
बीजापुर के ढांगोल गांव के पास, जंगल में मशरूम इकट्ठा कर रही एक किशोरी समेत तीन व्यक्ति IED धमाके में घायल.
बीजापुर (छत्तीसगढ़),
जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र ढांगोल गांव के पास जंगल में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए IED विस्फोटक (Improvised Explosive Device) में धमाका हुआ, जिसमें एक किशोरी सहित तीन ग्रामीण घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब वे लोग जंगल में मशरूम (छत्तीसगढ़ी में “छाती”) इकट्ठा कर रहे थे।

📍 घटना का विवरण:
- समय: सुबह लगभग 9:30 बजे
- स्थान: बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 8-10 किलोमीटर दूर, ढांगोल गांव के पास का जंगल
- पीड़ित:
- एक 15 वर्षीय किशोरी
- दो अन्य ग्रामीण पुरुष, जिनकी उम्र 35 से 50 के बीच बताई जा रही है

💣 IED विस्फोट कैसे हुआ?
- ग्रामीण जंगल में रोज़मर्रा की तरह जंगली मशरूम और लकड़ी बीनने गए थे।
- इसी दौरान वे भूमिगत IED (सक्रिय विस्फोटक उपकरण) की चपेट में आ गए।
- विस्फोट इतना तेज़ था कि पास में मौजूद अन्य ग्रामीणों को भी ध्वनि और धुएं के बाद भागना पड़ा।
🏥 घायलों की स्थिति:
- सभी घायलों को बीजापुर जिला अस्पताल ले जाया गया है।
- उनमें से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिसे रायपुर रेफर किया जा सकता है।
- प्रशासन ने तत्काल मौके पर 108 एंबुलेंस, पुलिस बल, और बम डिस्पोजल टीम भेजी।
🚔 पुलिस की कार्रवाई और बयान:
- बीजापुर एसपी के अनुसार, यह IED नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लगाया गया था।
- लेकिन इसमें निर्दोष ग्रामीणों की जान खतरे में पड़ गई।
- क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है और IED जैसे विस्फोटकों की सफाई अभियान तेज कर दी गई है।
⚠️ स्थिति की गंभीरता:
- यह घटना नक्सली हिंसा और उनके बिछाए खतरे को दर्शाती है।
- जंगल में रहने वाले सामान्य ग्रामीणों के लिए यह नित्य कार्य भी जानलेवा बन चुका है।
- सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन को स्थायी समाधान और ग्रामीण सुरक्षा योजना पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है।
📢 निष्कर्ष:
यह घटना एक बार फिर यह रेखांकित करती है कि नक्सली गतिविधियाँ न केवल सुरक्षाबलों के लिए, बल्कि आम जनजीवन के लिए भी घातक हैं।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि गांवों में IED जागरूकता अभियान, सुरक्षित ज़ोन, और त्वरित आपातकालीन सहायता जैसी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी बनाए।