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छत्तीसगढ़ के पत्रकार रोमशंकर रोम शंकर यादव को KBC के मंच पर Aditya Birla Group की पहल “Force for Good Heroes” के तहत सम्मानित किया गया…

छत्तीसगढ़ के पर्यावरण प्रेमी और पत्रकार रोमशंकर (रोम शंकर) यादव को टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति (KBC) के मंच पर Aditya Birla Group की पहल “Force for Good Heroes” के तहत सम्मानित किया गया — सम्मान स्वरूप उन्हें अमिताभ बच्चन ने स्मृति-चिन्ह सौंपा और उनकी मुहिम की खुले दिल से तारीफ़ की गई।

रोमशंकर यादव — उनका सफर और प्रेरणा

  • रोमशंकर यादव पेशे से पत्रकार हैं और वे लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम चला रहे हैं। उनकी प्रेरणा स्व. गेंदलाल देशमुख जैसे स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों से मिली, जिन्होंने बंजर जमीन को जंगल में बदल दिया — यही देखकर रोमशंकर ने स्थानीय पेड़ों की कटाई रोकने और पुनरुद्धार का काम शुरू किया।
  • उन्होंने स्थानीय युवाओं के साथ मिलकर ‘हितवा संगवारी’ नामक संगठन बनाया और मरौदा डेम तथा आसपास के क्षेत्रों में वृक्ष संरक्षण व रोपण का काम ठोसा।

उपलब्धि — प्रभावित करने वाले आँकड़े

  • उनकी टीम ने अब तक लगभग 6.5 लाख पेड़ों को कटने से बचाया और बीज/नर्सरी से लगभग 2 लाख नए पौधे तैयार किए — कुल मिलाकर लगभग 8.5 लाख पेड़ों का संरक्षण/रोपण किया गया बताया जा रहा है। यह आंकड़ा स्थानीय अभियानों और लगातार जमीन पर किए गए काम का प्रमाण है।

KBC पर सम्मान — Aditya Birla का अभियान और अमिताभ बच्चन का संदेश

  • Aditya Birla Group की “A Force for Good / Force for Good Heroes” पहल KBC के साथ जुड़ी हुई है — इस अभियान के जरिए देशभर के रोज़मर्रा के नायकों को पहचान दी जा रही है और कुछ को KBC के मंच पर सम्मानित किया जा रहा है।
  • केबीसी के मंच पर अमिताभ बच्चन ने रोमशंकर की मुहिम की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे भी अब जन्मदिन पर पौधा लगाना शुरू करेंगे और मांगलिक अवसरों पर लोगों को पौधे भेंट करने की परंपरा बढ़ाएंगे — यह संदेश व्यक्तिगत आदतों से बड़े सामाजिक परिवर्तन तक पहुंचने का प्रतीक माना गया।

रोमशंकर की सोच और आग्रह (मुख्य बातें)

  • उनका मानना है कि “पेड़ लगाना और उसकी रक्षा करना निःस्वार्थ पूजा” है — इससे न सिर्फ़ पर्यावरण को लाभ मिलता है बल्कि सामाजिक सजगता और सामुदायिक सहभागिता भी बढ़ती है।
  • उन्होंने सरकार से अपील की कि सरकारी पौधारोपण में विविधता (एक ही पेड़ की बहुत बड़ी पंक्ति न लगाकर, बल्कि अलग-अलग पैच में फलदार/उपयोगी पौधे लगाने) को प्राथमिकता दी जाए, ताकि ये पेड़ बाद में आर्थिक उपयोग के साथ-साथ पर्यावरणीय लाभ भी दें।

इसका मतलब — स्थानिक और राष्ट्रीय असर

  • स्थानीय स्तर पर: मरौदा डेम और आसपास के जंगलों का संरक्षण करने से स्थानीय जैव विविधता, मृदा बनावट, जलस्थर और जीवनयापन पर सकारात्मक असर पड़ा है। समुदाय का सक्रिय जुड़ना इसे टिकाऊ बनाता है।
  • राष्ट्रीय रूप में: छोटे-छोटे जन्मदिन-पौधरोपण जैसे संस्कारों का प्रसार बड़ी संख्या में पेड़ लगाने और उनसे जुड़ी जागरूकता फैलाने में मदद कर सकता है — यही Aditya Birla के अभियान का उद्देश्य भी है: रोज़मर्रा के नायकों को उजागर करके प्रेरणा.

आगे के सुझाव (व्यवहारिक और नीतिगत) — रोमशंकर की मुहिम से सीखते हुए

  1. स्थानीय संगठन (जैसे हितवा संगवारी) को सरकारी/कॉर्पोरेट समर्थन दें — नर्सरी, सिंचाई, बाड़-सुरक्षा, और प्रशिक्षण के लिए ग्रांट/CSR फंड अलग रखें। (विशेष तौर पर NREGA/वृक्षारोपण स्कीम के साथ तालमेल जरूरी)
  2. सरकारी रोपण में विविधता और उत्पादकता: पंक्चुअल बड़े पैमाने पर एक ही प्रजाति लगाने की बजाय स्थानीय पारिस्थितिकी और आर्थिक उपयोग (फलदार, औषधीय, ईंधन-लकड़ी संतुलन) के अनुरूप मिश्रित रोपण करें। रोमशंकर ने यही सुझाव KBC पर भी रखा।
  3. जागरूकता-ड्राइव: जन्मदिन/शादी/गृह प्रवेश पर पौधा भेंट और उसका रजिस्ट्रेशन — इससे समुदाय में व्यक्तिगत जवाबदेही बनती है। रोमशंकर का “जन्मदिन पर पौधा लगाओ” मॉडल सरल, अपनाने योग्य और स्केलेबल है।
  4. स्थायी निगरानी व कानूनी संरक्षण: जो पेड़ रोपे जा रहे हैं, उनके संरक्षण के लिए ग्राम स्तर पर निगरानी दल और स्थानीय नियम बनाना ज़रूरी है (काटने पर जुर्माना, पुनःरोकने के तंत्र)।

आप कैसे मदद कर सकते हैं (सरल कदम)

  • अपने जन्मदिन/पारिवारिक उत्सव पर एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल का वादा लें।
  • स्थानीय नर्सरी से स्थानीय जातियों के पौधे लें — ताकि पौधा बढ़े और जिए।
  • हितवा संगवारी जैसे समूहों को समय, जनसहयोग या आर्थिक रूप से सहयोग करें (यदि वे संपर्क शेयर करते हैं तो सीधे जुड़ें)।
  • सरकार/नगर पालिका से अनुरोध करें कि शहर/गाँव के वृक्षारोपण में विविध और उपयोगी प्रजातियाँ शामिल हों।

निष्कर्ष

रोमशंकर यादव का केस यह दिखाता है कि व्यक्तिगत लगन + स्थानीय संगठन + लगातार रिपोर्टिंग/प्रेरणा से बड़े पैमाने पर पर्यावरण संरक्षण संभव है। KBC-Aditya Birla जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर उनके सम्मान से इस तरह की पहलों को राष्ट्रीय दृश्यता मिली है — और अमिताभ बच्चन जैसे प्रभावशाली हस्ती का समर्थन इन संदेशों को और बढ़ाता है।

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