खेल

बस्तर की बेटियों ने पेंचाक सिलाट में रचा इतिहास ….

किस घटना की बात है (संक्षेप) — कर्नाटक के कोप्पल जिले में 26–28 सितंबर 2025 को आयोजित 13वीं राष्ट्रीय सब-जूनियर एवं जूनियर पेंचाक सिलाट प्रतियोगिता में बस्तर मार्शल आर्ट अकादमी की यशस्वी सिंह (12 वर्ष, बालिका वर्ग) और साक्षी सिंह चौहान (14 वर्ष, बालिका वर्ग) ने स्वर्ण पदक जीतकर जिले-प्रदेश का नाम रोशन किया। वहीं वेदांत साहू और कोमल ठाकुर ने भी उम्दा प्रदर्शन किया और टीम के लिए गर्व का पल पेश किया।

प्रतियोगिता — जगह, आयोजन और पैमाना

यह प्रतियोगिता इंडियन पेंचक सिलाट फेडरेशन के तत्वाधान और कर्नाटक पेंचाक सिलाट संघ के संयुक्त आयोजन में कोप्पल के जिला इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कराई गई थी। देश भर के 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से टीमों ने हिस्सा लिया और प्रतियोगिता में सब-जूनियर व जूनियर वर्गों में अलग-अलग वज़न/आयु कोटे में मुकाबले हुए।

बस्तर की टीम और उनका सफर

बस्तर मार्शल आर्ट अकादमी से चार खिलाड़ियों का चयन हुआ — यशस्वी सिंह, साक्षी सिंह चौहान, वेदांत साहू और कोमल ठाकुर (साथ में दंतेवाड़ा की कृतिका मंडावी का भी नाम स्थानीय सूचनाओं में मिला)। इन खिलाड़ियों ने स्थानीय कोचिंग और अकादमी के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा की और दो स्वर्ण पदक जीतकर अहम उपलब्धि दर्ज कराई। स्थानीय अकादमी और संघ के पदाधिकारियों ने विजेताओं को बधाई दी।

प्रतियोगिता की विधियाँ — पेंचाक सिलाट क्या है?

पेंचाक सिलाट दक्षिण-पूर्व एशिया का पारंपरिक मार्शल आर्ट है — इसकी जड़ें इंडोनेशिया/मलेशिया के विभिन्न क्षेत्रों से आती हैं। प्रतिस्पर्धात्मक पेंचाक सिलाट में आम तौर पर तांडिंग (Tanding — मुकाबला/स्पैरिंग) और आर्टिस्टिक/फॉर्म (Tunggal, Ganda, Regu) जैसी श्रेणियाँ होती हैं। तांडिंग में हमलावर-रक्षा, तकनीक, गति और अंक हासिल करने के नियम होते हैं; फोर्म/टुंगगल-गंडा/रेगु में एकल, युगल या टीम फ़ॉर्म प्रदर्शन पर अंक दिए जाते हैं। भारतीय स्तर पर प्रतियोगिताएँ इंडियन पेंचक सिलाट फेडरेशन के नियमों के अनुसार होती हैं।

मुकाबला का स्वरूप और किस बात पर अंक मिलते हैं

तांडिंग (मैच) में प्रतियोगी प्रतिद्वंदी को लक्ष्य-क्षेत्र पर सफल प्रहार, तकनीकी श्रेष्ठता, बचाव-प्रत्यारोप (parry/evade) और समग्र प्रदर्शन के आधार पर अंक पाते हैं। आर्टिस्टिक श्रेणियों में गति, संतुलन, तकनीकी शुद्धता और प्रस्तुति के आधार पर जज अंक देते हैं। (नियमों का विस्तृत विवरण इंडियन पेंचक सिलाट फेडरेशन के नियम-विधि दस्तावेज़ों में मिलता है)।

क्या खास रहा इस प्रदर्शन में

  1. दो स्वर्ण — बड़ा संकेत: छोटे जिले बस्तर से आने वाली छात्र-खिलाड़ियों का राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण जीतना यह दर्शाता है कि स्थानीय कोचिंग व मेहनत से बड़े मंचों पर मुक़ाबला किया जा सकता है।
  2. टीम-बढ़त: वेदांत साहू और कोमल ठाकुर का भी सम्मानजनक प्रदर्शन दिखा — मतलब अकादमी में प्रतिभा की गहराई बढ़ रही है।
  3. संघ और अधिकारियों की समर्थन भावना: इंडियन पेंचक सिलाट फेडरेशन के अधिकारियों तथा राज्य-स्तरीय पदाधिकारियों ने विजेताओं को बधाई दी — यह खिलाड़ियों के मनोबल के लिये महत्वपूर्ण है।

बस्तर और खेल—बड़े मायने

बस्तर जैसे क्षेत्र जहां संसाधन सीमित होते हैं, वहां से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल करना स्थानीय युवाओं के लिए प्रेरणा है — यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन, अकादमिक समर्थन और स्थानीय समर्पण से खेल में सफलता मिल सकती है।सरकारी/गैर-सरकारी मदद, प्रशिक्षण सुविधाएँ और प्रतियोगिता-अनुभव खिलाड़ियों के भविष्य को और खोल सकते हैं। (यह विश्लेषण उपलब्ध स्थानीय समाचारों और क्षेत्रीय खेल-परिदृश्य पर आधारित है)।

आगे क्या हो सकता है

इस तरह के प्रदर्शन से खिलाड़ी राज्य-स्तरीय और राष्ट्रीय चयन शिविरों में अधिक ध्यान आकर्षित कर सकते हैं; अकादमी और स्थानीय प्रशासक भी इन जीतों का उपयोग करके और संसाधन, प्रशिक्षण शिविर और स्पॉन्सरशिप जुटाने का प्रयास कर सकते हैं। परंतु किसी विशेष राष्ट्रीय चयन या अंतरराष्ट्रीय टीम में चुनने से संबंधित आधिकारिक घोषणा अभी तक सार्वजनिक स्रोतों में नहीं मिली।

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