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बस्तर दशहरा : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिया गया औपचारिक निमंत्रण,

औपचारिक निमंत्रण
- स्थान : नई दिल्ली
- प्रतिनिधि मंडल :
- बस्तर सांसद व दशहरा समिति अध्यक्ष महेश कश्यप
- साथ में मांझी-चालकी (जनजातीय पारंपरिक प्रतिनिधि) और समिति के मेबरिन
- मुलाकात : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से
- भेंट :
- उन्हें बस्तर दशहरा एवं मुरिया दरबार में शामिल होने का औपचारिक निमंत्रण दिया गया।
- साथ ही मां दंतेश्वरी की तस्वीर भेंट की गई।
- यह आमंत्रण बस्तर दशहरा की परंपरा और राष्ट्रीय स्तर पर उसकी पहचान को और मजबूत करने का प्रतीक है।

बस्तर दशहरा : खासियत
भारत में जहाँ दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय का पर्व माना जाता है, वहीं बस्तर का दशहरा इससे बिल्कुल अलग है –
- मां दंतेश्वरी की आराधना
- यह उत्सव पूरी तरह से बस्तर की कुलदेवी मां दंतेश्वरी को समर्पित है।
- राम-रावण की कथा से इसका सीधा संबंध नहीं है।
- सबसे लंबा दशहरा
- यह दुनिया का सबसे लंबा दशहरा है, जो 75 दिनों तक चलता है।
- इसकी शुरुआत हरेली अमावस्या से होती है और समापन 13 विशेष अनुष्ठानों के बाद।
- अनुष्ठानों का रहस्य
- कुल 13 प्रमुख अनुष्ठान होते हैं, जिनमें शामिल हैं :
- पट जात्रा (लकड़ी लाने की परंपरा)
- देवी का निवेदन
- काछिन गादी
- रथारोहण
- मावली परघाव
- बहराम देव की विदाई
- हर अनुष्ठान का अलग आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
- कुल 13 प्रमुख अनुष्ठान होते हैं, जिनमें शामिल हैं :
- मावली देवी की परंपरा
- “मावली” नामक एक और देवी की विशेष भूमिका है।
- इन्हें जंगल से रात के अंधेरे में लाया जाता है और मां दंतेश्वरी के साथ विराजमान किया जाता है।
- यह परंपरा जंगल, प्रकृति और देवी के बीच रहस्यमयी संबंध को दर्शाती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- 13वीं शताब्दी में बस्तर के राजा पुरुषोत्तम देव ने मां दंतेश्वरी की आज्ञा पर इस पर्व की शुरुआत की।
- मान्यता है कि उन्होंने देवी से राज्य की रक्षा के लिए दशहरा उत्सव का संकल्प लिया था।
- तब से यह पर्व बस्तर की संस्कृति और पहचान का सबसे अहम हिस्सा बन गया।
जनजातीय पुजारियों की भूमिका
- यहाँ ब्राह्मण पुजारियों की जगह जनजातीय पुजारी (गुड़िया, सिरहा, मांझी) पूजा-अनुष्ठान कराते हैं।
- रात के समय गुप्त तांत्रिक अनुष्ठान होते हैं, जिनमें बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित होता है।
- माना जाता है कि इन अनुष्ठानों से अदृश्य शक्तियाँ प्रसन्न होती हैं और बस्तर की रक्षा करती हैं।
सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व
- यह पर्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि जनजातीय एकता और परंपरा का भी प्रतीक है।
- “मुरिया दरबार” में बस्तर के मांझी, चालकी और प्रतिनिधि मिलकर सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करते हैं।
- यानी यह उत्सव आध्यात्मिक, सामाजिक और राजनीतिक तीनों आयामों को जोड़ता है।
अमित शाह के निमंत्रण का महत्व
- केंद्रीय स्तर पर इस निमंत्रण से बस्तर दशहरा की राष्ट्रीय पहचान और महत्व बढ़ेगा।
- संभव है कि यदि शाह इसमें शामिल होते हैं, तो यह बस्तर की जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को देशव्यापी मंच पर और अधिक पहचान दिलाए।
- इससे पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और बस्तर की छवि को भी मजबूती मिलेगी।