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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) 4 से 6 अगस्त 2025 की तीन दिवसीय बैठक शुरू..

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) 4 से 6 अगस्त 2025 की तीन दिवसीय बैठक शुरू हो चुकी है। बाजार की नजरें अब इस पर टिकी हैं कि क्या RBI निरंतरता बरकरार रखेगा––या EMI पर राहत देने के लिए राशि में 25‑basis‑point (bps) की कटौती करेगा।

📌 निर्णय की प्रमुख तस्वीर
🔹 क्या उम्मीद है: दरों की स्थिरता?
- Reuters और Economic Times की पोल के अनुसार RBI 5.50% पर रेपो दर को अपरिवर्तित रखने की ओऱ बढ़ेगा, क्योंकि पहले ही इस वर्ष फरवरी से जून तक तीन दौर की कटौती के जरिए कुल 100 bps कम कर चुका है।
- RBI ने नीति दृष्टिकोण को ‘accommodative’ से ‘neutral’ किया है, इसलिए अब आगे की कटौती के लिए Data‑dependence दरकार है।
🔹 क्या संभव है: 25 bps और कटौती?
- State Bank of India (SBI) के अध्ययन से संकेत मिले हैं कि अगस्त में 25 bps की कटौती से Diwali तक क्रेडिट ग्रोथ में तेजी आ सकती है—इसे “early Diwali” कहा गया है और इससे घरेलू ऋण मांग बढ़ सकती है।
- कई विश्लेषक जैसे Elara Capital, Nomura, Crisil ने भी इस कटौती की संभावना की ओर इशारा किया है, जब तक वृद्धि चिंताएं व् मौद्रिक जोखिम संतुलित हों।
🔍 बाजार पर क्या असर होगा?
✅ अगर दरें स्थिर (5.50%) रहीं:
- EMI और घरेलू कर्जदाताओं को तत्काल लाभ नहीं मिलेगा, हालाँकि पहले की कटौती का असर अभी ट्रांसमिशन चरण में है।
- ब्याज दरें पहले से ही कम स्तर पर होने के बावजूद, borrowers को राहत सीमित रहेगी।
- कुछ एनालिस्टों ने कहा है कि RBI पहले की कटौती की प्रभावों को देखने के लिए अभी विराम रख सकता है।
✅ अगर 25 bps की कटौती होती है (5.25%):
- होम लोन, पर्सनल लोन व् MSMEs को राहत मिलेगी।
- EMI कम हो सकते हैं, जिससे फेस्टिव सीज़न से पहले ऋण लेने वालों को प्रेरणा मिल सकती है।
- क्रेडिट ग्रोथ और बैंकिंग मांग में तेजी आ सकती है—पिछले अनुभवों से माना गया है कि हर बार रेपो कटौती से Diwali के पूर्व क्रेडिट आवंटन में बड़ी वृद्धि होती है।
📊 विश्लेषकों की राय तालिका स्वरूप:
दृष्टिकोण | अनुमानित निर्णय | प्रभाव (EMI/बाजार) |
---|---|---|
अधिकांश अर्थशास्त्री | रीपो दर स्थिर (5.50%) | EMI में जल्द राहत नहीं, मौजूदा लाइन पर स्थिरता बनी रहेगी |
कुछ प्रमुख विश्लेषक (SBI, Elara, Nomura) | 25 bps की कटौती (5.25%) | EMI में कमी, ऋण मांग में वृद्धि, Diwali से पहले मांग उत्पन्न |
🧠 निष्कर्ष:
- यदि RBI दर स्थिर रखता है, तो EMI राहत सीमित रहेगी लेकिन मौजूदा नीतिगत ढाँचा पर भरोसा बना रहेगा।
- यदि 25 bps की कटौती होती है, तो EMI दरों में कमी आएगी और उधारी लेने वालों को वास्तविक लाभ मिलेगा—विशेषकर त्योहारों से पहले।
- बाजार फिलहाल दर योग्य कटौती की कीमत नहीं रख रहा, लेकिन यदि सप्लाय/स्पष्टीकरण में कटौती की गुंजाइश दिखी, तो बाज़ार में सकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है।
🔭 आगे क्या देखें:
- 6 अगस्त, 10:00 बजे RBI MPC की प्रेस रिलीज़ का मुख्य वक्तव्य—इसमें ब्याज दर निर्णय के साथ forward guidance भी शामिल होगा।
- मुद्रास्फीति आंकड़े (जुलाई CPI)—यदि यह 2% से भी नीचे रहा, तो कटौती की संभावनाएं मजबूत होंगी।
- US / India trade developments और global commodity trends चाहे उर्जा एवं आयात लागत पर प्रभाव डाल सकते हैं।