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भारत-यूएस टैरिफ विवाद — WTO में जवाबी कार्यवाही …

ऑटोमोबाइल l भारत ने अमेरिका द्वारा ऑटोमोबाइल और पार्ट्स पर लगाए गए 25% आयात शुल्क के खिलाफ World Trade Organization में $725 मिलियन वाले जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है। यह कदम $2.89 बिलियन के भारत-यूएस ऑटो निर्यात को बचाने के लिए उठाया गया है। सरकार अभी विशिष्ट उत्पादों और शुल्क दरों पर अंतिम निर्णय नहीं हुई है, जबकि दोनों देश व्यापार समझौते की दिशा में बातचीत कर रहे हैं.

आइए भारत‑अमेरिका टैरिफ विवाद और WTO में भारत द्वारा उठाए गए कदम को विस्तार से समझते हैं:
🇮🇳 भारत‑अमेरिका टैरिफ विवाद — विस्तृत जानकारी (जुलाई 2025)
🧾 मामला क्या है?
- अमेरिका ने 2024 के अंत में कुछ देशों के ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर 25% आयात शुल्क (Import Tariff) लगा दिया।
- इस सूची में भारत भी शामिल है, जिससे भारत से अमेरिका को होने वाला ऑटो निर्यात महंगा हो गया।
📉 इससे नुकसान क्या हुआ भारत को?
- भारत का ऑटोमोबाइल और पार्ट्स निर्यात अमेरिका को $2.89 बिलियन का है (≈ ₹24,000 करोड़)
- 25% टैक्स के कारण भारतीय उत्पाद अप्रतिस्पर्धी (non-competitive) हो गए:
- अमेरिकी कंपनियों ने जापान, मेक्सिको जैसे देशों से खरीद बढ़ा दी
- भारत की ऑटो एक्सपोर्ट कंपनियों – जैसे Bharat Forge, Sundaram Fasteners, Motherson, Hero MotoCorp को ऑर्डर में कटौती का सामना करना पड़ा
🧑⚖️ भारत का कदम — WTO में जवाब
✅ भारत ने World Trade Organization (WTO) को क्या कहा?
- भारत ने 4 जुलाई 2025 को WTO में आधिकारिक शिकायत दर्ज की और अमेरिका के इस कदम को “Discriminatory and Protectionist” करार दिया।
- भारत ने कहा कि यह निर्णय WTO के Global Trade Norms के खिलाफ है।
💣 भारत का प्रस्ताव – जवाबी टैरिफ
- भारत ने $725 मिलियन के अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क (Retaliatory Duties) लगाने का प्रस्ताव रखा है।
- अभी यह तय नहीं किया गया है कि:
- किन अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाया जाएगा
- शुल्क दरें कितनी होंगी (संभावना है कि 10–30% तक के स्लैब में हों)
संकेत मिल रहे हैं कि भारत Luxury Vehicles, Dairy Products, High-end Alcohol, Harley-Davidson बाइक, Apple उत्पाद जैसे कुछ अमेरिकन माल पर टारगेटेड टैरिफ लगा सकता है।
🤝 क्या बातचीत की कोई संभावना है?
हां, दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत जारी है:
- India-US Strategic Trade Dialogue में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया
- अमेरिका चाहता है कि भारत Data Localization, IP Laws, EV Import Rules में ढील दे
- भारत कहता है: “आप हमारा ऑटो निर्यात रोकोगे तो हम भी जवाब देंगे”
🔧 इसका असर किस पर पड़ेगा?
🔹 भारत में:
असर क्षेत्र | प्रभाव |
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🔩 ऑटो पार्ट सप्लायर | निर्यात में गिरावट, उत्पादन घटाया गया |
🚛 लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ | कंटेनर मूवमेंट में गिरावट |
👨🔧 मैन्युफैक्चरिंग | कई फैक्ट्रियों में वर्किंग डेज़ घटाए गए |
📈 निवेश | कंपनियाँ South America/East Asia में यूनिट शिफ्ट करने पर विचार कर रही हैं |
🔹 अमेरिका में:
असर | विवरण |
---|---|
⛽ कार पार्ट्स महंगे | अमेरिका में कई EV और Hybrid निर्माता भारत से सस्ते पार्ट्स खरीदते थे – अब लागत बढ़ेगी |
🛵 बाइक-प्रेमी | Harley-Davidson vs Royal Enfield की टक्कर और बढ़ेगी |
🧾 रिटेलर दबाव में | कई अमेरिकी कंपनियाँ भारत को रिटेल सप्लायर मानती थीं, अब डीलरों को नए सप्लायर्स खोजने पड़ रहे हैं |
🧮 भारत ने पहले भी ऐसे जवाबी शुल्क लगाए हैं:
साल | विवाद | भारत का जवाब |
---|---|---|
2018 | अमेरिकी स्टील और एल्युमिनियम पर टैक्स | भारत ने बादाम, अखरोट, सेब पर टैक्स |
2020 | अमेरिका ने GSP (Generalized System of Preferences) खत्म किया | भारत ने Harley-Davidson पर आयात शुल्क बढ़ाया |
📊 विश्लेषण: भारत को क्या करना चाहिए?
विकल्प | लाभ | जोखिम |
---|---|---|
WTO में दबाव बनाना | अमेरिका को कानूनी रूप से पीछे हटने पर मजबूर करना | लंबी प्रक्रिया, समय अधिक |
जवाबी शुल्क लगाना | अमेरिका पर रणनीतिक दबाव | दोनों देशों में महंगाई बढ़ सकती है |
Trade Negotiation | Mutual समझौता, कुछ छूट | भारत को भी कुछ नियम ढीले करने पड़ सकते हैं |
🔚 निष्कर्ष:
- भारत‑अमेरिका ऑटो टैक्स विवाद एक गंभीर ट्रेड असंतुलन की ओर इशारा करता है
- भारत ने WTO में अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए $725 मिलियन जवाबी शुल्क की पेशकश की है
- फिलहाल दोनों देश बातचीत के रास्ते खोल रहे हैं, लेकिन नतीजा अभी साफ नहीं है