लगा बिजली बिल का झटका: सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वसूली नोटिस, हजारों–लाखों के एरियर्स से मचा हड़कंप

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य पावर कंपनीज की बड़ी लापरवाही अब सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर भारी पड़ती दिख रही है। वर्षों तक चली प्रशासनिक चूक के चलते करीब 1900 से अधिक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बिजली बिल में तय नियम से अधिक छूट मिलती रही। अब जब यह गड़बड़ी सामने आई है, तो प्रबंधन ने इन कर्मचारियों से 10–15 साल पुरानी राशि एरियर्स के रूप में वसूलने की कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों में भारी रोष और चिंता का माहौल है।

क्या है पूरा मामला
दरअसल, पावर कंपनी के नियमों के अनुसार कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बिजली बिल में 50 प्रतिशत तथा सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 25 प्रतिशत की छूट का प्रावधान है। लेकिन वितरण केंद्रों और जोन कार्यालयों की लापरवाही के कारण कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बिजली बिल में 25 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत छूट जारी रही। यह स्थिति वर्षों तक बनी रही और प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगी।
वर्षों बाद सामने आई गड़बड़ी
बताया जा रहा है कि यह लापरवाही 10 से 15 साल पुरानी है। जब हाल ही में ऑडिट या आंतरिक जांच के दौरान यह चूक पकड़ में आई, तो कंपनी प्रबंधन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एरियर्स निकालकर वसूली नोटिस जारी कर दिए। कई मामलों में सीधे बिजली बिल में भारी-भरकम एरियर्स जोड़ दिए गए, जिन्हें देखकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों के होश उड़ गए।
2011 में सेवानिवृत्ति, 2015 से वसूली
एक चौंकाने वाले प्रकरण में 2011 में सेवानिवृत्त कर्मचारी से 2015 से 2025 तक की अवधि की राशि एरियर्स के रूप में वसूलने की तैयारी की गई है। इससे सवाल उठ रहे हैं कि
- 2011 से 2015 तक बिल सही थे,
- फिर 2015 में किसके आदेश से छूट की दर बदली गई?
- और इतने वर्षों तक यह गड़बड़ी प्रबंधन की नजर से कैसे ओझल रही?
कुछ कर्मचारियों के बिजली बिल में 50 हजार रुपये तक के एरियर्स जोड़े जाने की जानकारी सामने आई है, जबकि कई मामलों में यह राशि लाखों में पहुंच रही है।
सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ का विरोध
इस पूरे मामले को लेकर छत्तीसगढ़ विद्युत सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ ने कड़ा विरोध जताया है। संघ के प्रदेश महामंत्री पुनारद राम साहू ने वितरण कंपनी के एमडी को पत्र लिखकर कहा है कि—
- सेवानिवृत्ति के बाद छूट को 50 प्रतिशत से 25 प्रतिशत में बदलने की जिम्मेदारी वितरण केंद्र अथवा जोन कार्यालयों की थी।
- कर्मचारियों को अधिक छूट मिलने की जानकारी उन्हें स्वयं भी नहीं थी।
- अब अचानक हजारों–लाखों रुपये की वसूली से वे मानसिक और आर्थिक संकट में हैं।
संघ की प्रमुख मांगें
सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ ने प्रबंधन के समक्ष कई अहम मांगें रखी हैं—
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी 50 प्रतिशत छूट का लाभ दिया जाए।
- विद्युत अधिनियम 2003 के उपनियमों के तहत 2 वर्ष से अधिक पुरानी बकाया राशि को निरस्त किया जाए।
- बिजली बिलों में हुई चूक की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
- इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष
पावर कंपनी की वर्षों पुरानी प्रशासनिक चूक का खामियाजा अब सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। एक ओर जहां प्रबंधन आर्थिक नुकसान की भरपाई करना चाहता है, वहीं दूसरी ओर जीवन के इस पड़ाव पर वसूली नोटिस मिलने से कर्मचारी आहत और परेशान हैं। अब देखना यह है कि सरकार और पावर कंपनी प्रबंधन इस मामले में क्या मानवीय और कानूनी फैसला लेते हैं।



