छत्तीसगढ़

डीजीपी-आईजी सम्मेलन का आज होगा आगाज — मंत्री केदार कश्यप बोले: “छत्तीसगढ़ अब नक्सलवाद से मुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ रहा”….

क्या और कहाँ: सम्मेलन + बयान

  • 60वाँ DGP-IGP सम्मेलन आज से (28–30 नवंबर 2025) से शुरू हो रहा है, और पहली बार यह राष्ट्रीय स्तर का पुलिस-सुरक्षा सम्मेलन Nava Raipur, छत्तीसगढ़ में आयोजित हो रहा है।
  • इस मौके पर छत्तीसगढ़ सरकार के कैबिनेट मंत्री Kedar Kashyap ने कहा है कि यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है — राज्य अब “छोटे राज्य” नहीं रहा, बल्कि एक मजबूत व विकसित राज्य बन चुका है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन, तथा शीर्ष नेतृत्व (केंद्र व राज्य) की भागीदारी ने छत्तीसगढ़ को देश की प्राथमिकता में ला दिया है।
  • उन्होंने विशेष रूप से यह कहा कि नक्सलवाद से मुक्त होने की दिशा में राज्य आगे बढ़ रहा है — और उस दिशा को यह सम्मेलन मजबूती देगा।

🎯 सम्मेलन का एजेंडा और क्यों है यह अहम

इस साल सम्मेलन में चर्चा होने वाले मुख्य बिन्दु हैं:

  • आंतरिक सुरक्षा (internal security)
  • वामपंथी उग्रवाद / नक्सलवाद (Left-Wing Extremism / Maoist / Naxal threat) — इसे मिटाने की रणनीति, पिछली प्रगति, आगामी अभियान।
  • आधुनिक पुलिसिंग — साइबर सुरक्षा, तकनीक और डेटा-आधारित पुलिसिंग, फोरेंसिक, इंटेलिजेंस, राज्य व क्षेत्रीय तालमेल।
  • कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, केंद्रीय व राज्य सुरक्षा एजेंसाओं का समन्वय, और नशा, आतंकवाद, सीमा सुरक्षा जैसे व्यापक सुरक्षा विषय।

चूंकि यह सम्मेलन देश के शीर्ष पुलिस व सुरक्षा प्रमुखों (DGPs, IGPs, केंद्रीय बल व इंटेलिजेंस प्रमुख) का है, यह एक ऐसा मंच है जहाँ नीतियाँ, रणनीतियाँ और भविष्य की रूपरेखा तय होती है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ (खासकर पूर्वोत्तर–छत्तीसगढ़ व जातीय/नक्सल प्रभावित क्षेत्र) में सुरक्षा व विकास दोनों ही मोर्चे पर कोशिशें जारी हैं।


🛡️ मंत्री केदार कश्यप का बयान — क्या संकेत देता है

मंत्री कश्यप के बयान से कुछ महत्वपूर्ण संदेश मिलते हैं:

  • गर्व व पहचान: छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय सुरक्षा मेनफ्रेम में लाना — राज्य की कहे जाने वाली “कमज़ोर पहचान/परेशानियाँ” से बाहर निकलकर “विकसित, मजबूत, जवाबदेह राज्य” बनना।
  • नक्सलवाद-रोध व विश्वास: नक्सलवाद से मुक्त होने की दिशा में राज्य सरकार व सुरक्षा बलों की कार्रवाई को जनता के सामने एक सकारात्मक संदेश देना। दूसरे शब्दों में — यह बताना कि छत्तीसगढ़ सिर्फ विकास नहीं बल्कि सुरक्षा व कानून-व्यवस्था में भी अग्रिम पंक्ति में है।
  • केंद्र सरकार की प्राथमिकता: यह कि शीर्ष नेतृत्व (PM, HM, NSA, केंद्रीय एजेंसियाँ) छत्तीसगढ़ को महत्व दे रही है — इससे राज्य की भूमिका, उसकी रणनीतिक स्थिति, व वहां रहने वाली जनता के लिए भरोसे का माहौल बनता है।
  • राजनीतिक संदेश: राज्य सरकार व उसकी नीतिगत दिशा-निर्देशों का समर्थन; यह दिखाना कि छत्तीसगढ़ की चुनौतियाँ (नक्सल, कानून-व्यवस्था) सिर्फ राज्य का नहीं — राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा हैं, और उनका समाधान संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

📌 इस बयान और सम्मेलन से — क्या उम्मीदें बन रही हैं (और क्या सावधानियाँ)

✅ सकारात्मक संभावनाएँ

  • सुरक्षा नीति और नक्सल-रोधी रणनीति को नई दिशा मिल सकती है — विशेष रूप से अगर सम्मेलन से व्यावहारिक रोडमैप तैयार हुआ।
  • तकनीक-आधारित पुलिसिंग, साइबर सुरक्षा, फोरेंसिक आदि में सुधार — जिससे अपराध/नक्सलवाद/उग्रवाद से निपटने की क्षमता बढ़ेगी।
  • राज्य की सुरक्षा-कृषक स्थिति व लोगों का मनोबल बढ़ेगा — जिस से विकासात्मक योजनाओं के साथ सामाजिक स्थिरता बनेगी।
  • केंद्र-राज्य सहयोग व संसाधन उपलब्धता बेहतर होगी — जिससे छत्तीसगढ़ अपने बुनियादी विकास + सुरक्षा दोनों मोर्चों पर आगे बढ़ सके।

⚠️ चुनौतियाँ / जिस पर ध्यान चाहिए

  • सिर्फ सम्मेलन या बयानों से काम नहीं चलेगा — मैदान में कार्रवाई, जवानों का सम्मान, सामुदायिक जुड़ाव, इंटेलिजेंस नेटवर्क, विकास योजनाओं का समन्वय — इन सब पर काम ज़रूरी।
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में न सिर्फ सुरक्षा बलों बल्कि स्थानीय लोगों का भरोसा, विकास, रोजगार और कानूनी न्याय भी स्थापित करना होगा — वरना समस्या जड़ें गहरी है।
  • पुलिस व प्रशासन में सुधार, जवाबदेही व पारदर्शिता बनाए रखना होगा — ताकि आम आदमी को यह भरोसा हो कि सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ दिखावा नहीं, स्थायी है।

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