छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक बेहद अहम और सकारात्मक मोड़,200 माओवादी कैडर,,,,

छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक बेहद अहम और सकारात्मक मोड़ का संकेत देता है। यह घटना न केवल राज्य की नक्सल उन्मूलन नीति की बड़ी सफलता है, बल्कि बस्तर क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास की दिशा में निर्णायक कदम के रूप में देखी जा रही है।
आइए इसे विस्तार से समझते हैं —
🔶 घटना का सारांश
- दिनांक: शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025
- स्थान: रिज़र्व पुलिस लाइन, जगदलपुर (जिला बस्तर)
- कार्यक्रम: लगभग 200 माओवादी कैडरों का आत्मसमर्पण और पुनर्समावेशन समारोह
- मुख्य अतिथि:
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
- उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा

🔶 क्या हुआ है?
लगभग 200 माओवादी कैडर, जिनमें कई वरिष्ठ और हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं, ने यह घोषणा की है कि वे अब हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटेंगे।
इनका औपचारिक आत्मसमर्पण राज्य सरकार के समक्ष होगा, जिसके बाद इन्हें सरकार की “पुनर्वास और पुनर्समावेशन नीति” के तहत सहायता मिलेगी — जैसे कि:
- रोजगार के अवसर
- आजीविका प्रशिक्षण
- आवास और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में प्राथमिकता
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच
🔶 सरकार की रणनीति और नीति
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने तीन-स्तरीय नीति पर काम किया है:
- सुरक्षा मोर्चे पर सख्ती:
- जंगलों और सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बलों की उपस्थिति को मजबूत किया गया।
- विशेष ऑपरेशन्स और खुफिया नेटवर्क का विस्तार किया गया।
- विकास की पहुंच:
- सड़क, पुल, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल, मोबाइल नेटवर्क, बिजली जैसी सुविधाएँ अंदरूनी गांवों तक पहुंचाई गईं।
- बस्तर फाइटर्स जैसी स्थानीय पुलिस भर्ती योजना से युवाओं को रोजगार मिला।
- विश्वास और संवाद की नीति:
- आत्मसमर्पण करने वालों के लिए भरोसेमंद वातावरण बनाया गया।
- पुनर्वास पैकेज को आकर्षक और पारदर्शी बनाया गया।
- स्थानीय समाज, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों को शामिल किया गया।
🔶 मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बयान
“बस्तर की असली ताकत उसके लोगों की आत्मनिर्भरता, शिक्षा, आजीविका और सामाजिक सम्मान में है।
हमारी सरकार का उद्देश्य हिंसा समाप्त कर बस्तर को विकास और विश्वास की राह पर आगे बढ़ाना है।”
यह बयान बताता है कि मुख्यमंत्री साय की नीति केवल सुरक्षा-केन्द्रित नहीं, बल्कि मानव-केंद्रित दृष्टिकोण पर आधारित है।
🔶 महत्व और प्रभाव
यह आत्मसमर्पण कार्यक्रम कई मायनों में ऐतिहासिक है:
- बस्तर में नक्सल उन्मूलन की दिशा में निर्णायक मोड़।
- राज्य सरकार के विश्वास निर्माण अभियान की सफलता।
- भविष्य में अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए मॉडल उदाहरण बन सकता है।
- इससे क्षेत्र में स्थायी शांति, रोजगार और विकास का रास्ता खुलेगा।
🔶 पृष्ठभूमि: दण्डकारण्य क्षेत्र
- दण्डकारण्य (मुख्यतः बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा आदि) दशकों से माओवादी गतिविधियों का गढ़ रहा है।
- यहाँ कई बार माओवादी नेताओं ने “People’s Government” की घोषणा की थी।
- लेकिन अब, सरकार की सख्त रणनीति और विकास कार्यक्रमों के चलते, ग्राउंड रियलिटी बदल रही है।
🔶 आगे की दिशा
- आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण, स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
- इनकी निगरानी और पुनर्वास की प्रक्रिया स्थानीय प्रशासन और पुलिस की देखरेख में होगी।
- सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये लोग फिर से हिंसा की राह पर न लौटें, बल्कि समाज के हित में योगदान दें।
🔶 संक्षेप में
यह बस्तर ही नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक “ऐतिहासिक शांति दिवस” कहा जा सकता है।
यह सरकार की “बंदूक से नहीं, विश्वास से जीत” वाली नीति की सफलता का प्रतीक है।