छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र शुरू…

- 14 जुलाई से शुरू हो रहा छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र (चौथी विधानसभा), जिसमें 14–18 जुलाई तक पाँच बैठकें होंगी ।
- मुख्य मुद्दों में डीएपी उर्वरक की कमी, कानून-व्यवस्था की स्थिति, बिजली दरों में वृद्धि, और महिला-स्वयं सहायता समूहों को भोजन समेत समाधान शामिल हैं ।
- विपक्षी कांग्रेस मंत्री और आम जनता द्वारा इन मुद्दों पर कड़ी आवाज उठाने की तैयारी ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 14 जुलाई 2025 से शुरू हो चुका है और यह 18 जुलाई तक चलेगा, जिसमें कुल 5 बैठकें निर्धारित की गई हैं। यह सत्र राजनीतिक रूप से काफी गर्म और अहम माना जा रहा है क्योंकि इसमें राज्य की कई जनहित से जुड़ी ज्वलंत समस्याएं उठाई जा रही हैं।

🔹 मुख्य मुद्दे जो सत्र में हावी रहेंगे:
1. डीएपी उर्वरक की भारी कमी:
- किसानों को कृषि कार्य के लिए आवश्यक डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) खाद नहीं मिल रही है।
- कांग्रेस और किसान संगठनों ने खाद वितरण में भ्रष्टाचार, केंद्र-राज्य समन्वय की विफलता और उचित सप्लाई की मांग उठाई है।
- सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार पर खरीफ फसल के वक्त अनदेखी का आरोप।
2. कानून-व्यवस्था की स्थिति:
- राज्य में महिलाओं पर बढ़ते अपराध, नक्सल गतिविधियों में उभार और पुलिस बल की कमी जैसे मुद्दे चर्चा में हैं।
- हाल ही में कई जिलों में लूट, हत्या, दुष्कर्म जैसी घटनाओं ने जनता को विचलित किया है।
- कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने को तैयार है।
3. बिजली दरों में बढ़ोतरी:
- छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में 5 से 8% तक की बढ़ोतरी हुई है, जिससे आम जनता, व्यापारिक प्रतिष्ठान और किसान वर्ग प्रभावित हैं।
- विपक्ष इसे जनविरोधी निर्णय करार दे रहा है और मांग कर रहा है कि बिजली पर सब्सिडी बहाल की जाए।
4. महिला स्वयं सहायता समूहों की समस्याएं:
- शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में काम कर रही महिला स्व-सहायता समूहों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा।
- राशन वितरण, मिड-डे मील और पोषण कार्यक्रमों में उन्हें संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
- कांग्रेस मांग कर रही है कि महिलाओं को समय पर भुगतान, स्थायी अनुबंध और वित्तीय सहायता दी जाए।
🔸 विपक्ष की रणनीति:
- कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि यह सत्र सरकार के लिए ‘कठिन परीक्षा’ साबित होगा।
- विपक्ष सदन के भीतर वाकआउट, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और प्रश्नकाल में आक्रामक रुख अपनाने को तैयार है।
- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत और अन्य विधायक डीएपी, बिजली, महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए रणनीति बना चुके हैं।
🔸 सरकार की तैयारी:
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने सभी विभागीय मंत्रियों को पूरी तैयारी के साथ उत्तर देने के निर्देश दिए हैं।
- सरकार विकास योजनाओं, रोजगार, कानून-व्यवस्था में सुधार और केंद्र से समन्वय को लेकर अपना पक्ष मज़बूती से रखने की योजना में है।
🔹 निष्कर्ष:
यह मानसून सत्र छत्तीसगढ़ की राजनीति में निर्णायक बहसों और तीखी टकराहटों का मंच बनने जा रहा है।
जनता की बुनियादी जरूरतों — कृषि, सुरक्षा, बिजली और महिला कल्याण — से जुड़ी समस्याओं पर यह सत्र सरकार की जवाबदेही और विपक्ष की मुखरता दोनों को सामने लाएगा।