरिम आदेशों में पारदर्शिता बढ़ाने को कहा—जैसे ड्राफ्ट से हटाए जाने वाले ~65 लाख नामों की सूचियाँ और हटाने के कारण ऑनलाइन डालने के निर्देश। अदालत ने दस्तावेज़ सूची पर भी टिप्पणियाँ कीं (11 आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट्स की सूची को अधिक “वोटर-फ्रेंडली” माना; आधार को नागरिकता-प्रमाण न मानने का सिद्धांत दोहराया)।
आपके लिए उपयोगी बातें (बिहार के मतदाताओं/पार्टियों के लिए)
- अपना नाम जाँचना/जुड़वाना/सुधारना: ECI/CEO बिहार पोर्टल पर सर्च करें, और जरूरत होने पर फ़ॉर्म-6 (नया नामांकन), फ़ॉर्म-7 (हटाने पर आपत्ति/डिलिशन के विरुद्ध), फ़ॉर्म-8 (संशोधन/शिफ्टिंग) जमा करें। घर-घर SIR के दौरान BLO भी फॉर्म ले रहे हैं।
- अगर आपका/आपके वार्ड का नाम बिना कारण हटाया गया दिखे, तो ERO के समक्ष औपचारिक दावा/आपत्ति दें—साक्ष्य/घोषणापत्र (oath/affidavit) की व्यवस्था भी नियमों में है; सोशल मीडिया पोस्ट या प्रेस बयान से कानूनी कार्यवाही नहीं होती।
संक्षेप में: आयोग ने “वोट चोरी” के आरोपों को सिरे से खारिज किया, राहुल गांधी से शपथपत्र सहित प्रमाण माँगा, और कहा कि SIR पारदर्शी/समावेशी तरीके से चल रहा है; उधर विपक्ष इसे मतदाता वंचना करार दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट पारदर्शिता सुनिश्चित कराने वाली शर्तों के साथ प्रक्रिया को जारी रहने दे रहा है।