
छत्तीसगढ़ में छठ महापर्व (Chhath Puja) के समापन के अवसर पर घटी, जब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) अपनी पत्नी कौशल्या साय के साथ पारंपरिक श्रद्धा के साथ कुनकुरी (जशपुर जिला) स्थित छठ घाट पहुंचे।
यह दृश्य पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय रहा — क्योंकि मुख्यमंत्री ने आम श्रद्धालुओं की तरह पूरी आस्था और परंपरा निभाते हुए पूजा की। आइए विस्तार से समझते हैं:
🌅 मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का छठ पूजन — भावनात्मक और पारंपरिक क्षण
🔸 पारंपरिक रूप में सिर पर “सूपा” रखकर घाट तक पहुंचे
छठ पर्व में “सूपा” (बाँस या पीतल का टोकरीनुमा पात्र) का विशेष महत्व होता है।
मुख्यमंत्री साय ने भी परंपरा निभाते हुए सिर पर सूपा रखकर घाट तक की यात्रा की, जिसमें पूजा की सामग्री — जैसे ठेकुआ, फल, दीप, नारियल, और पूजा के अन्य उपादान — रखे गए थे।
यह दृश्य यह दिखाता है कि प्रदेश के मुखिया ने खुद को आम श्रद्धालुओं की तरह शामिल किया, न कि केवल औपचारिक उपस्थिति दी।

🛕 पूजा-अर्चना और अर्घ्य अर्पण
- घाट पर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी कौशल्या साय ने उगते सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया।
- उन्होंने प्रदेश की शांति, समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की।
- पूजा के दौरान स्थानीय पुजारियों ने वैदिक मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना कराई।
🙏 छठ महापर्व का धार्मिक महत्व
- छठ पर्व में सूर्य देव और छठी मइया की पूजा की जाती है।
- चार दिन चलने वाले इस पर्व में निर्जला व्रत (36 घंटे तक बिना पानी और भोजन के व्रत) रखा जाता है।
- व्रती महिलाएँ सूर्यास्त के समय “सांझ का अर्घ्य” और उगते सूर्य को “भोर का अर्घ्य” देती हैं।
- यह पर्व सूर्य, प्रकृति और जल के प्रति आभार का प्रतीक है, साथ ही परिवार की संतान, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है।

🕊️ प्रदेशभर में छठ पूजा का उत्साह
- बलौदाबाजार, रायपुर, बिलासपुर, जशपुर, रायगढ़ और कोरबा जैसे जिलों में घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा।
- कई जगह बादलों की वजह से उगते सूर्य का दर्शन देर से हुआ, पर भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं रही।
- महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाए —
“केलवा जे फरेला घवद से, ओ पिया, केलवा जे फरेला घवद से…”
यह लोकगीत वातावरण में भक्ति और लोकसंस्कृति का सुंदर मेल बनाते रहे।
🌤️ मौसम का असर और सुरक्षा व्यवस्था
- आसमान में बादल होने के बावजूद श्रद्धालुओं ने घाटों पर डटे रहकर सूर्य देव के दर्शन किए।
- प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा और सफाई की विशेष व्यवस्था की थी — स्थानीय पुलिस, नगरपालिकाएँ और स्वयंसेवी संस्थाएँ तैनात रहीं।
📸 मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री साय ने पूजा के बाद कहा —
“छठ महापर्व लोकआस्था का पर्व है। यह हमें प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना के माध्यम से जीवन में संयम, श्रद्धा और समर्पण का संदेश देता है। मैं सभी छत्तीसगढ़वासियों के सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता हूं।”
🪔 निष्कर्ष
- इस बार छत्तीसगढ़ में छठ पर्व पूरी श्रद्धा, शांति और पारंपरिक उल्लास के साथ संपन्न हुआ।
- मुख्यमंत्री का सिर पर सूपा रखकर पूजा में सम्मिलित होना जनता और परंपरा दोनों के प्रति उनकी आस्था और जुड़ाव का प्रतीक माना जा रहा है।
- इससे छत्तीसगढ़ में छठ महापर्व की सांस्कृतिक महत्ता और भी बढ़ गई है।



