छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में NHM के लगभग 16,000 संविदा कर्मचारी 18 अगस्त से अपनी 10-सूत्रीय माँगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर…

  • छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के लगभग 16,000 संविदा कर्मचारी 18 अगस्त 2025 से अपनी 10-सूत्रीय माँगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल/काम-बंद कर रहे/रही हैं; इसमें आपातकालीन इकाइयाँ (जैसे SNCU) भी बंद रखने का ऐलान किया गया है।

प्रमुख माँगें (संघ ने जो बताई हैं — 10 सूत्रीय)

  1. संविलियन / नियमितीकरण (स्थायी करना)।
  2. पब्लिक-हेल्थ कैडर की स्थापना।
  3. ग्रेड-पे का निर्धारण (कर्मचारी वेतन संरचना)।
  4. कार्य-मूल्यांकन में पारदर्शिता।
  5. लंबित 27% वेतन वृद्धि लागू करना।
  6. नियमित भर्ती में आरक्षण/सीटों का प्रावधान।
  7. अनुकम्पा (compassionate) नियुक्ति की नीति।
  8. चिकित्सा और अन्य अवकाश/कानूनी संस्थागत सुविधाएँ।
  9. स्थानांतरण नीति (transfer policy) में स्पष्टता।
  10. कम-से-कम ₹10 लाख का कैशलेस मेडिकल बीमा कर्मचारियों के लिए।
    (ये माँगें समाचार रिपोर्ट और संघ के बयानों पर आधारित हैं).

पिछले घटनाक्रम और पृष्ठभूमि

  • संघ ने पहले भी जुलाई में प्रदेश भर में चरणबद्ध प्रदर्शन, ज्ञापन और विधानसभा घेराव जैसी गतिविधियाँ की थीं और सरकार को 15 अगस्त तक अल्टीमेटम दिया था; अल्टीमेटम के बाद भी ठोस निर्णय न मिलने पर प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया गया। (पिछले दिनों भी 16–17 जुलाई जैसी हड़ताल-तैयारियों की खबरें आई थीं)।

संघ का आरोप — मिनट्स तथा ‘गुमराह’ करने का दावा

  • संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी का कहना है कि सरकार/स्वास्थ्य विभाग की ओर से 13 अगस्त को राज्य-स्वास्थ्य-समिति की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी, पर उस बैठक के मिनट्स अब तक जारी नहीं किए गए। साथ ही संघ आरोप लगाता है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने मीडिया के ज़रिये यह प्रचार किया कि कुछ माँगें पूरी कर दी गई हैं — जबकि संघ का दावा है कि असल मुद्दे (जैसे नियमितीकरण, ग्रेड पे) पर कोई क्रियात्मक कार्रवाई नहीं हुई। यह संघ का सीधा आरोप और बयान है।

हड़ताल का संभावित असर (तत्काल)

  • अगर 16,000 से अधिक कर्मचारी ओपीडी, टीकाकरण, नयी-नवजात देखभाल इकाइयाँ और अन्य प्राथमिक सेवाएँ बंद रखें तो ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य-सेवाओं पर तुरंत असर पड़ेगा — गर्भवती महिलाएँ, नवजात, आपातकालीन केस सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे। संघ ने मीडिया में कही कि उन्होंने सभी जिलों के कलेक्टर/CMHO/BMO को हड़ताल की सूचना दे दी है।

सरकार की संभावित प्रतिक्रिया — क्या हो सकता है?

  • विकल्प 1 — वार्ता/मजबूत आश्वासन: सरकार संघ से बातचीत करके कुछ तात्कालिक आश्वासन दे सकती है (पिछली बार भी बातचीत के बाद हड़ताल निवारण हुआ)।
  • विकल्प 2 — कठोर क़ानूनी कदम (ESMA): छत्तीसगढ़ में पिछले प्रदर्शनों के समय राज्य ने संविदा/स्वास्थ्य कर्मचारियों पर ESMA (Essential Services Maintenance Act) लागू किया जा चुका है; इसलिए प्रशासन के पास ESMA लगाने का ऐतिहासिक प्रेसीडेंट मौजूद है — अगर सरकार चाहे तो यह रास्ता अपनाया जा सकता है। (यह अभी केवल ‘संभावना/पूर्वाभास’ है; वर्तमान हड़ताल पर तुरंत ESMA लगने की आधिकारिक सूचना अभी तक नहीं मिली है)।

क्या सत्यापित हुआ और क्या संघ का दावा है (स्पष्टता)

  • सत्यापित: कई समाचार आउटलेट और NHM-संघ के बयानों ने हड़ताल-घोषणा, संख्या (≈16,000) और माँगों की सूची प्रकाशित की है; साथ ही संघ के नेतृत्‍व (डॉ. अमित मिरी इत्यादि) के बयान हैं।
  • संघ का विशेष दावा (13 अगस्त की बैठक के मिनट्स जारी नहीं किए गए; प्रशासन ने मीडिया में “कुछ माँगें पूरी हो गईं” जैसा प्रचार किया और कर्मचारियों को गुमराह किया) — यह दावा समाचार स्रोत-रिपोर्टों में उद्धृत हुआ है; इस दावे की बारीक सत्यापन के लिए सरकारी मिनट्स/आधिकारिक नोटिफिकेशन देखना आवश्यक होगा। (यदि आप चाहें, मैं संबंधित विभाग/राज्य स्वास्थ्य समिति के आधिकारिक नोटिस/मिनट्स खोजकर लिंक दे सकता/सकती हूँ)।

जनता/रुग्णों के लिए क्या करें (तुरंत सुझाव)

  • जो गैर-आवश्यक OPD/नियमित चेक-अप हों, उन्हें टालें या निजी क्लिनिक/अस्पताल का विकल्प देखें।
  • आपात-स्थिति में नज़दीकी निजी अस्पताल, 108/102 एम्बुलेंस (यदि स्थानीय प्रोटोकॉल वही है) या बड़े सरकारी अस्पतालों से संपर्क रखें — और स्थानीय मीडिया/डिस्ट्रिक्ट प्रशासन के निर्देश देखें।
  • टीकाकरण-सम्बन्धी शंकाओं के लिए जिले के स्वास्थ्य कार्यालय (CMHO) के निर्देश तथा वैकल्पिक टीकाकरण शिविरों की खबरों पर नज़र रखें।

किन बातों पर नजर रखें (अगले 24–72 घंटे में)

  1. क्या राज्य-सरकार/स्वास्थ्य विभाग कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया/बयान जारी करता है (समाधान के लिए बातचीत, फाइल स्टेटस, मिनट्स जारी करना)।
  2. क्या संघ और सरकार के बीच वार्ता निर्धारित होती है।
  3. क्या सरकार ESMA जैसे क़ानूनी कदम की धमकी या आदेश देती है (पिछले इतिहास की वजह से यह संभावित है)।
  4. असल में अस्पतालों/SNCU में क्या असर दिख रहा है — मीडिया रिपोर्ट्स/डिस्ट्रिक्ट नोटिसों को देखें।

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