छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ राज्य के कटघोरा क्षेत्र की “जिला बनाए जाने” की पुरानी मांग के पुनर्जीवित….

छत्तीसगढ़ राज्य के कटघोरा क्षेत्र की “जिला बनाए जाने” की पुरानी मांग के पुनर्जीवित होने से जुड़ा है। राज्योत्सव (1 नवंबर) के करीब आते ही यह मांग एक बार फिर राजनीतिक और जनस्तर पर चर्चा के केंद्र में आ गई है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं —


🔶 पृष्ठभूमि : कटघोरा जिला बनाने की मांग

कटघोरा, कोरबा जिले का एक ऐतिहासिक और प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण अनुविभागीय मुख्यालय (Sub-Division) है।
यहां वर्षों से “कटघोरा को जिला बनाओ” आंदोलन चल रहा है। इस मांग के पीछे स्थानीय लोगों का तर्क है कि:

  1. भौगोलिक विस्तार बड़ा है – कटघोरा अनुविभाग में कई ब्लॉक और दर्जनों ग्राम पंचायतें हैं, जिनकी दूरी कोरबा जिला मुख्यालय से बहुत अधिक है।
  2. प्रशासनिक सुविधा की कमी – नागरिकों को छोटे प्रशासनिक कार्यों के लिए भी कोरबा जाना पड़ता है।
  3. सांस्कृतिक व आर्थिक पहचान – कटघोरा का अपना विशिष्ट इतिहास, व्यापारिक केंद्र और जनसंख्या का आकार इसे अलग जिला बनने योग्य बनाता है।
  4. राजस्व और खनिज संसाधनों की प्रचुरता – यह क्षेत्र खनिज, वन उत्पाद और उद्योगों के कारण राजस्व दृष्टि से सक्षम है।

🔶 ताजा घटनाक्रम (अक्टूबर 2025)

  • राज्योत्सव (1 नवंबर) से पहले कटघोरा के अधिवक्ताओं और सामाजिक संगठनों ने अनुविभागीय अधिकारी (SDM) को ज्ञापन सौंपा है।
  • ज्ञापन में कटघोरा को अलग जिला घोषित करने की मांग दोहराई गई है।
  • मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से आग्रह किया गया है कि राज्योत्सव के दिन (1 नवंबर) कटघोरा को नया जिला घोषित किया जाए।
  • 50 से अधिक सामाजिक संगठन और समुदाय इस मांग के समर्थन में आ चुके हैं।
  • चेतावनी दी गई है कि यदि सरकार ने 1 नवंबर तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा

🔶 स्थानीय संगठनों के आरोप

अधिवक्ताओं और आंदोलनकारियों का कहना है कि:

“पूर्ववर्ती सरकारों और जनप्रतिनिधियों ने कई बार कटघोरा को जिला बनाने का वादा किया,
लेकिन चुनावों के बाद वे वादे केवल घोषणाओं तक सीमित रह गए।”

अब जनता की अपेक्षा है कि वर्तमान सरकार इस मांग को गंभीरता से लेकर ठोस निर्णय करे।


🔶 राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण

राजनीतिक रूप से:

  • राज्योत्सव के समय छत्तीसगढ़ सरकार अक्सर नए जिलों और तहसीलों की घोषणा करती है, इसलिए जनता को इस बार भी उम्मीद है।
  • कटघोरा की मांग को स्थानीय स्तर पर व्यापक जनसमर्थन मिला है, जो किसी भी राजनीतिक दल के लिए चुनावी प्रभाव वाला मुद्दा बन सकता है।

प्रशासनिक रूप से:

  • यदि कटघोरा को जिला बनाया जाता है, तो कोरबा जिले का विभाजन होगा।
  • नए जिले में संभावित रूप से कटघोरा, पाली और करतला ब्लॉक शामिल किए जा सकते हैं।
  • नया जिला बनने से प्रशासनिक पहुंच में सुधार होगा, विशेषकर वन क्षेत्र, खनन क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों में।

🔶 जनभावना और आंदोलन का इतिहास

  • “कटघोरा जिला बनाओ” आंदोलन कोई नया नहीं है — पिछले 15-20 वर्षों से यह मांग बीच-बीच में उठती रही है।
  • 2018, 2020 और 2023 में भी इसी मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन दिए गए थे।
  • कई बार यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गया लेकिन निर्णय नहीं हुआ।

🔶 संभावित परिणाम

  1. यदि सरकार राज्योत्सव (1 नवंबर) पर कटघोरा को जिला घोषित करती है, तो यह प्रदेश में प्रशासनिक पुनर्गठन की नई शुरुआत होगी।
  2. इससे कोरबा जिले का बोझ कम होगा और कटघोरा व आस-पास के ग्रामीण इलाकों को बेहतर प्रशासनिक सुविधा मिलेगी।
  3. साथ ही यह कदम सरकार के लिए राजनीतिक रूप से लाभकारी साबित हो सकता है, क्योंकि यह स्थानीय जनता की दीर्घकालिक मांग पूरी करेगा।

🔶 संक्षेप में

कटघोरा को जिला बनाए जाने की मांग अब निर्णायक मोड़ पर है।
राज्योत्सव के दिन सरकार की घोषणा इस आंदोलन की दिशा तय करेगी।
जनता और संगठनों की एकजुटता इस बात का संकेत है कि अब यह केवल “आवाज” नहीं बल्कि “जनभावना” बन चुकी है।

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