तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू : एफआईआर दर्ज करने से लेकर फैसला सुनाने तक की समयसीमा तय, जानें- न्याय व्यवस्था और नागरिकों पर होगा क्या असर
भारत की न्याय व्यवस्था में 01 जुलाई 2024 से बड़ा बदलाव हो रहा है. अंग्रेजों के समय बने आपराधिक कानूनों की जगह तीन नए कानून लागू हो चुके हैं. सोमवार से देशभर में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम प्रभावी हुए. 01 जुलाई से पहले दर्ज हुए सभी मुकदमे IPC, CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत ही चलेंगे. नए कानूनों के तहत किए गए 10 बड़े बदलाव आगे जानिए.
क्या से क्या बदला:
1 . क्या से क्या बदला: अंग्रेजों के समय इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट (IAC) बनाया गया था. तीनों कानूनों की जगह 01 जुलाई से क्रमश: भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) प्रभावी हुए.
2. IPC vs BNS: IPC में कुल 511 धाराएं थीं, BNS में 358 हैं. आईपीसी के तमाम प्रावधानों को भारतीय न्याय संहिता में कॉम्पैक्ट कर दिया गया है. आईपीसी के मुकाबले बीएनएस में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराध ऐसे हैं जिसमें जेल का समय बढ़ाया गया है. 82 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ी है. 25 अपराध ऐसे हैं जिनमें न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है. छह तरह के अपराध पर कम्युनिटी सर्विस करनी होगी. 19 धाराएं हटाई गई हैं.
3. 01 जुलाई से क्या होगा: 01 जुलाई 2024 से सभी FIRs भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों के तहत लिखी जाएंगी. इससे पहले जो भी मुकदमे IPC, CrPC या एविडेंस एक्ट के तहत दर्ज हुए थे, वे उसी के हिसाब से चलेंगे. पुराने मामलों पर नए आपराधिक कानूनों का प्रभाव नहीं पड़ेगा.
4. कहां दर्ज होगी FIR: नए आपराधिक कानूनों के तहत, आप कहीं से भी अपराध की शिकायत कर सकते हैं. ऑनलाइन FIR रजिस्टर करा सकते हैं. पुलिस थाने जाने की जरूरत नहीं है. जीरो FIR की शुरुआत हुई है जिससे कोई किसी भी पुलिस स्टेशन में, FIR दर्ज करा सकता है.