
रायपुर में होने वाली कांग्रेस जिलाध्यक्ष-चयन प्रक्रिया का चरण-ब-चरण और संदर्भ (जो खबरों में बताया गया है) दिया जा रहा है — कौन आया है, क्या होगा, कैसे होगा और आगे क्या उम्मीद की जा सकती है।
1) कौन आये हैं और कब शुरू हो रहा है
एआईसीसी के सचिव और पार्टी के केंद्रीय आब्ज़र्वर प्रफुल्ल (प्रफुल्ल) गुडाधे / गुडाडे बुधवार रात रायपुर पहुंचे और गुरुवार से शहर और ग्रामीण दोनों जिलाध्यक्षों के चयन (रायशुमारी/मुलाकात-सत्र) की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं।
2) आज (प्रारम्भिक) कार्यक्रम — क्या होगा
- सुबह आब्ज़र्वरों (जिलाध्यक्षों और पीसीसी के आब्ज़र्वरों) के साथ एक बैठक होगी, उसके बाद पत्रकारों से बातचीत की जाएगी।
- इसके बाद रायपुर शहर के कार्यकर्ताओं और जिले के बड़े नेताओं के साथ लंबी बैठकें की जाएँगी — ताकि स्थानीय मायने और दावेदारों के बारे में फीडबैक लिया जा सके।

3) निर्धारित समय-रेखा (खास तारीखें)
- 10 अक्टूबर: रायपुर-ग्रामीण के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बैठक।
- 11–14 अक्टूबर: ब्लॉकों का दौरा — तकरीबन ब्लॉक-स्तर पर नेता/पदाधिकारियों से बातचीत (रायशुमारी)।
- 15 अक्टूबर: जिलाध्यक्ष के दावेदारों से वन-टू-वन (एक-एक) चर्चा; उसके बाद अंतिम रिपोर्ट तैयार कर के हाईकमान को सौंपी जाएगी।
4) प्रक्रिया — वे कैसे फ़ैसला करेंगे
- स्थानीय नेताओं, ब्लॉक-स्तर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से सामान्य बैठकों में रायशुमारी/मत-संग्रह किया जाएगा।
- जिन जिलों/शहरों में कई दावेदार हैं, वहां आब्ज़र्वर वन-टू-वन चर्चा कर के व्यक्तिगत रूप से व्यक्ति-गत योग्यता, लोक-समर्थन और संगठनिक क्षमता जाँचेगा।
- ब्लॉक यात्राओं और स्थानीय बैठकों के आधार पर आब्ज़र्वर अपनी रिपोर्ट तैयार कर, पीसीसी/एआईसीसी को सुझाव देंगे — यानी यह सिफारिशी-रिपोर्ट होगी; अंतिम मंज़ूरी हाईकमान दे सकता है।
5) रायपुर में स्थिति — दावेदारों का परिदृश्य
- रायपुर (खासकर शहर) में नेतृत्व के लिए काफ़ी संख्या में दावेदार चर्चा में हैं — स्थानीय रिपोर्टों में 40–50 से अधिक नामों का जिक्र है और कई वरिष्ठ स्थानीय नेता/पूर्व पार्षद-विधायक भी शामिल बताए जा रहे हैं। इस प्रतिस्पर्धा के कारण आब्ज़र्वर की राय-सुनवाई और ब्लॉक-स्तरीय चर्चा अहम मानी जा रही है।
6) संभावित परिणाम और समयबद्धता
- आब्ज़र्वर की फ़ाइनल रिपोर्ट के बाद पीसीसी/एआईसीसी विचार कर सकते हैं; पिछले मामलों में इस तरह की रिपोर्ट के बाद कुछ जिलों के नाम तुरंत घोषित किए जाते हैं और कुछ मामलों में आगे समन्वय / परामर्श होता रहा है — इसलिए 15 अक्टूबर के बाद ही स्पष्ट होने की संभावना है।