छत्तीसगढ़
रायपुर मंडल रेल प्रबंधक और वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक के खिलाफ अभद्र और आपत्तिजनक भाषा में पोस्ट लिखे जाने का मामला सामने आया है।

हाल ही में एक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म (X / पूर्व में ट्विटर) पर रायपुर मंडल रेल प्रबंधक (DRM) और वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक (Sr DOM) के खिलाफ अभद्र और आपत्तिजनक भाषा में पोस्ट लिखे जाने का मामला सामने आया है। इस पोस्ट ने रेलवे प्रशासन में लंबे समय से जमे अधिकारियों को लेकर सवाल उठाए हैं और सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा का विषय बन गया है।

🔷 मामला क्या है?
- X (Twitter) पर एक अज्ञात या छद्म नाम से संचालित अकाउंट द्वारा रायपुर रेल मंडल के DRM और Sr DOM को लेकर कड़ी टिप्पणी की गई।
- पोस्ट में लिखा गया था कि: “DRM अपने PS (Private Secretary) को नहीं हटा सकते, जो पिछले 15 सालों से उसी पद पर जमे हुए हैं।”
- इसके साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग, और मिलीभगत जैसे आरोप भी संकेतात्मक रूप में लगाए गए।
- भाषा शैली में व्यक्तिगत लहजा और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया, जिससे रेलवे कर्मचारियों और अधिकारियों में रोष फैल गया।
🔍 मुख्य आरोप/टिप्पणियाँ:
- PS की 15 वर्षों से एक ही पद पर पदस्थापना — जिसे सेवा नियमों का उल्लंघन बताया गया।
- DRM और Sr DOM की निष्क्रियता — जिससे उन्हें बदलने की मांग की गई।
- पद का दुरुपयोग और ग्रुपिज्म — संगठन में पक्षपात व गुटबाजी के आरोप।
🔷 रेलवे प्रशासन की प्रतिक्रिया:
- रेल मंडल की ओर से इस पोस्ट को लेकर आंतरिक जांच शुरू की गई है।
- सूत्रों के अनुसार, यह पोस्ट किसी भीतर के असंतुष्ट कर्मी द्वारा किया गया हो सकता है।
- रेलवे साइबर सेल या संबंधित एजेंसी इस अकाउंट की सत्यता और पहचान की जांच कर रही है।
📌 क्यों है यह मामला गंभीर?
- सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से अपमानजनक टिप्पणियाँ न केवल नैतिक और प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन हैं, बल्कि यह रेलवे एक्ट व सोशल मीडिया गाइडलाइंस का भी उल्लंघन माना जा सकता है।
- ऐसे पोस्ट से रेलवे प्रशासन की प्रतिष्ठा, कार्य संस्कृति और जनविश्वास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
⚖️ आगे क्या हो सकता है?
- यदि दोषी की पहचान होती है, तो रेलवे सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
- सोशल मीडिया पर सरकारी पदों के दुरुपयोग या अधिकारी विरोधी प्रचार करने वालों पर IT Act के तहत केस भी दर्ज किया जा सकता है।
- रेलवे प्रशासन अब सोशल मीडिया नीति को और कड़ा बनाने पर विचार कर सकता है।