केंचुल उतारना सांप के लिए बहुत कष्टदायक होता है. क्यों
सांप अमूमन साल में एक बार अपनी केंचुली जरूर उतारते हैं. ये समय उनके लिए बहुत कष्ट और मुश्किल का होता है. केंचुल भी इसलिए उतारते हैं, क्योंकि उसको पहनना भी मुश्किल होने लगता है. उसमें गंदगी, कीड़े मकौड़े आकर चिपक जाते हैं. वैसे ये केंचुली बहुत शुभ मानी जाती है. कई चीजों में इसका इस्तेमाल होता है.
दुनियाभर में सांपों की हजारों प्रजातियां हैं. ज्यादातर सांप रंगीन ही और अलग पैटर्न के होते हैं. सांप अपनी पूरी त्वचा को एक साथ एक टुकड़े में निकालने के लिए जाने जाते हैं. हर सांप के जीवन में ये होता ही होता है. एक सांप साल में औसतन दो से चार बार अपनी केंचुल बदलते हैं, जबकि युवा सांप हर दो हफ्ते में ऐसा कर सकता है.
सांप के असल चमकीले रंग उसकी फिक्स त्वचा के भीतर होते हैं और ऊपर के शल्क आमतौर पर पारदर्शी होते हैं. इसी वजह से सांप जब अपनी शल्क यानि केंचुल उतारता है
किंग कोबरा साल में करीब पांच बार अपनी त्वचा यानि केंचुली छोड़ते हैं. हालांकि, सांप कितनी बार अपनी केंचुली उतारता है. ये उसकी उम्र और प्रजाति पर भी निर्भर करता है. ये प्रक्रिया 6 से 10 दिनों तक चलती है.जैसे-जैसे सांप बढ़ता है, उसकी ऊपरी त्वचा उसके साथ नहीं बढ़ती है इसलिए उसे बढ़ी हुई त्वचा को छोड़ना पड़ता है. केंचुली उतारना, त्वचा छोड़ना या त्वचा का छिलना सांप की जिंदगी लगातार चलने वाला हिस्सा या चक्र है. ये काम आमतौर पर वह साल में कई बार करता है और जब भी करता है तब बहुत कष्ट और दर्द से गुजरता है. इसे एक्डिसिस के तौर पर जाना जाता है.ये सांप के जीवन चक्र का एक स्वाभाविक और जरूरी हिस्सा है.तब भी वो कई बार अपनी ऊपरी त्वचा यानि केंचुल बदलता है जबकि इस पर कीड़े-मकौड़े और गंदगी चिपक जाती है और इससे उसको बहुत दिक्कत होने लगती है.
लोग केंचुल का इस्तेमाल कुछ तरह के चर्म रोगों में किया करते हैं. मान्यता है कि सांप की केंचुली घर में रखने से धन-धान्य की कमी नहीं होती. इसके अलावा, सांप की केंचुली घर में रखने से प्रेत बाधाओं और बुरी नज़र से भी बचाव होता है.